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दुनियाभर में घड़ियालों की प्रजाति संकटग्रस्त जीवों की सूची में है। घड़ियालों की 80 फीसदी आबादी चंबल नदी में मौजूद है। चंबल नदी में वर्ष 1979 से घड़ियालों का संरक्षण हो रहा है। हर साल इनकी गणना होती है।
मगरमच्छ की भी नेस्टिंग
घड़ियाल के साथ मगरमच्छ की नेस्टिंग भी शुरू हो गई है। रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि चंबल नदी किनारे और टापू की बालू पर विचरण करने वाली मादा मगरमच्छ पर वन विभाग नजर रख रहा है। मगरमच्छ के घोंसलों की सुरक्षा का इंतजाम किया जाएगा।
मगरमच्छ का कुनबा भी चंबल नदी में तेजी से बढ़ रहा है। वार्षिक गणना रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में 454, 2017 में 562, 2018 में 613, 2019 में 706, 2020 में 710, 2021 में 882 मगरमच्छ चंबल नदी में मिले थे।
साल कछुए ने भी बनाए घोंसले
चंबल नदी में सात दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का संरक्षण हो रहा है। साल प्रजाति के कछुए केवल चंबल नदी में बचे हैं। कछुआ संरक्षण केंद्र गढ़ायता की टीम के अलावा वन विभाग की टीम कछुओं के घोंसलों की रखवाली कर रही है। मई के पहले सप्ताह से अंडों से बच्चे निकलना शुरू होंगे।
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