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सार
चाय की दुकान पर बैठे जफर कहते हैं, लोग ‘चाय’ तो सबकी पी रहे हैं, मगर बोल कुछ नहीं रहे। जो भी उम्मीदवार आता है, उसे वोट का भरोसा दे देते हैं। जो भी आया, उन्हीं के पीछे चले जा रहे हैं। लकड़ी का काम करने वाले एक अन्य नागरिक कहते हैं, नेता तो वादा करते हैं, निभाता कोई नहीं है। यहां पर विकास का मुद्दा है। प्रधान यासीन बाकीपुर कहते हैं, पहले विधायक ने काम नहीं कराया। पढ़ें कुंदरकी विधानसभा से अमर उजाला की गाउंड रिपोर्ट…
कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है। चुनाव में यहां पर धर्म और जाति का पूरा बोलबाला है। किसानों को ‘मचान पै खाट और सरकारी सांड’ की समस्या से जूझना पड़ रहा है। आवारा पशुओं के चलते उन्हें मचान पर रात बितानी पड़ती है। ‘कुंदरकी’ में लोग सब पार्टियों की चुनावी ‘चाय’ पी रहे हैं, मगर साफ तरीके से कुछ बोल नहीं रहे। कहीं पर मुद्दों की बात हो जाती है तो कहीं जाति धर्म और जुगाड़, बस यही चल रहा है। चुनाव में अगर चेहरों पर जाएं तो मुकाबला ‘तुर्क’ और अन्य के बीच है। सपा के कद्दावर नेता एवं निवर्तमान विधायक हाजी रिजवान ने पाला बदल दिया है। वे तुर्क समुदाय से आते हैं। संभल लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क भी तुर्क हैं। सपा ने डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क को कुंदरकी विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है।
‘मुद्दा’ पूछा तो जवाब मिला, हमारा जोर तो ‘साइकिल’ पर है
विधानसभा क्षेत्र के गांव पंडिया निवासी कृष्ण कुमार शर्मा बताते हैं, मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण सभी पार्टियों ने यहां पूरी ताकत लगा रखी है। आज हम रात में आ जा सकते हैं। मौजूदा सरकार में सुरक्षा का वातावरण बना है। खेत में पशुओं के लिए चारा काट रही नूरजहां से जब पूछा गया कि चुनाव में कौन से मुद्दे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि हमारा जोर तो साइकिल पर है। किसी ने कोई काम नहीं किया। विधायक तभी तक आते हैं, जब तक वोट नहीं पड़ते। प्रियंका गांधी और मायावती का कुछ नहीं है। स्कूल या स्वास्थ्य की सुविधाएं ठीक नहीं हैं।
हमें तो जमीन के दो हजार रुपये नहीं मिले
मोनारपुरा के बाबू से जब पूछा गया कि इस विधानसभा क्षेत्र में कौन आगे चल रहा है। साइकिल चल रही है, कमल चल रहा है, या पंजा व हाथी कहीं पर हैं, तो उन्होंने कहा, साइकिल ही चल रही है। जब इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने जमीन के दो हजार रुपये न मिलने का ठीकरा भाजपा सरकार पर फोड़ दिया। शमशाद हुसैन ने कहा, मुद्दे तो गायब हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 लाख रुपये का वादा पूरा नहीं किया। बताओ किसके खाते में आए हैं।
चुनावी चाय तो सबकी पी रहे हैं, लेकिन बोल नहीं रहे
चाय की दुकान पर बैठे जफर कहते हैं, लोग ‘चाय’ तो सबकी पी रहे हैं, मगर बोल कुछ नहीं रहे। जो भी उम्मीदवार आता है, उसे वोट का भरोसा दे देते हैं। जो भी आया, उन्हीं के पीछे चले जा रहे हैं। लकड़ी का काम करने वाले एक अन्य नागरिक कहते हैं, नेता तो वादा करते हैं, निभाता कोई नहीं है। यहां पर विकास का मुद्दा है। प्रधान यासीन बाकीपुर कहते हैं, पहले विधायक ने काम नहीं कराया।
