कानपुर में दस साल के बच्चे रहमान की अपहरण के बाद हत्या के मामले में पुलिस की जांच में कई बड़े खुलासे हुए। आरोपी पिछले चार महीने से वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। इसके लिए एक महिला का मोबाइल भी चोरी किया था।
उसी फोन का इस्तेमाल फिरौती मांगने में किया था। फिरौती मांगने के बाद फोन को आरोपियों ने फेंक दिया था। कैंट के जंगल व घाट पर कई घंटे तक टीमें फोन की तलाश में जुटी रहीं लेकिन नहीं मिला। जिस मोबाइल नंबर से फिरौती की कॉल आई थी पुलिस ने सबसे पहले उसके बारे में जानकारी की। पता चला कि वह सिम गांव निवासी शशि देवी के नाम पर है। मोबाइल भी उनका ही है। जब पुलिस ने शशिदेवी से पूछताछ की तो पता चला कि इसी साल 27 मई को उनका फोन चोरी हो गया था।
उन्होंने न तो पुलिस से शिकायत की थी और न ही नंबर बंद कराया था। इस स्थित में पुलिस की जांच कुछ देर के लिए उलझ सी गई थी। मगर बाद में खुलासा हुआ कि मोबाइल अमित ने चोरी किया था।
तब से मोबाइल बंद था। वारदात की रात ही उसे ऑन कर फिरौती मांगी गई थी। एक कॉल और की गई थी। उसके बाद फिर बंद कर दिया था। यह इसलिए जिससे वह पकड़े न जा सकें।
रहमान के रोते ही तुरंत मारने की ठानी
आरोपियों ने बताया कि जब वह रहमान को बरगदिया घाट पर ले गए थे तो उसको शक हो गया था। वह चीखने चिल्लाने लगा था। इसलिए तुरंत ही उसको मार दिया। आरोपियों का कहना था कि साजिश के मुताबिक घाट पर आमिल व समीर को भी पहुंचना था। जंगल में रहमान को रखना था। जब तक फिरौती की रकम नहीं मिल जाती। चूंकि बच्चे के रोने की वजह से उसको पहले ही मार दिया। इसलिए बाद में फिरौती मांगी।
अपहरण के बाद बच्चे की हत्या का मामला
न खौफ न डर, घर पहुंच सो गए थे आरोपी
वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी गांव में एक साथ जुटे थे। फिर अपने-अपने घर में जाकर सो गए थे। जब पुलिस ने एक-एक कर सभी को उठाया तो कोई भी वारदात कबूल नहीं कर रहा था। गुमराह करने का प्रयास कर रहे थे। जब पुलिस ने सख्ती की। साक्ष्य सामने रखे तब उन्होंने जुर्म कबूला। उनके चेहरे पर जरा भी खौफ नजर नहीं आ रहा था।