इलाज के लिए उन्नाव या लखनऊ की दौड़ लगाने की मजबूरी

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औरास। ब्लॉक क्षेत्र में संचालित सीएचसी में तीन साल बाद भी न विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न उपकरण। गंभीर घायलों, गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों को 55 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल व 65 किलोमीटर लखनऊ ट्रामा सेंटर जाना पड़ता है।
नगर पंचायत औरास की 61 ग्राम पंचायतों की आबादी करीब पौने दो लाख है। 2019 में यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन शुरू किया गया था। लोगों को अच्छा इलाज मिलने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सीएचसी में न एमडी फिजीशियन हैं और न स्त्री रोग विशेषज्ञ। स्टाफ नर्स प्रसव कराती है। गंभीर हाल में गर्भवतियों को जिला अस्पताल या क्वीन मैरी अस्पताल लखनऊ रेफर कर दिया जाता है। सिर्फ चार मेडिकल ऑफीसर तैनात हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने बताया कि सीएचसी में विशेषज्ञों की तैनाती के लिए पत्राचार किया गया है। जल्द ही विशेषज्ञों की तैनाती का आश्वासन भी मिला है।
निजी पैथोलॉजी से जांच की मजबूरी
सीएचसी में एक्सरे व अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। रोजाना 100 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। सुविधा न होने से निजी पैथोलॉजी जाकर 600 से 700 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
पूरी नहीं हुई उम्मीद
ब्लॉक क्षेत्र के गांव थरिया निवासी अतुल कुमार यादव का कहना है कि सीएचसी बनने के बाद उम्मीद थी कि अब मरीजों को यहीं लाभ मिलेगा। विशेषज्ञ व डॉक्टर न होने से सीएचसी रेफर सेंटर बनकर रह गया है।
औरास कस्बा निवासी अनुज मिश्र ने बताया कि कहने को सीएचसी है। बिल्डिंग खड़ी कर दी गई लेकिन मरीजों को जो परेशानी पहले थी, वही बनी हुई है। गंभीर मरीजों को उन्नाव व लखनऊ जाना पड़ रहा है।

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औरास। ब्लॉक क्षेत्र में संचालित सीएचसी में तीन साल बाद भी न विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न उपकरण। गंभीर घायलों, गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों को 55 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल व 65 किलोमीटर लखनऊ ट्रामा सेंटर जाना पड़ता है।

नगर पंचायत औरास की 61 ग्राम पंचायतों की आबादी करीब पौने दो लाख है। 2019 में यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन शुरू किया गया था। लोगों को अच्छा इलाज मिलने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सीएचसी में न एमडी फिजीशियन हैं और न स्त्री रोग विशेषज्ञ। स्टाफ नर्स प्रसव कराती है। गंभीर हाल में गर्भवतियों को जिला अस्पताल या क्वीन मैरी अस्पताल लखनऊ रेफर कर दिया जाता है। सिर्फ चार मेडिकल ऑफीसर तैनात हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने बताया कि सीएचसी में विशेषज्ञों की तैनाती के लिए पत्राचार किया गया है। जल्द ही विशेषज्ञों की तैनाती का आश्वासन भी मिला है।

निजी पैथोलॉजी से जांच की मजबूरी

सीएचसी में एक्सरे व अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं है। रोजाना 100 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। सुविधा न होने से निजी पैथोलॉजी जाकर 600 से 700 रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

पूरी नहीं हुई उम्मीद

ब्लॉक क्षेत्र के गांव थरिया निवासी अतुल कुमार यादव का कहना है कि सीएचसी बनने के बाद उम्मीद थी कि अब मरीजों को यहीं लाभ मिलेगा। विशेषज्ञ व डॉक्टर न होने से सीएचसी रेफर सेंटर बनकर रह गया है।

औरास कस्बा निवासी अनुज मिश्र ने बताया कि कहने को सीएचसी है। बिल्डिंग खड़ी कर दी गई लेकिन मरीजों को जो परेशानी पहले थी, वही बनी हुई है। गंभीर मरीजों को उन्नाव व लखनऊ जाना पड़ रहा है।

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