शहर में 16 वर्ष पहले हुए मदरसा कांड को शायद ही कोई शख्स भूला हो। मदरसे की दो लड़कियों के साथ की गई हैवानियत ने पूरे प्रदेश सहित जिले को हिलाकर रख दिया था। इस घटना ने अतीक की राजनीतिक छवि को खासा नुकसान पहुंचाया। नतीजा यह हुआ कि अतीक दोबारा कभी कोई चुनाव नहीं जीता। खास यह है कि इस कांड के आरोपी आज तक नहीं पकड़े जा सके हैं।
करेली के बाहरी इलाके महमूदाबाद में मदरसा स्थित था। वाराणसी बम धमाके के आरोपी वलीउल्लाह का भाई वसीउल्लाह इसका संचालक था। शहर और आसपास के गरीब घरों की तमाम लड़कियां पढ़ाई करती थीं। मदरसे में लड़कियों का हॉस्टल भी था। 17 जनवरी 2007 को देर रात हॉस्टल के दरवाजे पर दस्तक हुई। अमूमन देर रात हॉस्टल में कोई नहीं आता था। अंदर से पूछा गया तो धमकी भरे अंदाज में तुरंत दरवाजा खोलने को कहा। दरवाजा खोला गया तो सामने तीन बंदूकधारी खड़े थे। तीनों अंदर घुसे। लड़कियां एक हॉल में सोती थीं। वे सीधे वहीं पहुंच गए। धमकी और गाली गलौज के साथ लड़कियों से कहा गया कि वे नकाब खोल दें।
लड़कियों को उठा ले गए थे जंगल में
बेबस लड़कियों के सामने और कोई चारा नहीं था। बंदूकधारी दरिंदों ने उनमे से दो नाबालिग लड़कियों को चुना और अपने साथ ले जाने लगे। लड़कियां उनके पैरों में गिर गईं। रहम की भीख मांगी लेकिन शैतानों का दिल नहीं पसीजा। वे दोनों लड़कियों को उठा ले गए। बाहर उनके साथ दो लोग और शामिल हो गए। कुल पांच लोगों ने आगे नदी के किनारे दोनों लड़कियों के साथ कई कई बार दुष्कर्म किया। दोनों लड़कियों को सुबह होने से पहले लहूलुहान हालत में मदरसे के दरवाजे पर फेंक बदमाश भाग निकले।
सीबीआई जांच कराने का दिया था आश्वासन
अगले दिन इस शर्मनाक कांड को छिपाने की पुरजोर कोशिश की गई। पुलिस ने सिर्फ छेड़खानी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया, लेकिन घटना सुर्खियों में आने के बाद दो दिन बाद गैंगरेप समेत संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई। इस कांड में अशरफ के गुर्गों के शामिल होने के आरोप लग रहे थे। दो दिन बाद बसपा प्रमुख मायावती ने लखनऊ से ही एलान कर दिया कि इस कांड में सत्ता से जुड़े कुछ नेता और उनके गुर्गे शामिल हैं। उनकी सरकार आई तो वे सीबीआई जांच कराएंगी।
इसके बाद प्रदेश में जैसे राजनीतिक भूचाल आ गया। जगह जगह धरना प्रदर्शन होने लगे। लोग जुलूस निकालने लगे। सरकार बैकफुट आ गई। आननफानन पुलिस ने इस कांड का खुलासा करते हुए करेली के इखलाख अहमद और नौशाद अहमद समेत पांच लोगों की गिरफ्तारी दिखा दी। पांचों रिक्शा चलाने और दर्जी का काम करते थे। पुलिस के खुलासे पर चहुंओर सवाल उठे लेकिन उन्हें जेल भेज दिया गया। हालांकि बाद में सभी छूट गए। उन्होंने बाहर आकर बताया कि पुलिस ने दबाव डालकर उनसे इस कांड में शामिल होने का बयान लिया था।
बसपा सरकार बनने के बाद इस कांड की जांच के लिए सीबीआई जांच की संस्तुति की गई थी। सीबीआई टीम यहां आकर एफआईआर समेत अन्य कागजातों को ले गई लेकिन जांच की नहीं। बाद में सीबीआई ने इस कांड सीबीआई के स्तर का न मानते हुए जांच से इन्कार कर दिया था। इसके बाद मामला सीबीसीआईडी को सौंप दिया गया। लेकिन इस कांड के असली गुनहगार आज तक नहीं पकड़े गए।
अतीक अहमद के पराभव में मदरसा कांड की भी अहम भूमिका रही। जांच में अतीक और अशरफ की सीधी संलिप्तता का तो नहीं पता चला था लेकिन पुलिस सूत्रों ने बताया था कि असली आरोपियों को बचाने में अशरफ ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया था। शहर का यह ऐसा कांड था, जिसके बाद अतीक या उसके परिवार के किसी शख्स ने चुनाव नहीं जीता। इस कांड ने अतीक अपने लोगों का ही मान सम्मान और समर्थन खो दिया था।
अतीक पर 102 और अशरफ पर दर्ज थे 57 मुकदमे
प्रयागराज। अतीक की हिस्ट्रीशीट काफी लंबी थी। आईएस-227 गैंग के सरगना अतीक पर 102 मुकदमे दर्ज थे। उसके छोटे भाई अशरफ के खिलाफ 57 मुकदमे लिखे गए थे।