आजादी के अमृत महोत्सव में मिला आमदनी का अवसर

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उन्नाव। आजादी का अमृत महोत्सव महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए आगे बढ़ने का अवसर लेकर आया है। सीडीओ की पहल पर 42 समूहों की 198 महिलाओं को तिरंगे सिलने का काम दिया गया है। इसके जरिये वह अच्छी कमाई कर बचत भी कर रहीं हैं।
सिलाई, बुनाई के काम से जुड़े समूहों को घर बैठे आसान काम मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। प्रशासन एक लाख झंडे सिलवा रहा है। प्रति झंडा 27 रुपये का भुगतान कर रहा है। वहीं निजी संस्थान भी इन महिला समूहों के माध्यम से खरीदारी कर रहे हैं। और आर्डर मिलने से महिलाएं खुश हैं। उनका कहना है कि अब वह यूनिफार्म सिलने का काम करेंगी।
समूह की सदस्य हुईं और पारंगत
सफीपुर के गौरी स्वयं सहाता समूह की अनीता ने बताया कि प्रति झंडा चार रुपये कमाई हुई। समूह की महिला सदस्य सिलाई में और पारंगत भी हुईं। अब स्कूलों की यूनिफार्म सिलेंगी।
महमूदपुर निवासी अर्चना ने बताया कि झंडा सिलने में थोड़ी सी मेहनत से काफी बचत हुई। उन्होंने एक हजार झंडे सिले और एक सप्ताह में चार हजार रुपये की बचत हुई। आने वाले दिनों में वह कपड़े के थैले, यूनिफार्म सिलने का काम करेंगी।
वर्जन
सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं कोे झंडे सिलवाने का काम दिया गया। महिलाओं ने काफी अच्छा काम किया और समय पर आर्डर भी पूरे किए। आने वाले दिनों में इसी तरह के और काम दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।

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उन्नाव। आजादी का अमृत महोत्सव महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए आगे बढ़ने का अवसर लेकर आया है। सीडीओ की पहल पर 42 समूहों की 198 महिलाओं को तिरंगे सिलने का काम दिया गया है। इसके जरिये वह अच्छी कमाई कर बचत भी कर रहीं हैं।

सिलाई, बुनाई के काम से जुड़े समूहों को घर बैठे आसान काम मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। प्रशासन एक लाख झंडे सिलवा रहा है। प्रति झंडा 27 रुपये का भुगतान कर रहा है। वहीं निजी संस्थान भी इन महिला समूहों के माध्यम से खरीदारी कर रहे हैं। और आर्डर मिलने से महिलाएं खुश हैं। उनका कहना है कि अब वह यूनिफार्म सिलने का काम करेंगी।

समूह की सदस्य हुईं और पारंगत

सफीपुर के गौरी स्वयं सहाता समूह की अनीता ने बताया कि प्रति झंडा चार रुपये कमाई हुई। समूह की महिला सदस्य सिलाई में और पारंगत भी हुईं। अब स्कूलों की यूनिफार्म सिलेंगी।

महमूदपुर निवासी अर्चना ने बताया कि झंडा सिलने में थोड़ी सी मेहनत से काफी बचत हुई। उन्होंने एक हजार झंडे सिले और एक सप्ताह में चार हजार रुपये की बचत हुई। आने वाले दिनों में वह कपड़े के थैले, यूनिफार्म सिलने का काम करेंगी।

वर्जन

सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने बताया कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं कोे झंडे सिलवाने का काम दिया गया। महिलाओं ने काफी अच्छा काम किया और समय पर आर्डर भी पूरे किए। आने वाले दिनों में इसी तरह के और काम दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।

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