आगरा के यूनिवर्सिटी मॉडल स्कूल के 12वीं के छात्र ऋषभ मिठास की मौत को बृहस्पतिवार को 12 महीने हो गए। पुलिस मौत के रहस्य को सुलझा नहीं सकी है। मां और पिता ने कहा कि बेटे की हत्या हुई थी। पुलिस ने सात मिनट में ही घटना को आत्महत्या दर्शा दिया। क्राइम सीन दोहराया गया। इसमें हत्या की तरफ इशारा किया गया। इसके बावजूद पुलिस कुछ नहीं कर रही है।
गांधी नगर निवासी ब्रह्मदत्त मिठास के बेटे ऋषभ का शव 23 मार्च 2022 को खंदारी स्थित समाज कल्याण विभाग के हॉस्टल में पड़ा मिला था। बैग हाॅस्टल की तीसरी मंजिल पर पड़ा था। परिजन ने हत्या का आरोप लगाया। हाॅस्टल में आने के दौरान के सीसीटीवी फुटेज पुलिस को मिले थे। कोई बाहरी व्यक्ति आता नजर नहीं आया था। पुलिस मामला आत्महत्या का मान रही थी। पिता ने हत्या का मामला दर्ज कराया था।
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परिजन ने एडीजी जोन राजीव कृष्ण से शिकायत की। पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। चार मई 2022 को विधि विज्ञान प्रयोगशाला की टीम ने क्राइम सीन दोहराया। ऋषभ की लंबाई और वजन के बराबर का पुतला तीसरी मंजिल से गिराकर देखा गया। ऐसा दो बार किया गया।
परिवार के ये हैं साक्ष्य
– घटनास्थल पर दो व्यक्तियों के होने के सुबूत हैं। हाॅस्टल के सीढि़यों पर ऋषभ के नीचे उतरने के जूते के निशान मौजूद थे। सीढि़यों पर दूसरे तरह के जूते के निशान थे।
– जिस व्यक्ति ने दरवाजा तोड़ा, उसके जूते के निशान दूसरे वाले से मिलते थे।
– ऋषभ सीसीटीवी कैमरे में कैंपस की दीवार फांदकर आता दिखा। इसी रास्ते से कैंपस के अन्य छात्र भी आए थे। यह आम रास्ता हो गया था।
– पुलिस ने फॉरेंसिक एक्सपर्ट के आने से पहले ही शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
– घटना के समय एक और छात्र नजर आया। उससे पूछताछ के नाम पर खानापूरी की गई।
– सीढ़ियों पर भिन्न प्रकार के जूतों के निशान, जिसकी पुलिस ने आज तक जांच नहीं की।
– जिस कमरे की गैलरी में बैग मिला या दर्शाया गया, उस कमरे के ताले को पहले तोड़ा गया। टूटा हुआ ताला भी कमरे के पास मिला। दरवाजे को पैर मारकर खोला गया। दरवाजे पर जूते के निशान थे।
– टंकी की तरफ अन्य छात्र भी उसी प्रकार देखते हैं, जिस प्रकार घटना वाले दिन ऋषभ ने देखा था।
– समाज कल्याण विभाग के परिसर में गार्ड के होने पर भी बिना रोकटोक बाहरी छात्र आते हैं।
– घटना वाले दिन लाल टोपी में एक संदिग्ध नजर आया था। बाद में वो हेलमेट लेकर निकलता है।
मां ने रोते हुए कहा, न्याय दिलाओ
छात्र के पिता ब्रह्मदत्त और मां रूपाली ने बृहस्पतिवार को वजीरपुरा मार्ग स्थित सीताराम मंदिर में प्रेसवार्ता की। कहा कि बेटे की हत्या हुई थी। पुलिस ने शुरू से ही विवेचना में लापरवाही की। क्राइम सीन दोहराने में साफ हो गया था। बेटे को छत से फेंका गया था। इसके बावजूद पुलिस का जोर आत्महत्या पर ही रहा। एक साल बाद भी न्याय पाने के लिए भटकना पड़ रहा है। पुलिस अधिकारियों से यही मांग है कि बेटे के कातिल पकड़े जाने चाहिए। जब तक वो नहीं पकड़े जाएंगे, संघर्ष जारी रहेगा।