आयुष कॉलेजों के दाखिले में हेराफेरी: देशभर के कॉलेजों में भी खेल की आशंका, ठेका व्यवस्था पर उठे सवाल

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प्रतीकात्मक तस्वीर

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– फोटो : Social Media

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उत्तर प्रदेश के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले में हेराफेरी सामने आने के बाद अन्य राज्यों में भी इस तरह का खेल होने की आशंका है। आयुष मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों में ठेका पद्धति पर काउंसिलिंग कराने की व्यवस्था से इसकी आशंका बढ़ गई है। प्रदेश के एमबीबीएस व बीडीएस कॉलेजों में दाखिला चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय के जरिए होता है। चिकित्सा शिक्षा विभाग नोडल सेंटर बनाता है और एनआईसी के जरिए सेंटर प्रभारी को पासवर्ड जारी किया जाता है। उसी पासवर्ड से सॉफ्टवेयर के जरिए मेरिट सूची तैयार होती है। फिर उसी मेरिट के आधार पर अलॉटमेंट लेटर जारी किया जाता है।

दूसरी तरफ आयुष कॉलेजों में दाखिले की जिम्मेदारी आयुर्वेद निदेशालय को दी गई थी। आयुष मंत्रालय से काउंसिलिंग के लिए अपट्रॉन को जिम्मेदारी दी गई। फिर यहां से आईटी सेक्टर के वेंडर तय किए गए। इस वेंडर ने छात्रों के परीक्षा परिणाम के आधार पर कटऑफ  तैयार किया। डाटा का पूरा रखरखाव इन्हीं एजेंसियों के पास था। यह व्यवस्था पूरे देश में लागू थी। जानकारों का कहना है कि जिस तरह का खेल यूपी में हुआ है। उस तरह का खेल दूसरे राज्यों में होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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छह छात्रों के निलंबन के बाद कॉलेज में हलचल, पुलिस तैनात
राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय लखनऊ के छह छात्रों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें अदिति मिश्रा, खुशबू पटेल, रुचि भार्गव, संध्या सत्यजीत राय और तौसीफ शामिल हैं। इन छात्रों के निलंबन से कॉलेज हॉस्टल में हलचल मची है। आगे क्या होगा, छात्र सशंकित हैं। इन छात्रों के हॉस्टल के आसपास सुरक्षाकर्मियों को भी तैनात किया गया है।

बिना दाखिला परीक्षा कराने में निलंबित हो चुके हैं निदेशक
आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में बिना दाखिला परीक्षा कराने का मामला भी सामने आ चुका है। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय से वर्ष 2016 में पहली बार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग कराई गई। अलीगढ़ के कॉलेज में 60 सीट में सिर्फ दो छात्रों को दाखिला दिया गया, लेकिन परीक्षा 60 सीट पर कराई गई। इसी तरह वर्ष 2020 में एसआरएस आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज आगरा में 32 छात्रों को प्रवेश दिया गया, जबकि परीक्षा 60 छात्रों की करा दी गई। इस मामले में 25 मई 2022 को आयुर्वेद निदेशक (पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन) प्रो. सुरेश चंद्र को निलंबित किया जा चुका है। मामले की जांच लखनऊ मंडलायुक्त कर रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिले में हेराफेरी सामने आने के बाद अन्य राज्यों में भी इस तरह का खेल होने की आशंका है। आयुष मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों में ठेका पद्धति पर काउंसिलिंग कराने की व्यवस्था से इसकी आशंका बढ़ गई है। प्रदेश के एमबीबीएस व बीडीएस कॉलेजों में दाखिला चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय के जरिए होता है। चिकित्सा शिक्षा विभाग नोडल सेंटर बनाता है और एनआईसी के जरिए सेंटर प्रभारी को पासवर्ड जारी किया जाता है। उसी पासवर्ड से सॉफ्टवेयर के जरिए मेरिट सूची तैयार होती है। फिर उसी मेरिट के आधार पर अलॉटमेंट लेटर जारी किया जाता है।

दूसरी तरफ आयुष कॉलेजों में दाखिले की जिम्मेदारी आयुर्वेद निदेशालय को दी गई थी। आयुष मंत्रालय से काउंसिलिंग के लिए अपट्रॉन को जिम्मेदारी दी गई। फिर यहां से आईटी सेक्टर के वेंडर तय किए गए। इस वेंडर ने छात्रों के परीक्षा परिणाम के आधार पर कटऑफ  तैयार किया। डाटा का पूरा रखरखाव इन्हीं एजेंसियों के पास था। यह व्यवस्था पूरे देश में लागू थी। जानकारों का कहना है कि जिस तरह का खेल यूपी में हुआ है। उस तरह का खेल दूसरे राज्यों में होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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छह छात्रों के निलंबन के बाद कॉलेज में हलचल, पुलिस तैनात

राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय लखनऊ के छह छात्रों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें अदिति मिश्रा, खुशबू पटेल, रुचि भार्गव, संध्या सत्यजीत राय और तौसीफ शामिल हैं। इन छात्रों के निलंबन से कॉलेज हॉस्टल में हलचल मची है। आगे क्या होगा, छात्र सशंकित हैं। इन छात्रों के हॉस्टल के आसपास सुरक्षाकर्मियों को भी तैनात किया गया है।

बिना दाखिला परीक्षा कराने में निलंबित हो चुके हैं निदेशक

आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में बिना दाखिला परीक्षा कराने का मामला भी सामने आ चुका है। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय से वर्ष 2016 में पहली बार आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग कराई गई। अलीगढ़ के कॉलेज में 60 सीट में सिर्फ दो छात्रों को दाखिला दिया गया, लेकिन परीक्षा 60 सीट पर कराई गई। इसी तरह वर्ष 2020 में एसआरएस आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज आगरा में 32 छात्रों को प्रवेश दिया गया, जबकि परीक्षा 60 छात्रों की करा दी गई। इस मामले में 25 मई 2022 को आयुर्वेद निदेशक (पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन) प्रो. सुरेश चंद्र को निलंबित किया जा चुका है। मामले की जांच लखनऊ मंडलायुक्त कर रहे हैं।



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