आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण में खेल, 42 ग्राम पंचायत सचिवों को रोका वेतन

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उन्नाव। जिले के 42 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण में जमकर खेल किया गया। लाखों की धनराशि निकाल ली गई लेकिन भवन निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका। इस पर सीडीओ ने जांच कर नौ ब्लाकों के 42 ग्राम पंचायत सचिवों का मार्च का वेतन रोककर स्पष्टीकरण तलब किया है।
समेकित बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के बजट से बनवाए जा रहे आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण अधूरा है।
जिम्मेदारों ने लाखों की धनराशि आहरित कर ली। धन निकासी व उससे कराए गए काम का प्रमाण भी उच्चाधिकारियों को नहीं दिया। मामला जब सीडीओ दिव्यांशु पटेल के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच की। पता चला कि नौ ब्लाकों के 42 ग्राम पंचायत सचिव इसके लिए जिम्मेदार हैं। सभी का मार्च का वेतन रोककर एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है।
सीडीओ ने कहा कि जब तक संबंधित भवनों में जलकल व इज्जत घर की व्यवस्था पूरी नहीं हो जाती, संबंधित सचिवों के मार्च के वेतन आहरण पर रोक रहेगी। वित्तीय वर्ष 2019-2020 व 2020-21 में पंचायतीराज विभाग से प्रति आंगनबाड़ी भवन के निर्माण के लिए 1.06 लाख रुपये दिए गए थे। इसके बाद संबंधित सचिवों से आंगनबाड़ी भवनों में हैंडपंप व इज्जत घर की व्यवस्था किए जाने और उसका उपभोग प्रमाण पत्र मांगा गया था लेकिन कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया गया।

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उन्नाव। जिले के 42 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण में जमकर खेल किया गया। लाखों की धनराशि निकाल ली गई लेकिन भवन निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका। इस पर सीडीओ ने जांच कर नौ ब्लाकों के 42 ग्राम पंचायत सचिवों का मार्च का वेतन रोककर स्पष्टीकरण तलब किया है।

समेकित बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के बजट से बनवाए जा रहे आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण अधूरा है।

जिम्मेदारों ने लाखों की धनराशि आहरित कर ली। धन निकासी व उससे कराए गए काम का प्रमाण भी उच्चाधिकारियों को नहीं दिया। मामला जब सीडीओ दिव्यांशु पटेल के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच की। पता चला कि नौ ब्लाकों के 42 ग्राम पंचायत सचिव इसके लिए जिम्मेदार हैं। सभी का मार्च का वेतन रोककर एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है।

सीडीओ ने कहा कि जब तक संबंधित भवनों में जलकल व इज्जत घर की व्यवस्था पूरी नहीं हो जाती, संबंधित सचिवों के मार्च के वेतन आहरण पर रोक रहेगी। वित्तीय वर्ष 2019-2020 व 2020-21 में पंचायतीराज विभाग से प्रति आंगनबाड़ी भवन के निर्माण के लिए 1.06 लाख रुपये दिए गए थे। इसके बाद संबंधित सचिवों से आंगनबाड़ी भवनों में हैंडपंप व इज्जत घर की व्यवस्था किए जाने और उसका उपभोग प्रमाण पत्र मांगा गया था लेकिन कोई प्रमाण पत्र नहीं दिया गया।

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