अविमुक्तेश्वरानंद बोले : बजट की कमी हो तो बताए प्रशासन, माघ मेला के लिए संत फंड जुटाने के लिए तैयार

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सार

त्रिवेणी मार्ग स्थित शंकराचार्य शिविर में सोमवार को पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि माघ मेले के दो स्नान पर्वों के बीतने के बाद भी अभी साधु- संत और कल्पवासी सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
– फोटो : अमर उजाला

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द्वारिका शारदा, ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सोमवार को माघ मेले में फैली अव्यवस्था के लिए मेला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार जहां मेले के लिए पर्याप्त देने की बात कह रही है, वहीं साधु-संत और कल्पवासी सुविधाओं के लिए मारे मारे फिर रहे हैं और प्रशासन बजट का अभाव बताकर पल्ला झाड़ रहा है। धन की कमी आड़े आ रही है तो मेला प्रशासन इसे सार्वजनिक करे। आध्यात्मिक-सांस्कृतिक परंपरा की रक्षा के लिए साधु-संत फंड जुटाकर दे सकते हैं, ताकि मेला हो सके।

त्रिवेणी मार्ग स्थित शंकराचार्य शिविर में सोमवार को पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि माघ मेले के दो स्नान पर्वों के बीतने के बाद भी अभी साधु- संत और कल्पवासी सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं। मेला कार्यालय जाने पर उन्हें बजट की कमी बताई जा रही है। जबकि, योगी सरकार कह रही है कि बजट की कोई कमी नहीं है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अगर वास्तव में बजट की कमी है तो प्रशासन इसकी जानकारी संतों के सामने सार्वजनिक करे।

मेले में शासन और प्रशासन की विफलता
संत इसके लिए फंड इकट्ठा करेंगे और मेले की व्यवस्था के लिए प्रशासन को सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि जब अर्ध कुंभ को कुंभ का दर्जा दिया जा सकता है, तो संत समाज ये मानता रहा है कि माघ मेले का स्वरूप भी इतना छोटा नहीं होगा। लेकिन, जिस तरह की अव्यवस्था मेले में देखने को मिल रही है, उसे शासन -प्रशासन की विफलता ही कहा जाएगा।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मेले के समय गंगा में जलराशि छोड़े जाने के लिए भी मेला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि गंगा पर सरकारों ने बांध बनाकर नियंत्रण कर रखा है। माघ मेले के समय अनिश्चित प्रवाह से संतों-कल्पवासियों के शिविरों में पानी भर रहा है। इससे साधु-संतों और कल्पवासियों को परेशानी हो रही है। वहीं कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर भी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हमला बोला।

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उन्होंने कहा कि मेला प्रशासन की ओर से ओमिक्रॉन संकट को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्हें यह बताना चाहिए कि आखिर ओमिक्रॉन का खतरा है भी या नहीं है। मेला क्षेत्र में कोरोना के खतरे के नाम पर मास्क न पहनने पर हजारों का चालान किया जा रहा है। 

योगी पर कसा तंज, बोले-सीएम का धर्मनिरपेक्ष होना जरूरी
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी घेरा। उन्होंने कहा कि एक संत मुख्यमंत्री नहीं हो सकता। इसलिए कि जब कोई व्यक्ति संवैधानिक पद पर दायित्व संभालता है तो उसे धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेनी पड़ती है। ऐसे में कोई धार्मिक व्यक्ति ऐसा पद कैसे संभाल सकता है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज के सवाल पर कहा कि एक व्यक्ति एक साथ दो शपथ नहीं ले सकता। एक संत, महंत या पीठाधीश्वर तो हो सकता है, लेकिन वह मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं हो सकता।

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द्वारिका शारदा, ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सोमवार को माघ मेले में फैली अव्यवस्था के लिए मेला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार जहां मेले के लिए पर्याप्त देने की बात कह रही है, वहीं साधु-संत और कल्पवासी सुविधाओं के लिए मारे मारे फिर रहे हैं और प्रशासन बजट का अभाव बताकर पल्ला झाड़ रहा है। धन की कमी आड़े आ रही है तो मेला प्रशासन इसे सार्वजनिक करे। आध्यात्मिक-सांस्कृतिक परंपरा की रक्षा के लिए साधु-संत फंड जुटाकर दे सकते हैं, ताकि मेला हो सके।

त्रिवेणी मार्ग स्थित शंकराचार्य शिविर में सोमवार को पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि माघ मेले के दो स्नान पर्वों के बीतने के बाद भी अभी साधु- संत और कल्पवासी सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं। मेला कार्यालय जाने पर उन्हें बजट की कमी बताई जा रही है। जबकि, योगी सरकार कह रही है कि बजट की कोई कमी नहीं है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अगर वास्तव में बजट की कमी है तो प्रशासन इसकी जानकारी संतों के सामने सार्वजनिक करे।

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