प्रयागराज : महाधिवक्ता कार्यालय में लगी भीषण आग बुझाने के लिए सेना तक से लेनी पड़ी मदद

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महाधिवक्ता कार्यालय में लगी आग पर काबू पाने में पुलिस प्रशासन को सुबह से शाम तक जूझना पड़ा। इस दौरान 14 घंटों तक कुल 18 फायर टेंडरों के साथ राहत कार्य में लगे जवान आग बुझाने की कोशिश में जुटे रहे। पहले एक-एक कर जिले के सभी फायर स्टेशनों से गाड़ियां मंगवाई गईं। इसके बाद भी हालात नियंत्रित न होते देख सेना की भी मदद लेनी पड़ी। अफसरों ने सैन्य अधिकारियों से बातचीत कर कैंट व बम्हरौली से भी पांच फायर टेंडर मंगवाए। इसके साथ ही एनटीपीसी मेजा से एक फायर टेंडर मंगवाया गया।

सुबह 5.30 पर सूचना मिलने के करीब पांच मिनट बाद ही सिविल लाइंस फायर स्टेशन से फायरब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंच गई। फायरकर्मी जैसे ही पांचवें तल से आगे बढ़े, चारों ओर धुआं देखकर उनके कदम ठिठक गए। इसके बाद एक टीम ने बाहर से ही पानी की बौछारें फेंककर आग पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन ऊंचाई ज्यादा होने के चलते वह नाकाम रहे। उधर आग हर बीतते पल के साथ फैलती ही जा रही थी।

चौतरफा फाइलें होने के कारण कुछ ही देर में आग ने छठें तल पर बने पूरे रिकॉर्ड रूम को चपेट में ले लिया। उधर बाहर मौजूद टीम ने लपटें उठते देखी तो कंट्रोल रूम में सूचना देकर और मदद मांगी। इसके बाद एक-एक कर पांच अन्य फायर टेंडर और फायर स्टेशन सिविल लाइंस की पूरी टीम आ गई। इसकेबाद एक साथ पांचों फायर टेंडरों से आग बुझाने की कोशिश शुरू हुई। तब तक जानकारी पर पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए।

उधर बिल्डिंग की ऊंचाई काफी ज्यादा होने के चलते पर्याप्त मात्रा में पानी भीतर नहीं फेंका जा पा रहा था और उधर आग फैलती ही जा रही थी। यह देख फायरब्रिगेड की एक टीम ने महाधिवक्ता कार्यालय के ठीक बगल स्थित बहुमंजिला बिल्डिंग पर पहुंचकर आग पर पानी फेंकना शुरू किया। इसके अलावा एक अन्य फायर टेंडर हाईकोर्ट ओवरब्रिज पर लाया गया और यहां से भी पानी की बौछार छोड़ी जाने लगी। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और देखते ही देखते आग सातवें, आठवें और नौवीं मंजिल तक पहुंच गई। 

तीन दिशाओं से हुई पानी की बौछार

फायर के जवान लगातार कोशिशों में जुटे थे लेकिन आग का रूप भयावह ही होता जा रहा था। इसे देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों के सात फायर स्टेशनों की टीम भी मय फायरटेंडर मौके पर बुला ली गई। इसके बावजूद हालात काबू में न आते देख आला अफसरों ने सेना की मदद लेने का निर्णय लिया। जिसके बाद कैंट से थलसेना व बम्हरौली से वायुसेना के कुल पांच फायर टेंडर मंगवाए गए। उधर एक फायरटेंडर लेकर मेजा स्थित एनटीपीसी के भी फायरफाइटरों की टीम आ गई। इसके बाद तीन दिशाओं से पानी की बौछार की गई तब जाकर छठें तल पर लगी आग पर काबू पाया जा सका। इसके बाद अग्निशमन उपकरणों से लैस फायरकर्मियों की एक टीम छठें तल पर पहुंचीं।

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धुएं से ठिठके कदम, तोड़ने पड़े खिड़कियों केशीशे

छठें तल पर लगी आग बुझाने के बाद टीम ने ऊपर की मंजिलों पर लगी आग को काबू करने का प्रयास शुरू किया। इस दौरान चारों ओर धुआं भरा  था, ऐेसे में उन्हें आगे बढ़ने में दिक्कत हुई। इसे देखते हुए खिड़कियों के शीशे तोड़ने का फैसला किया गया। शीशे तोड़ने के दौरान ही कई जवान चोटिल भी हुए। जिसके बाद उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया। उधर हालात की गंभीरता को देखते हुए मोबाइल स्वास्थ टीम और एंबुलेंस भी बुलवा ली गई। उधर शीशे टूटने के बाद धुआं छटने लगा और तब जाकर फायरकर्मियों ने आगे बढ़ते हुए भीतर से भी आग बुझानी शुरू की। 

आग से घिरीं फाइलों ने रोका रास्ता

फायरकर्मियों ने बताया कि आग पर काबू पाने में देरी की एक वजह सीढ़ियों पर रखे फाइलों के ढेर भी रहे। बताया कि  कमरों के साथ-साथ सीढ़ियों पर भी बड़ी संख्या में फाइलें रखी हुई थीं। छठें तल की आग बुझने के बाद जब वह सातवें तल पर जाने के लिए आगे बढ़ने लगे तो इन्हीं फाइलों ने उनका रास्ता रोक लिया। दरअसल रिकॉर्ड रूम में रखी अन्य फाइलों से होते हुए आग सीढ़ियाें पर रखे फाइलों के ढेर तक भी पहुंच गई थी जिससे धू-धूकर यह फाइलें भी जलने लगीं। इसके चलते आग सीढ़ियों पर भी फैल गई। जिसके बाद फायरकर्मियों को पहले सीढ़ियों पर लगी आग को बुझाना पड़ा। इसके अलावा काफी देर तक आग से घिरी होने के कारण फर्श भी धधक रही थी, जिससे उसे ठंडा करने के बाद ही फायरकर्मी ऊपर के तल पर पहुंच सके और फिर लगातार कई घंटों की मशक्कत के बाद शाम 7.30 बजे के करीब आग पर पूरी तरह काबू पाया जा सका।

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