[ad_1]
अरे! यह क्या हो गया। जब किसी को मदद की जरूरत होती थी तो रिटायर्ड आईपीएस डीसी पांडेय हमेशा खड़े रहते थे। हर संभव मदद करते थे। छोटा हो या बड़ा भेदभाव नहीं करते थे। शनिवार रात रिटायर्ड आईपीएस अफसर की मौत के बाद हर कोई उनके साथ बीते लम्हें याद कर रहा था। कोई उनके द्वारा की गई मदद के बारे में चर्चा कर रहा था तो कोई उनकी किताबों के बारे में बात कर रहा था। सब यही कह रहे थे कि इस तरह से मौत पर विश्वास नहीं हो रहा। इंदिरानगर के सेक्टर-18 कॉलोनी में बीती शनिवार रात मकान में आग लगने से रिटायर्ड आईपीएस डीसी पांडेय की मौत हो गई, जबकि पत्नी अरुणा व छोटे बेटे शशांक का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
बेटे की हालत नाजुक बनी हुई है। रविवार सुबह बड़ा बेटा प्रशांत पांडेय भी मुंबई से लखनऊ पहुंच गया। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिवारीजनों के सुपुर्द कर दिया।
रविवार शाम को बैकुंठ धाम में अंतिम संस्कार किया बया। बेटे प्रशांत ने मुखाग्नि दी। इससे पहले कॉलोनी में सुबह से ही उनके घर पर पड़ोसी, परिचित और रिश्तेदार परिवार को सांत्वना देने पहुंच रहे थे।
रिटायर्ड आईपीएस के दो बेटे व एक बेटी है। बड़ा बेटा प्रशांत पांडेय मुंबई में अपने परिवार के साथ रहकर वकालत करता है। छोटा बेटा शशांक पांडेय दिव्यांग होने के कारण लखनऊ में परिवार के साथ रहता है।
बेटी मल्लिका की शादी दिल्ली में हुई है। प्रशांत ने बताया कि पिता की मौत की खबर सुनकर उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। घर आकर दीपावली मनाने की तैयारी थी। अचानक ये क्या हो गया कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।
[ad_2]
Source link