उत्तर प्रदेश चुनाव: कालिया नाग से भी ज्यादा प्रदूषित है यमुना, मंत्री श्रीकांत की बजाय अब केवल पीएम मोदी और भगवान पर ही भरोसा!

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सार

वृंदावन निवासी महंत मधुमंगल शरण दास शुक्ला अमर उजाला से चर्चा करते हुए कहते हैं कि जिस दिन भाजपा की सरकार बनी थी उस दिन हमारे विधायक श्रीकांत शर्मा ने वादा किया था कि एक जनवरी 2022 तक यमुना नदी पूरी तरह से स्वच्छ हो जाएगी, लेकिन अब तक स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है। पढ़ें वृंदावन धाम से हमारे विशेष संवाददाता की ग्राउंड रिपोर्ट…

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राधे-राधे और जय श्रीकृष्णा से गूंजने वाली मथुरा, वृंदावन की गलियों में इन दिनों चुनावी नारों का शोर सुनाई दे रहा है। चाहे भाजपा, कांग्रेस हो या फिर सपा-आरएलडी गठबंधन सभी ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। एक ओर जहां योगी सरकार में मंत्री श्रीकांत शर्मा वृंदावन में नंगे पैर घूम कर लोगों से वोट मांगते दिख रहे हैं, तो वही दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रदीप माथुर को जीत दिलाने के लिए महासचिव प्रियंका गांधी भी मैदान में उतरी है। लेकिन इस चुनावी हल्ले के मुख्य मुद्दे में मथुरा और वृंदावन की अहम कड़ी यमुना नदी पूरी तरह से नदारद है। उम्मीदवार भले ही नदी की सफाई को लेकर दावे करते नजर आ रहे हैं, लेकिन किसी के भी पास यमुना नदी को स्वच्छ करने की कोई ठोस योजना नहीं है। यमुना की सफाई को लेकर वर्षों से लड़ाई लड़ रहे लोगों का कहना है कि आज की यमुना में कालिया नाग से भी ज्यादा प्रदूषण है। वर्तमान विधायक मंत्री श्रीकांत शर्मा पांच वर्ष में एक बार भी स्नान करना तो दूर आचमन करने तक नहीं आए।

चार लोगों ने मिलकर बिगाड़ दी दशा

यमुना नदी की सफाई के लिए सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट, और एनजीटी में 12 वर्षों से केस लड़ रहे वृंदावन निवासी महंत मधुमंगल शरण दास शुक्ला अमर उजाला से चर्चा करते हुए कहते हैं कि देशभर से ब्रज, वृंदावन, मथुरा, बरसाना और गोवर्धन धाम में रोज करीब लाखों लोग आते हैं। लेकिन इत्र वाले के मित्र धनकुबेर, बड़े अपराधी, अफसर और नेताओं की मिलीभगत ने कभी इस क्षेत्र का विकास और यमुना नदी का शुद्धिकरण कभी होने ही नहीं दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने यमुना नदी की सफाई और मथुरा जनपद के विकास के लिए उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद का गठन जरूर किया, लेकिन जमीन आज तक कोई काम नहीं दिखाई देता है। 42 करोड़ की लागत से सड़कों का विकास किया गया लेकिन बारिश में यह सभी सड़कों में पानी भर जाता है।

मंदिर छोटे हो रहे भवन बड़े होते जा रहे

महंत शुक्ला आरोप लगाते हुए कहते है कि जिस दिन भाजपा की सरकार बनी थी उस दिन हमारे विधायक श्रीकांत शर्मा ने वादा किया था कि एक जनवरी 2022 तक यमुना नदी पूरी तरह से स्वच्छ हो जाएगी, लेकिन जनवरी निकल गई, चुनाव आ गया अब तक स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है। मथुरा जनपद के करीब 200 नाले यमुना नदी में आकर मिलते हैं। लेकिन कोई सफाई नहीं होती है। आज क्षेत्र के बिल्डर माफिया नदी के हिस्से पर राज कर रहे हैं। अतिक्रमण कर अवैध तरीके से इमारतों का निर्माण कर रहे हैं।

वर्तमान योगी सरकार ने मथुरा वृंदावन जनपद का 2031 का मास्टर प्लान बनाया है। लेकिन अफसर बिना विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों की दावे आपत्ति जाने बगैर ही उसे लागू करने पर जोर दे रहे हैं। जब हम सभी लोगों ने इसका विरोध किया तो सरकार ने स्थानीय लोगों के दावे आपत्ति सुनने की तारीख को आगे बढ़ा दिया। आज पूरे वृंदावन में मंदिर छोटे होते जा रहे हैं, लेकिन बिल्डरों के भवन ऊंचे होते जा रहे है।

