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मादा श्वान अपने पिल्लों की खोज में भटक रही थी। वह बार-बार सबमर्सिबल पंप के पास पहुंच जा रही थी। ग्रामीण उसके पीछे-पीछे बोरवेल तक गए तो लोगों को घटना की जानकारी हुई। इसके बाद प्रधान और गांव के लोग मौके पर जुट गए। सूचना पर ककुआ चौकी प्रभारी अमित कुमार, लेखपाल सत्येंद्र कुशवाह भी पहुंचे।
बुलडोजर मंगाकर पिल्लों को बचाने की कवायद शुरू की गई। बोरवेल के चारों ओर बुलडोजर से खुदाई की गई। रात करीब 10 बजे करीब 25 फीट गहरे पाइप में बोर से पिल्लों को निकाला जा सका। इसमें तीन पिल्ले मर चुके थे। दो सुरक्षित बच गए हैं। चौकी प्रभारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
रविवार को इसी तरह का दूसरा मामला न्यू आगरा में सामने आया। यहां ओम साईं सेंटर के पास बोरी में बंद करके 16 पिल्लों को फेंक दिया गया था। इलाके के रहने वाले भाई-बहन ने बोरी में हलचल होते देखकर इसे खोला तो पिल्ले निकले। इसके बाद कैस्पर्स होम की टीम को फोन किया तो टीम ने पिल्लों को रेस्क्यू किया।
कैस्पर्स होम की संस्थापक विनीता अरोड़ा ने बताया कि न्यू आगरा में 16 पिल्ले बोरी में बंद मिले थे, जिन्हें दो बच्चों ने बचाया था। सोमवार को टीम इन्हें रेस्क्यू करके सेंटर पर लगाई तो बोतल से दूध पिलाने की कवायद में सभी वालंटियर्स जुट गए, लेकिन कई पिल्लों की आंखें भी नहीं खुली थीं।
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