आठ साल की उम्र में अविमुक्तेश्वरानंद ने ली थी दीक्षा , 40 साल पहले स्वरूपानंद के संपर्क में आए

0
38

[ad_1]

ख़बर सुनें

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष्पीठ की कमान मिली है। वह जिले की पट्टी तहसील के बाभनपुर गांव के रहने वाले हैं। आठ साल की उम्र में दीक्षा लेने के बाद वह स्वामी स्वरूपानंद के साथ हो लिए थे। सोमवार को वैदिक मंत्रों के बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ( उमाशंकर पांडेय) को ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य बनाया गया। इससे संत समाज में खुशी की लहर है।

जिले के पट्टी तहसील के बाभनपुर गांव निवासी स्व. रामसुमेर पांडेय के दो बेटे गिरिजाशंकर पांडेय व उमाशंकर पांडेय व छह बेटियां हैं। उमांशकर पांचवें नंबर पर थे। उनका जन्म 15 अगस्त 1969 को हुआ था।  वह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। कक्षा छह तक की पढ़ाई गांव से की। उनकी माता का नाम अनारा देवी था। रामसुमेर पांडेय ने आगे की पढ़ाई के लिए उमाशंकर को बाहर भेजने का निर्णय लिया। इस बीच उनका गुजरात जाना हुआ। यहां उनका संपर्क गुजरात स्थित काशी मंदिर में रहने वाले राम चैतन्य से हुआ। कई बार उनके साथ बैठकर पं रामसुमेर सत्संग किया करते। वह एक बार उमाशंकर को भी लेकर मंदिर पहुंचे। कई दिनों तक वह वहां रहे। 

फिर बेटे उमाशंकर को रामचैतन्य के पास छोड़ दिया। यहीं रहकर उमाशंकर पूजन-पाठ और पढ़ाई करने लगे। पांच साल तक पढ़ाई करने के बाद वह काशी पहुंचे। किसान पीठाधीश्वर योगीराज सरकार ने बताया कि काशी में ही उमाशंकर स्वामी करपात्रीजी के संपर्क में आए और उन्हीं के पास रहने लगे। यहीं उनकी भेंट स्वामी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से हुई। इसके बाद उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से पढ़ाई की।  वर्ष 2000 में उन्होंने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से दीक्षा ली और उनके शिष्य बन गए। फिर उमाशंकर पांडेय से वह स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हो गए। 

यह भी पढ़ें -  यूपी के मंत्री संजय निषाद का बयान कहा हर मंदिर के बगल से मस्जिद हटना चाहिए

दो बहनों ने भी लिया था संन्यास 
किसान देवता मंदिर के पीठाधीश्वर योगीराज सरकार ने बताया कि अविमुक्तेश्वरानंद की छह बहनें थीं। चार बहनों की शादी हो गई। जबकि दो बहनें शारदांबा व पूर्णांबा ने संन्यास ले लिया था।

विस्तार

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष्पीठ की कमान मिली है। वह जिले की पट्टी तहसील के बाभनपुर गांव के रहने वाले हैं। आठ साल की उम्र में दीक्षा लेने के बाद वह स्वामी स्वरूपानंद के साथ हो लिए थे। सोमवार को वैदिक मंत्रों के बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ( उमाशंकर पांडेय) को ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य बनाया गया। इससे संत समाज में खुशी की लहर है।

जिले के पट्टी तहसील के बाभनपुर गांव निवासी स्व. रामसुमेर पांडेय के दो बेटे गिरिजाशंकर पांडेय व उमाशंकर पांडेय व छह बेटियां हैं। उमांशकर पांचवें नंबर पर थे। उनका जन्म 15 अगस्त 1969 को हुआ था।  वह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। कक्षा छह तक की पढ़ाई गांव से की। उनकी माता का नाम अनारा देवी था। रामसुमेर पांडेय ने आगे की पढ़ाई के लिए उमाशंकर को बाहर भेजने का निर्णय लिया। इस बीच उनका गुजरात जाना हुआ। यहां उनका संपर्क गुजरात स्थित काशी मंदिर में रहने वाले राम चैतन्य से हुआ। कई बार उनके साथ बैठकर पं रामसुमेर सत्संग किया करते। वह एक बार उमाशंकर को भी लेकर मंदिर पहुंचे। कई दिनों तक वह वहां रहे। 

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here