कालिया नाग से ज्यादा प्रदूषण है अभी यमुना में

शुक्ला का कहना है कि यमुना नदी के प्रदूषण जांचने के लिए 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक टीम का गठन किया था। उस टीम ने मथुरा जनपद में कई जगह जाकर यमुना नदी के पानी का सैंपल लिया था। इसके बाद केस देख रहे जज ही सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद से लेकर आज तक प्रदूषण को लेकर कोई जांच नहीं हुई। आज यमुना जी में कालिया नाग से भी ज्यादा प्रदूषण हो गया है। लोग स्नान करना तो दूर, आचमन करने से भी बचते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन कुछ श्रद्धालु प्रदूषण होने के बाद भी श्रद्धाभाव से नाले के पानी युक्त यमुना जी में स्नान भी करते हैं। पीएम ने तो वाराणसी में गंगा घाटों को सुधार दिया और वहां गंगा को प्रदूषण से मुक्त भी कर दिया, लेकिन वृंदावन में यमुना की स्थिति बहुत ही खराब हैं। यहां के विधायक और सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा तो पांच साल में एक बार भी स्नान करना तो दूर आचमन करने तक नहीं आए।

भगवान और पीएम मोदी पर ही अब भरोसा

शुक्ला कहते है कि सभी कोर्ट में केस लड़कर और जनप्रतिनिधियों के पास गुहार लगाकर सभी स्थानीय निवासी भी हार मान चुके हैं। अब हमें केवल पीएम मोदी और भगवान पर ही भरोसा है कि वही कुछ रास्ता निकालेंगे। क्योंकि पीएम मोदी के निर्देश पर यमुना नदी के दो तीन घाटों का विकास होना जरूर शुरू हुआ है। उन्होंने भरोसा भी दिलवाया कि यमुना नदी के पास कोई अन्य नया निर्माण कार्य नहीं शुरू होगा।

वृंदावन के सौंदर्यीकरण पर दिया जोर

स्थानीय निवासियों का कहना है कि श्रीकांत शर्मा के आने के बाद मथुरा और वृंदावन के सौंदर्यीकरण में तेजी देखी गई है। चाहे सड़कों का जाल हो या फिर मंदिर के आसपास अतिक्रमण हटाने के काम बहुत तेजी से हुए हैं। इसके अलावा देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां कई प्रकार सुविधाएं शुरू की गई हैं। जबकि गोवर्धन परिक्रमा करने वालों के लिए रास्ता भी सुधारा गया, ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो। पहले की तुलना में क्षेत्र में पुलिस व्यवस्था भी दुरुस्त हुई है।

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विस्तार

राधे-राधे और जय श्रीकृष्णा से गूंजने वाली मथुरा, वृंदावन की गलियों में इन दिनों चुनावी नारों का शोर सुनाई दे रहा है। चाहे भाजपा, कांग्रेस हो या फिर सपा-आरएलडी गठबंधन सभी ने इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। एक ओर जहां योगी सरकार में मंत्री श्रीकांत शर्मा वृंदावन में नंगे पैर घूम कर लोगों से वोट मांगते दिख रहे हैं, तो वही दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रदीप माथुर को जीत दिलाने के लिए महासचिव प्रियंका गांधी भी मैदान में उतरी है। लेकिन इस चुनावी हल्ले के मुख्य मुद्दे में मथुरा और वृंदावन की अहम कड़ी यमुना नदी पूरी तरह से नदारद है। उम्मीदवार भले ही नदी की सफाई को लेकर दावे करते नजर आ रहे हैं, लेकिन किसी के भी पास यमुना नदी को स्वच्छ करने की कोई ठोस योजना नहीं है। यमुना की सफाई को लेकर वर्षों से लड़ाई लड़ रहे लोगों का कहना है कि आज की यमुना में कालिया नाग से भी ज्यादा प्रदूषण है। वर्तमान विधायक मंत्री श्रीकांत शर्मा पांच वर्ष में एक बार भी स्नान करना तो दूर आचमन करने तक नहीं आए।

