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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी भूमि संबंधी विवादों के मामले में गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि डीएम और एसडीएम निजी भूमि संपत्ति के विवादों में कोई दखल न दें। कोर्ट ने यह भी कहा कि ये प्रशासनिक अफसर सरकार के आदेशों का भी अनुपालन नहीं कर रहे हैं और मनमाना आदेश पारित कर रहे हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार केप्रमुख सचिव को मामले को देखने का निर्देश दिया। कहा कि वह इस संबंध में सुधारात्मक उपाय करें।
कोर्ट ने मामले में डीएम मथुरा को याची केप्रत्यावेदन पर तीन हफ्ते में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया और कहा कि याची का प्रत्यावेदन सही पाया जाता है तो उसके मामले में प्रशासनिक और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई दखल नहीं दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव को भेज दी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने मथुरा की कंस्ट्रक्शन कंपनी श्री एनर्जी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया।
मामले में याची के अधिवक्ता क्षितिज शैलेंद्र ने तर्क दिया कि याची द्वारा तीन प्लाट क्रय करके मथुरा वृंदावन प्राधिकरण से नक्शे की स्वीकृति मिलने के बाद आवासीय प्रोजेक्ट का निर्माण कराया जा रहा था। कुछ लोगों ने मथुरा सदर एसडीएम से शिकायत की। इस पर एसडीएम सदर ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। जबकि, याची ने भूमि क्रय की थी और नगर निगम तथा विकास प्राधिकरण की मंजूरी ले ली थी।
एसडीएम को निषेधाज्ञा पारित करने का कोई अधिकार नहीं है। याची ने डीएम के समक्ष प्रत्यावेदन दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि इस तरह की शिकायतें लगातार आ रही हैं। जिसके बाद कोर्ट ने एसडीएम और डीएम को दखल न देने का आदेश देते हुए प्रमुख सचिव से इस मामले में सुधारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
विधि की सेमेस्टर परीक्षा के विरोध में दाखिल याचिका पर जानकारी तलब
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सात जुलाई से प्रस्तावित एलएलबी प्रथम एवं चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षाएं निरस्त किए जाने की मांग को लेकर 17 दिनों से आंदोलन कर रहे छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने इविवि से जानकारी मांगी है। इसके लिए विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने एक दिन का समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने प्रवीन कुमार सोनी व 22 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
याचियों की ओर से मांग की गई है कि उनकी परीक्षा ओपन बुक या एसाइनमेंट आधारित मूल्यांकन के माध्यम से कराई जाए। याची के अधिवक्ता अखिलेश त्रिपाठी ने तर्क दिया कि कोविड-19 के कारण सत्र काफी पिछड़ गया है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार एक सेमेस्टर की कक्षाएं कम से कम 15 सप्ताह की होनी चाहिए, लेकिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में केवल 48 दिन यानी सात हफ्ते तक ही कक्षाएं चलीं।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी भूमि संबंधी विवादों के मामले में गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि डीएम और एसडीएम निजी भूमि संपत्ति के विवादों में कोई दखल न दें। कोर्ट ने यह भी कहा कि ये प्रशासनिक अफसर सरकार के आदेशों का भी अनुपालन नहीं कर रहे हैं और मनमाना आदेश पारित कर रहे हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार केप्रमुख सचिव को मामले को देखने का निर्देश दिया। कहा कि वह इस संबंध में सुधारात्मक उपाय करें।
कोर्ट ने मामले में डीएम मथुरा को याची केप्रत्यावेदन पर तीन हफ्ते में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया और कहा कि याची का प्रत्यावेदन सही पाया जाता है तो उसके मामले में प्रशासनिक और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई दखल नहीं दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि आदेश की कॉपी प्रमुख सचिव को भेज दी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान ने मथुरा की कंस्ट्रक्शन कंपनी श्री एनर्जी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया।
मामले में याची के अधिवक्ता क्षितिज शैलेंद्र ने तर्क दिया कि याची द्वारा तीन प्लाट क्रय करके मथुरा वृंदावन प्राधिकरण से नक्शे की स्वीकृति मिलने के बाद आवासीय प्रोजेक्ट का निर्माण कराया जा रहा था। कुछ लोगों ने मथुरा सदर एसडीएम से शिकायत की। इस पर एसडीएम सदर ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। जबकि, याची ने भूमि क्रय की थी और नगर निगम तथा विकास प्राधिकरण की मंजूरी ले ली थी।
एसडीएम को निषेधाज्ञा पारित करने का कोई अधिकार नहीं है। याची ने डीएम के समक्ष प्रत्यावेदन दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि इस तरह की शिकायतें लगातार आ रही हैं। जिसके बाद कोर्ट ने एसडीएम और डीएम को दखल न देने का आदेश देते हुए प्रमुख सचिव से इस मामले में सुधारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
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