अमर उजाला शिक्षा अभियान: कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों की याददाश्त पर पड़ा असर

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सार

मनोवैज्ञानिक डॉ. साहब सिंह का कहना है कि विद्यार्थियों के याद करने की क्षमता में परिस्थितियों की वजह से कमी आई। यह दूर हो सकती है। विद्यालय स्तर से और अभिभावकों की ओर से विद्यार्थियों को विषय वस्तु याद करने के लिए दिया जाना चाहिए।

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कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों की याद करने की क्षमता में कमी आई है। आगरा के जीआईसी मैदान के पास स्थित मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र में दो वर्षों में कक्षा आठ से 10 तक के करीब 500 विद्यार्थियों ने मानसिक योग्यता (बुद्धिलब्धि) का परीक्षण कराया। पांच तरह के परीक्षण किए गए, इसमें विद्यार्थियों के मानसिक योग्यता का स्तर अच्छा पाया गया। महज एक टेस्ट तात्कालिक स्मृति विस्तार में करीब 350 विद्यार्थियों की याद करने की क्षमता स्तर निम्न पाया गया। 

मनोवैज्ञानिक डॉ. साहब सिंह ने बताया कि तात्कालिक स्मृति विस्तार टेस्ट में विद्यार्थियों को दो अंक से नौ अंक तक दिखाए गए। इसके बाद विद्यार्थियों से पूछा गया तो वह पांच या उससे कम अंक तक बता पाए। जबकि परीक्षण में अंकों को तीन बार दिखाया गया। पांच से कम अंक याद कर पाने वाले विद्यार्थियों का याद करने का स्तर निम्न माना जाता है। बाकी चार परीक्षण में विद्यार्थियों की विश्लेषण, तर्क शक्ति, क्रियात्मक योग्यता, सोचने समझने की शक्ति, दिशा बोध की स्थिति का स्तर अच्छा रहा। 

उन्होंने बताया कि याद करने की क्षमता कम होने की वजह कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई रही। इसमें विद्यार्थियों को याद करने के लिए नहीं दिया गया। इंटरनेट के माध्यम से विद्यार्थियों ने पढ़ाई की। विद्यार्थियों की याद करने की आदत छूट गई। परीक्षण कराने वालों में परिषदीय स्कूलों और यूपी बोर्ड के स्कूलों के विद्यार्थी अधिक रहे। 

विषय वस्तु याद करने के लिए दिया जाए

मनोवैज्ञानिक डॉ. साहब सिंह का कहना है कि विद्यार्थियों के याद करने की क्षमता में परिस्थितियों की वजह से कमी आई। यह दूर हो सकती है। विद्यालय स्तर से और अभिभावकों की ओर से विद्यार्थियों को विषय वस्तु याद करने के लिए दिया जाना चाहिए। विद्यालयों में पाठ्यक्रम को समझने पर जोर दिया जाता है, जबकि पाठ्यक्रम को रटना भी जरूरी है, इससे विद्यार्थी की याद करने की क्षमता बढ़ती है। विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खेलना भी जरूरी है। 

सहपाठियों का साथ पाकर ऊर्जा का हुआ संचार

सुमित राहुल गोयल मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, कमला नगर में बृहस्पतिवार को कक्षा 12वीं के विद्यार्थियों की कक्षा चल रही थी। पाठ्यक्रम अच्छे से तैयार कराया जा रहा था। स्कूल के प्रधानाचार्य रामानंद चौहान ने बताया कि कोरोना काल में विद्यार्थियों के मानसिक स्तर पर असर पड़ा, इनमें उदासीनता और चिड़चिड़ेपन की शिकायत आई। 

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ऑफलाइन कक्षाएं शुरू होने के साथ विद्यार्थियों की समस्याएं दूर होने लगीं। सहपाठियों और शिक्षकों का साथ पाकर विद्यार्थियों में ऊर्जा का संचार हुआ। शिक्षकों के माध्यम से विद्यार्थियों की काउंसिलिंग कराई गई। इनको सक्रिय बनाने के लिए खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन किया गया।

समस्याओं का समाधान हुआ

12वीं कक्षा का छात्रा राशि गोयल ने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई में भविष्य की चिंता सता रही थी। पढ़ाई अपेक्षाकृत कम समझ में आ रही थी। तनाव बढ़ रहा था। ऑफलाइन कक्षाएं लगने से मनोबल बढ़ाया। शिक्षकों ने समस्याओं का समाधान किया।

आंखों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा था 

12वीं कक्षा के छात्र यश गोयल ने कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान आंखों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा था। स्क्रीन पर अधिक समय व्यतीत करने से आंखों में दर्द होने लग रहा था। पाठ्यक्रम अपेक्षाकृत कम समझ में आ रहा था। स्कूल खुलने से बड़ी राहत मिली। आत्मविश्वास भी बढ़ गया। 

विस्तार

कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों की याद करने की क्षमता में कमी आई है। आगरा के जीआईसी मैदान के पास स्थित मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र में दो वर्षों में कक्षा आठ से 10 तक के करीब 500 विद्यार्थियों ने मानसिक योग्यता (बुद्धिलब्धि) का परीक्षण कराया। पांच तरह के परीक्षण किए गए, इसमें विद्यार्थियों के मानसिक योग्यता का स्तर अच्छा पाया गया। महज एक टेस्ट तात्कालिक स्मृति विस्तार में करीब 350 विद्यार्थियों की याद करने की क्षमता स्तर निम्न पाया गया। 

मनोवैज्ञानिक डॉ. साहब सिंह ने बताया कि तात्कालिक स्मृति विस्तार टेस्ट में विद्यार्थियों को दो अंक से नौ अंक तक दिखाए गए। इसके बाद विद्यार्थियों से पूछा गया तो वह पांच या उससे कम अंक तक बता पाए। जबकि परीक्षण में अंकों को तीन बार दिखाया गया। पांच से कम अंक याद कर पाने वाले विद्यार्थियों का याद करने का स्तर निम्न माना जाता है। बाकी चार परीक्षण में विद्यार्थियों की विश्लेषण, तर्क शक्ति, क्रियात्मक योग्यता, सोचने समझने की शक्ति, दिशा बोध की स्थिति का स्तर अच्छा रहा। 

उन्होंने बताया कि याद करने की क्षमता कम होने की वजह कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई रही। इसमें विद्यार्थियों को याद करने के लिए नहीं दिया गया। इंटरनेट के माध्यम से विद्यार्थियों ने पढ़ाई की। विद्यार्थियों की याद करने की आदत छूट गई। परीक्षण कराने वालों में परिषदीय स्कूलों और यूपी बोर्ड के स्कूलों के विद्यार्थी अधिक रहे। 

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