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सोनू की मां ने बताया कि बेटे का छह साल पहले एक्सीडेंट हो गया था। इसमें कंधे में चोट लग गई थी। तब से वजन नहीं उठा पाता था। इस कारण उसे अपने घर ले आए थे। उसका इलाज भी कराया। ठीक होने के बाद पिता की ट्रक बॉडी बनाने की दुकान पर काम करने लगा।
दो साल से लॉकडाउन होने पर सोनू ने काम करना बंद कर दिया। घर में ही रहता था। भूतल पर मां-बाप, प्रथम तल पर उसका भाई और द्वितीय तल पर घर में सोनू का परिवार रहता था। काम नहीं करने पर उसके बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई थी। जो भी खर्चा होता था, वह मां बाप ही उठाते थे। सभी खर्च राशन से चलता था।
मां का कहना है कि मंगलवार की शाम को 7:00 बजे बेटी सृष्टि नीचे उतर के आई थी। दूध लेकर चली गई। इसके बाद कोई नीचे नहीं आया। बुधवार की सुबह 7:00 बजे बेटा श्याम नीचे उतर के आया। तभी बुआ बीनू आई थी।
उससे ऊपर से कुछ सामान लाने के लिए बोला, लेकिन वह जा नहीं रहा था। इस पर से पूछा तो उसने कहा कि सभी लटक रहे हैं। तब परिवार को घटना की जानकारी हो सकी। परिवार के लोग ऊपर पहुंचे शवों को देखकर चीख पड़े।
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