अलविदा 2022: गोरखपुर में एम्स खुल गया पर नहीं हो पा रहा गंभीर बीमारियों का इलाज, 70 से अधिक डॉक्टरों की है कमी

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गोरखपुर शहर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) तो खुल गया है, लेकिन गंभीर रोगों के मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी सेवा शुरू हो गई है, लेकिन सात विभाग ही संचालित हो पा रहे हैं। इमरजेंसी सेवा नहीं शुरू हो पाई। 500 बेड का बाल रोग संस्थान भी नहीं शुरू हो सका है। जनपद के अधिकतर सरकारी अस्पताल चिकित्सकों की कमी से पूरे साल जूझते रहे।   

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल की शुरूआत में जब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का लोकार्पण किया तो पूर्वांचल के लोगों की उम्मीद जगी कि अब गंभीर मरीजों के इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, लेकिन पूरे साल लोगों को निराशा ही मिली। गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को एम्स के बजाय दूसरी जगहों पर इलाज करवाना पड़ा।  

 

एम्स में 17 विभागों की ओपीडी तो शुरू हो गई, लेकिन सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं की शुरुआत नहीं हो सकी। इस वजह से एम्स में आने वाले गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज जाना पड़ रहा है। मरीजों की संख्या अधिक होने की वजह से मेडिकल कॉलेज से लखनऊ और दिल्ली रेफर करना पड़ रहा है। एम्स में करोड़ों रुपये की एमआरआई, सीटी स्कैन, कैंसर जांच, रेडियोथेरेपी की मशीनें लग गई हैं, लेकिन इनकी सेवाएं मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं। कुल मिलाकर एम्स केवल सामान्य मरीजों के इलाज तक सीमित रह गया है।   

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70 से अधिक डॉक्टरों की कमी

स्वास्थ्य विभाग को इस साल 50 से अधिक डॉक्टर मिलने थे, जो नहीं मिल सके। स्वास्थ्य विभाग को 70 से अधिक डॉक्टरों की जरूरत है।  

 

मेडिकल कॉलेज में नहीं शुरू हो पाई सुपर स्पेशियलिटी की इमरजेंसी सेवा  

इस साल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी सेवा की शुरुआत हो गई। सात विभाग शुरू किए गए हैं। इनमें नेफ्रोलॉजी, हृदय रोग, न्यूरो सर्जरी, न्यूरो मेडिसिन, आंकोलॉजी सर्जरी के विभाग शामिल हैं। उम्मीद है कि अगले साल कुछ और विभागों की सेवा शुरू हो जाएगी। हालांकि, इन सबके बीच अभी सुपर स्पेशियलिटी की इमरजेंसी सेवा नहीं शुरू हो सकी है।  

 

नौ मंजिला बाल रोग संस्थान बना, सेवा ठप

बीआरडी मेडिकल कॉलेज कैंपस में नौ मंजिला बाल रोग संस्थान बनकर तैयार हो गया, लेकिन इसमें मरीजों का इलाज शुरू नहीं हो सका है। इस संस्थान के शुरू होने से उम्मीद है कि गंभीर रूप से बीमार बच्चों को इलाज के लिए लखनऊ और दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। 



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