आरईएस के सेवानिवृत्त लिपिक ने लगाए पत्नी के फर्जी चिकित्सा बिल

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उन्नाव। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईएस) के सेवानिवृत्त लिपिक ने पत्नी के नाम से चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान हासिल करने के लिए फर्जी बिल लगा दिए।
शिकायत पर जांच हुई तो पूरा मामला खुला। इसके बाद विभाग के अधिशासी अभियंता ने सीएमओ को पत्र भेजा। सीएमओ ने पत्र मिलने के बाद प्रतिपूर्ति के लिए की गई संस्तुति को निरस्त कर दिया है।
दरोगाबाग पीएनखेड़ा निवासी रवि मोहन मिश्रा आरईएस विभाग में कनिष्ठ सहायक पद से सेवानिवृत्त हैं। 6 अप्रैल 2022 को उन्होंने पत्नी विमलेश मिश्रा की बीमारी के जीवन ज्योति हास्पिटल हेल्थ केयर सेंटर बर्रा कानपुर नगर में कथित रूप से कराए गए चिकित्सा व्यय के बाउचर सत्यापन के लिए विभाग को उपलब्ध कराए थे।
इसके जरिए 1.65 लाख की चिकित्सा प्रतिपूर्ति की मांग की थी। इसी दौरान लखनऊ के बक्शीखेड़ा निवासी अनूप सिंह ने अधिकारियों को शिकायतीपत्र देकर उपचार के बिल फर्जी होने के आरोप लगाए गए थे।
तब शिकायत की जांच के लिए एक्सईएन एसके जैन ने तीन सदस्यीय टीम गठित की थी। टीम में सहायक अभियंता रोहित पाल, प्रखंडीय लेखाधिकारी हरिकांत रस्तोगी और प्रधान सहायक रामदास सिंह थे। जांच टीम ने कानपुर स्थित हास्पिटल जाकर जांच की।
टीम ने जांच रिपोर्ट में बताया कि हॉस्पिटल प्रशासन ने लिपिक द्वारा लगाए गए लेटर पैड अस्पताल के होने से इंकार किया है।
वहीं, कार्डियोलॉजी के डॉ. रमेश ठाकुर ने भी मोहर व हस्ताक्षर फर्जी करार दिए। तब एक्सईएन ने सीएमओ को इस संबंध में पत्र भेजा। उधर, एक्सईएन एसके जैन ने मामले की जानकारी के लिए फोन किया तो उन्होंने बैठक में होने की बात कही।
जब भी किसी कर्मचारी द्वारा चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन किया जाता है तो नियमानुसार उसके लिए सीएमओ से संस्तुति लेना जरूरी है।
जब रवि मोहन मिश्रा ने पत्नी के इलाज का दावा कर व्यय बाउचर विभाग में जमा किए तो उसे मुख्य चिकित्साधिकारी को भेजा गया था।
बाद में जब जांच में बाउचर फर्जी होने की पुष्टि हुई तो इसकी जानकारी सामने आने पर सीएमओ ने संस्तुति को निरस्त करते हुए पत्र एक्सईएन को भेज दिया।

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उन्नाव। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईएस) के सेवानिवृत्त लिपिक ने पत्नी के नाम से चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान हासिल करने के लिए फर्जी बिल लगा दिए।

शिकायत पर जांच हुई तो पूरा मामला खुला। इसके बाद विभाग के अधिशासी अभियंता ने सीएमओ को पत्र भेजा। सीएमओ ने पत्र मिलने के बाद प्रतिपूर्ति के लिए की गई संस्तुति को निरस्त कर दिया है।

दरोगाबाग पीएनखेड़ा निवासी रवि मोहन मिश्रा आरईएस विभाग में कनिष्ठ सहायक पद से सेवानिवृत्त हैं। 6 अप्रैल 2022 को उन्होंने पत्नी विमलेश मिश्रा की बीमारी के जीवन ज्योति हास्पिटल हेल्थ केयर सेंटर बर्रा कानपुर नगर में कथित रूप से कराए गए चिकित्सा व्यय के बाउचर सत्यापन के लिए विभाग को उपलब्ध कराए थे।

इसके जरिए 1.65 लाख की चिकित्सा प्रतिपूर्ति की मांग की थी। इसी दौरान लखनऊ के बक्शीखेड़ा निवासी अनूप सिंह ने अधिकारियों को शिकायतीपत्र देकर उपचार के बिल फर्जी होने के आरोप लगाए गए थे।

तब शिकायत की जांच के लिए एक्सईएन एसके जैन ने तीन सदस्यीय टीम गठित की थी। टीम में सहायक अभियंता रोहित पाल, प्रखंडीय लेखाधिकारी हरिकांत रस्तोगी और प्रधान सहायक रामदास सिंह थे। जांच टीम ने कानपुर स्थित हास्पिटल जाकर जांच की।

टीम ने जांच रिपोर्ट में बताया कि हॉस्पिटल प्रशासन ने लिपिक द्वारा लगाए गए लेटर पैड अस्पताल के होने से इंकार किया है।

वहीं, कार्डियोलॉजी के डॉ. रमेश ठाकुर ने भी मोहर व हस्ताक्षर फर्जी करार दिए। तब एक्सईएन ने सीएमओ को इस संबंध में पत्र भेजा। उधर, एक्सईएन एसके जैन ने मामले की जानकारी के लिए फोन किया तो उन्होंने बैठक में होने की बात कही।

जब भी किसी कर्मचारी द्वारा चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन किया जाता है तो नियमानुसार उसके लिए सीएमओ से संस्तुति लेना जरूरी है।

जब रवि मोहन मिश्रा ने पत्नी के इलाज का दावा कर व्यय बाउचर विभाग में जमा किए तो उसे मुख्य चिकित्साधिकारी को भेजा गया था।

बाद में जब जांच में बाउचर फर्जी होने की पुष्टि हुई तो इसकी जानकारी सामने आने पर सीएमओ ने संस्तुति को निरस्त करते हुए पत्र एक्सईएन को भेज दिया।

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