अमर उजाला इंपैक्ट: हाईवे की जद में आ रहे 14 मकानों पर नहीं चलेगा हथौड़ा, ठिकाना मिलने तक नहीं तोड़े जाएंगे वाल्मीकि समाज के घर

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला नेटवर्क, मुजफ्फरनगर
Published by: Dimple Sirohi
Updated Thu, 21 Apr 2022 05:03 PM IST

सार

मुजफ्फरनगर में हाईवे निर्माण की जद में आ रहे 14 मकानों को तोड़े जाने के संबंध में केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने एनएचएआई के अधिकारियों से बात की है। सरकारी भूमि की तलाश कर परिवारों को आवंटित की जाएगी।

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उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पानीपत-खटीमा हाईवे के निर्माण की जद में आए जागाहेड़ी बस स्टैंड पर रह रहे वाल्मीकि समाज के 13 परिवारों को राहत मिली है। केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने एनएचएआई के अधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि पर आवास की व्यवस्था होने तक वाल्मीकि समाज के लोगों के घर नहीं तोड़े जाने चाहिए।

बस स्टैंड पर 70 साल से रह रहे वाल्मीकि समाज के परिवारों के सामने बेघर होने की स्थिति बनी हुई है। अमर उजाला ने 20 अप्रैल के अंक में इन परिवारों की समस्या को प्रकाशित किया। केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि एनएचएआई बागपत के अधिकारियों से बातचीत की गई है।

मकानों और मुआवजे को लेकर चर्चा की गई। अधिकारियों से कहा गया है कि सरकारी भूमि पर आवास की व्यवस्था की जाएगी, तब तक इन परिवारों के आवास नहीं तोड़े जाने चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने इससे पहले राजस्व अधिकारियों से भी परिवारों के लिए सरकारी भूमि की तलाश के निर्देश दिए हैं। बालियान का कहना है कि जमीन तलाश कराई जा रही है।

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ये है मामला
वाल्मीकि समाज के 13 परिवार जागाहेड़ी के बस स्टैंड पर रहते हैं। ये परिवार पहले आबादी में ही रहते थे, लेकिन वर्ष 1952-53 में गांव के ही एक व्यक्ति ने उन्हें मुख्य मार्ग पर करीब साढ़े तीन बीघा जमीन दे दी और जिस जमीन पर उनके मकान थे वह ले ली थी।

गांव में 1958 में चकबंदी हुई थी, जिसका रिकॉर्ड 1960 में अपडेट किया गया। उनके पूर्वजों ने शपथ पत्र के आधार पर जमीन का तबादला किया था, जिसका रिकॉर्ड उनके पास है। हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू हुई तो राजस्व विभाग ने बस स्टैंड की जमीन को बंजर बता दिया। जिस कारण परिवारों को मकानों के ढांचे का मुआवजा तो मिल सकता है, लेकिन जमीन का नहीं। परिवारों का कहना है कि ऐसे में वे कहां जाकर रहेंगे।

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53 लाख 62 हजार का मुआवजा देने की बात
इन 13 परिवारों को 53 लाख 62 हजार रुपये मुआवजा देने के लिए फाइल भेजी गई है, लेकिन अभी मुआवजा स्वीकृत नहीं हुआ इै। पीड़ित बिजेंद्र कुमार, सुंदर, ओमवीर, सुरेश, रणधीर सिंह, वीरपाल का कहना है कि मुआवजा नाकाफी है।

परिवारों को मिले रहने के लिए घर
ग्राम प्रधान विपिन कुमार का कहना है कि इन परिवारों को गांव में ही बसाया जाना चाहिए। प्रशासन को इनके लिए जमीन का इंतजाम कर प्रधानमंत्री ग्रामीण आवासीय योजना से मकानों का निर्माण कराना चाहिए। 

विस्तार

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में पानीपत-खटीमा हाईवे के निर्माण की जद में आए जागाहेड़ी बस स्टैंड पर रह रहे वाल्मीकि समाज के 13 परिवारों को राहत मिली है। केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने एनएचएआई के अधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सरकारी भूमि पर आवास की व्यवस्था होने तक वाल्मीकि समाज के लोगों के घर नहीं तोड़े जाने चाहिए।

बस स्टैंड पर 70 साल से रह रहे वाल्मीकि समाज के परिवारों के सामने बेघर होने की स्थिति बनी हुई है। अमर उजाला ने 20 अप्रैल के अंक में इन परिवारों की समस्या को प्रकाशित किया। केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि एनएचएआई बागपत के अधिकारियों से बातचीत की गई है।

मकानों और मुआवजे को लेकर चर्चा की गई। अधिकारियों से कहा गया है कि सरकारी भूमि पर आवास की व्यवस्था की जाएगी, तब तक इन परिवारों के आवास नहीं तोड़े जाने चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने इससे पहले राजस्व अधिकारियों से भी परिवारों के लिए सरकारी भूमि की तलाश के निर्देश दिए हैं। बालियान का कहना है कि जमीन तलाश कराई जा रही है।

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