चार लोगों ने मिलकर बिगाड़ दी दशा

यमुना नदी की सफाई के लिए सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट, और एनजीटी में 12 वर्षों से केस लड़ रहे वृंदावन निवासी महंत मधुमंगल शरण दास शुक्ला अमर उजाला से चर्चा करते हुए कहते हैं कि देशभर से ब्रज, वृंदावन, मथुरा, बरसाना और गोवर्धन धाम में रोज करीब लाखों लोग आते हैं। लेकिन इत्र वाले के मित्र धनकुबेर, बड़े अपराधी, अफसर और नेताओं की मिलीभगत ने कभी इस क्षेत्र का विकास और यमुना नदी का शुद्धिकरण कभी होने ही नहीं दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने यमुना नदी की सफाई और मथुरा जनपद के विकास के लिए उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद का गठन जरूर किया, लेकिन जमीन आज तक कोई काम नहीं दिखाई देता है। 42 करोड़ की लागत से सड़कों का विकास किया गया लेकिन बारिश में यह सभी सड़कों में पानी भर जाता है।

मंदिर छोटे हो रहे भवन बड़े होते जा रहे

महंत शुक्ला आरोप लगाते हुए कहते है कि जिस दिन भाजपा की सरकार बनी थी उस दिन हमारे विधायक श्रीकांत शर्मा ने वादा किया था कि एक जनवरी 2022 तक यमुना नदी पूरी तरह से स्वच्छ हो जाएगी, लेकिन जनवरी निकल गई, चुनाव आ गया अब तक स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है। मथुरा जनपद के करीब 200 नाले यमुना नदी में आकर मिलते हैं। लेकिन कोई सफाई नहीं होती है। आज क्षेत्र के बिल्डर माफिया नदी के हिस्से पर राज कर रहे हैं। अतिक्रमण कर अवैध तरीके से इमारतों का निर्माण कर रहे हैं।

वर्तमान योगी सरकार ने मथुरा वृंदावन जनपद का 2031 का मास्टर प्लान बनाया है। लेकिन अफसर बिना विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों की दावे आपत्ति जाने बगैर ही उसे लागू करने पर जोर दे रहे हैं। जब हम सभी लोगों ने इसका विरोध किया तो सरकार ने स्थानीय लोगों के दावे आपत्ति सुनने की तारीख को आगे बढ़ा दिया। आज पूरे वृंदावन में मंदिर छोटे होते जा रहे हैं, लेकिन बिल्डरों के भवन ऊंचे होते जा रहे है।

कालिया नाग से ज्यादा प्रदूषण है अभी यमुना में

शुक्ला का कहना है कि यमुना नदी के प्रदूषण जांचने के लिए 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक टीम का गठन किया था। उस टीम ने मथुरा जनपद में कई जगह जाकर यमुना नदी के पानी का सैंपल लिया था। इसके बाद केस देख रहे जज ही सेवानिवृत्त हो गए। इसके बाद से लेकर आज तक प्रदूषण को लेकर कोई जांच नहीं हुई। आज यमुना जी में कालिया नाग से भी ज्यादा प्रदूषण हो गया है। लोग स्नान करना तो दूर, आचमन करने से भी बचते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन कुछ श्रद्धालु प्रदूषण होने के बाद भी श्रद्धाभाव से नाले के पानी युक्त यमुना जी में स्नान भी करते हैं। पीएम ने तो वाराणसी में गंगा घाटों को सुधार दिया और वहां गंगा को प्रदूषण से मुक्त भी कर दिया, लेकिन वृंदावन में यमुना की स्थिति बहुत ही खराब हैं। यहां के विधायक और सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा तो पांच साल में एक बार भी स्नान करना तो दूर आचमन करने तक नहीं आए।

भगवान और पीएम मोदी पर ही अब भरोसा

शुक्ला कहते है कि सभी कोर्ट में केस लड़कर और जनप्रतिनिधियों के पास गुहार लगाकर सभी स्थानीय निवासी भी हार मान चुके हैं। अब हमें केवल पीएम मोदी और भगवान पर ही भरोसा है कि वही कुछ रास्ता निकालेंगे। क्योंकि पीएम मोदी के निर्देश पर यमुना नदी के दो तीन घाटों का विकास होना जरूर शुरू हुआ है। उन्होंने भरोसा भी दिलवाया कि यमुना नदी के पास कोई अन्य नया निर्माण कार्य नहीं शुरू होगा।

वृंदावन के सौंदर्यीकरण पर दिया जोर

स्थानीय निवासियों का कहना है कि श्रीकांत शर्मा के आने के बाद मथुरा और वृंदावन के सौंदर्यीकरण में तेजी देखी गई है। चाहे सड़कों का जाल हो या फिर मंदिर के आसपास अतिक्रमण हटाने के काम बहुत तेजी से हुए हैं। इसके अलावा देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां कई प्रकार सुविधाएं शुरू की गई हैं। जबकि गोवर्धन परिक्रमा करने वालों के लिए रास्ता भी सुधारा गया, ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं हो। पहले की तुलना में क्षेत्र में पुलिस व्यवस्था भी दुरुस्त हुई है।

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