इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जिस छात्रसंघ की बहाली के लिए छात्र तीन साल से जूझ रहे हैं, उसी छात्रसंघ से नकले छात्र नेताओं ने राजनीति, शिक्षा, कानून, धर्म-संस्कृति समेत हर क्षेत्र में आंदोलनों की अगुवाई की और शीर्ष पदों पर काबिज रहे। देश के चौथे सबसे पुराने विश्वविद्यालय के इस छात्रसंघ ने देश को विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर के रूप में दो प्रधानमंत्री भी दिए, जिनका पूरा जीवन संघर्षों के लिए याद किया जाता है। इमरजेंसी के बाद ‘बोफोर्स घोटाला’ को लेकर चले आंदोलन और ‘मंडल कमीशन’ को सबसे बड़े सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तन के तौर पर देखा जाता है।
इन दोनों ही आंदोलनों के नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने राजनीति का यह तेवर छात्रसंघ का उपाध्यक्ष रहते हुए ही सीखा था। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर कार्यकारिणी सदस्य रहे। कभी देश और कांग्रेस की राजनीति का धुरी रहे एनडी तिवारी तिवारी 1947 में यहां के छात्रसंघ अध्यक्ष थे। राज्यपाल और मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके मदन लाल खुराना भी छात्रसंघ पदाधिकारी रहे।
1948-49 में यूनियन के अध्यक्ष रहे सुभाष कश्यप की संसद और विधानमंडल में एक निश्चित सीमा के अंदर मंत्रिमंडल के विस्तार जैसे कई अहम निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1940-41 में यूनियन के अध्यक्ष रहे डॉ. डीएस कोठारी ने उच्च शिक्षा को नए आयाम दिए। भारत के मुख्य न्यायमूर्ति रहे जेएस वर्मा और प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर जेके मेहता भी यूनियन के अध्यक्ष रहे।
‘पूरब का आक्सफोर्ड कहलाए जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती शुरू होने के बाद ज्यादातर विभागों में विश्वस्तरीय शिक्षक हैं। हमें प्रयास करना है कि विश्वविद्यालय शिक्षा के उच्चतम स्तर को प्राप्त करे और अपने गौरव को पुनर्स्थापित करे। नई पीढ़ी सुशिक्षित हो और हर वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिले। – ’ प्रो. संगीता श्रीवास्तव, कुलपति, इविवि
‘इविवि में शोध और इंफ्रास्ट्रक्चर की बेहतरी के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है। इन पर काम भी शुरू हो गया है। नए शिक्षकों की नियुक्ति से विश्वविद्यालय में शोध को नए आयाम मिलेंगे और रैंकिंग में अच्छे से अच्छा स्थान प्राप्त कर हम विश्वविद्यालय के गौरव को पुनर्स्थापित करने में सफल होंगे। -’ प्रो. एसआई रिजवी, डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इविवि
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जिस छात्रसंघ की बहाली के लिए छात्र तीन साल से जूझ रहे हैं, उसी छात्रसंघ से नकले छात्र नेताओं ने राजनीति, शिक्षा, कानून, धर्म-संस्कृति समेत हर क्षेत्र में आंदोलनों की अगुवाई की और शीर्ष पदों पर काबिज रहे। देश के चौथे सबसे पुराने विश्वविद्यालय के इस छात्रसंघ ने देश को विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर के रूप में दो प्रधानमंत्री भी दिए, जिनका पूरा जीवन संघर्षों के लिए याद किया जाता है। इमरजेंसी के बाद ‘बोफोर्स घोटाला’ को लेकर चले आंदोलन और ‘मंडल कमीशन’ को सबसे बड़े सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तन के तौर पर देखा जाता है।
इन दोनों ही आंदोलनों के नेता रहे पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने राजनीति का यह तेवर छात्रसंघ का उपाध्यक्ष रहते हुए ही सीखा था। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर कार्यकारिणी सदस्य रहे। कभी देश और कांग्रेस की राजनीति का धुरी रहे एनडी तिवारी तिवारी 1947 में यहां के छात्रसंघ अध्यक्ष थे। राज्यपाल और मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके मदन लाल खुराना भी छात्रसंघ पदाधिकारी रहे।