आगरा: केंद्रीय कानून मंत्री के बयान की निंदा, विरोध में बुधवार को न्यायिक कार्य नहीं करेंगे अधिवक्ता

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सार

अधिवक्ताओं ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू का बयान किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त प्रतीत होता है। कहा कि अगर सांसद और विधायकों ने चालू सत्र में खंडपीठ स्थापना के लिए पहल नहीं की गई तो अधिवक्ता उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

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आगरा में हाईकोर्ट खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति ने लोकसभा में जस्टिस जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट के संबंध में राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव नहीं मिलने के केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के बयान की निंदा की है। मंगलवार को आगरा बार एसोसिएशन के लाइब्रेरी हाल में बैठक आयोजित कर उग्र आंदोलन करने का एलान किया। बुधवार को न्यायिक कार्य से अधिवक्ता विरत रहकर विरोध प्रकट करेंगे।

अधिवक्ताओं ने कहा कि पूर्व में आगरा में मुलाकात के समय केंद्रीय कानून मंत्री ने आयोग की रिपोर्ट का समर्थन किया था। जल्द बेंच स्थापना का भरोसा दिया था। अब वो राज्य सरकार के प्रस्ताव की बात कर रहे हैं। आयोग की रिपोर्ट में आगरा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खंडपीठ के लिए उपयुक्त स्थान बताया गया है।

उग्र आंदोलन की चेतावनी दी

बैठक में समिति के संयोजक प्रवीन श्रीवास्तव, अशोक भारद्वाज, दुर्ग विजय सिंह भैया, वीरेंद्र फौजदार ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री का बयान किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त प्रतीत होता है। आगरा में राजनीतिक शक्ति के अभाव में खंडपीठ की स्थापना का मामला अधर में लटका है। अगर, सांसद और विधायकों ने चालू सत्र में खंडपीठ स्थापना के लिए पहल नहीं की तो अधिवक्ता उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

वर्ष 1981 में भेजा गया था प्रस्ताव 

संघर्ष समिति के महासचिव हेमंत भारद्वाज ने बताया कि केंद्रीय कानून मंत्री ने अपने बयान में कहा कि जस्टिस जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत हुई है। मगर, राज्य सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है, जबकि 14 मार्च 1981 को राज्य सरकार ने प्रस्ताव भेजा था। इसे स्वीकार कर केंद्र सरकार ने खंडपीठ स्थापना के लिए स्थान चयन के लिए आयोग का गठन किया था। 1984 में रिपोर्ट मिल गई थी। इसमें खंडपीठ के लिए आगरा को उपयुक्त स्थान माना गया। इससे 1986 में संसद के पटल पर रखा गया।

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अधिवक्ता निकालेंगे प्रभात फेरी

मीडिया प्रभारी अनूप शर्मा, अधर शर्मा, सदस्य अविनाश शर्मा और देवेंद्र बाजपेयी ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट में अंकित है कि हाईकोर्ट खंडपीठ स्थापना का अधिकार केंद्र सरकार को है। राज्य सरकार से किसी भी प्रकार की सहमति की आवश्यकता नहीं है। अधिवक्ताओं ने ऐलान किया गया कि बुधवार को अधिवक्ता प्रभात फेरी निकालेंगे। न्यायिक कार्य से विरत रहकर विरोध प्रकट करेंगे। 

विस्तार

आगरा में हाईकोर्ट खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति ने लोकसभा में जस्टिस जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट के संबंध में राज्य सरकार की ओर से प्रस्ताव नहीं मिलने के केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू के बयान की निंदा की है। मंगलवार को आगरा बार एसोसिएशन के लाइब्रेरी हाल में बैठक आयोजित कर उग्र आंदोलन करने का एलान किया। बुधवार को न्यायिक कार्य से अधिवक्ता विरत रहकर विरोध प्रकट करेंगे।

अधिवक्ताओं ने कहा कि पूर्व में आगरा में मुलाकात के समय केंद्रीय कानून मंत्री ने आयोग की रिपोर्ट का समर्थन किया था। जल्द बेंच स्थापना का भरोसा दिया था। अब वो राज्य सरकार के प्रस्ताव की बात कर रहे हैं। आयोग की रिपोर्ट में आगरा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खंडपीठ के लिए उपयुक्त स्थान बताया गया है।

उग्र आंदोलन की चेतावनी दी

बैठक में समिति के संयोजक प्रवीन श्रीवास्तव, अशोक भारद्वाज, दुर्ग विजय सिंह भैया, वीरेंद्र फौजदार ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री का बयान किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त प्रतीत होता है। आगरा में राजनीतिक शक्ति के अभाव में खंडपीठ की स्थापना का मामला अधर में लटका है। अगर, सांसद और विधायकों ने चालू सत्र में खंडपीठ स्थापना के लिए पहल नहीं की तो अधिवक्ता उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

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