भाजपा के समय में खाद्यान्न तो मिला है, मगर विकास ठीक नहीं हुआ। मौलाना नसीम कहते हैं, हमारे यहां जाति-धर्म पर तो चुनाव है ही नहीं। यहां तो चुनाव बड़ा सीधा सा है, साइकिल और भाजपा के बीच मुकाबला है। समसुल हसन ने महंगाई की बात कही। कांग्रेस और बीएसपी मुकाबले में नहीं हैं। शमशाद हुसैन और मतीन हुसैन ने कहा, जब ये नेता घर पर बैठे रहेंगे तो लोग इन्हें किस तरह से मुकाबले में मानेंगे।
कुंदरकी में ढाई दशक से कमल खिलाने का प्रयास कर रही भाजपा
कुंदरकी में 1993 में भाजपा जीती थी, तब राम लहर चल रही थी। अब पिछले चुनाव और उससे पहले के 2012 के चुनाव में सपा के बड़े नेता मोहम्मद रिजवान कुंदरकी सीट से जीतते रहे हैं। इस बार टिकट कट गया तो उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया। रिजवान ने मुकाबले को कांटे का बना दिया है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने संभल के सपा सांसद और इलाके के कद्दावर नेता डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क को अपना प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही नेता तुर्क समुदाय से हैं। सपा द्वारा उम्मीदवार बदलने के बाद ओवैसी की पार्टी भी खुद को मुकाबले में मानकर चल रही है। ओवैसी ने शनिवार को कुंदरकी में जनसभा की है। भाजपा उम्मीदवार कमल प्रजापति भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं।
विस्तार
कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य है। चुनाव में यहां पर धर्म और जाति का पूरा बोलबाला है। किसानों को ‘मचान पै खाट और सरकारी सांड’ की समस्या से जूझना पड़ रहा है। आवारा पशुओं के चलते उन्हें मचान पर रात बितानी पड़ती है। ‘कुंदरकी’ में लोग सब पार्टियों की चुनावी ‘चाय’ पी रहे हैं, मगर साफ तरीके से कुछ बोल नहीं रहे। कहीं पर मुद्दों की बात हो जाती है तो कहीं जाति धर्म और जुगाड़, बस यही चल रहा है। चुनाव में अगर चेहरों पर जाएं तो मुकाबला ‘तुर्क’ और अन्य के बीच है। सपा के कद्दावर नेता एवं निवर्तमान विधायक हाजी रिजवान ने पाला बदल दिया है। वे तुर्क समुदाय से आते हैं। संभल लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क भी तुर्क हैं। सपा ने डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क को कुंदरकी विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है।
‘मुद्दा’ पूछा तो जवाब मिला, हमारा जोर तो ‘साइकिल’ पर है
विधानसभा क्षेत्र के गांव पंडिया निवासी कृष्ण कुमार शर्मा बताते हैं, मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण सभी पार्टियों ने यहां पूरी ताकत लगा रखी है। आज हम रात में आ जा सकते हैं। मौजूदा सरकार में सुरक्षा का वातावरण बना है। खेत में पशुओं के लिए चारा काट रही नूरजहां से जब पूछा गया कि चुनाव में कौन से मुद्दे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि हमारा जोर तो साइकिल पर है। किसी ने कोई काम नहीं किया। विधायक तभी तक आते हैं, जब तक वोट नहीं पड़ते। प्रियंका गांधी और मायावती का कुछ नहीं है। स्कूल या स्वास्थ्य की सुविधाएं ठीक नहीं हैं।
हमें तो जमीन के दो हजार रुपये नहीं मिले
मोनारपुरा के बाबू से जब पूछा गया कि इस विधानसभा क्षेत्र में कौन आगे चल रहा है। साइकिल चल रही है, कमल चल रहा है, या पंजा व हाथी कहीं पर हैं, तो उन्होंने कहा, साइकिल ही चल रही है। जब इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने जमीन के दो हजार रुपये न मिलने का ठीकरा भाजपा सरकार पर फोड़ दिया। शमशाद हुसैन ने कहा, मुद्दे तो गायब हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 लाख रुपये का वादा पूरा नहीं किया। बताओ किसके खाते में आए हैं।
चुनावी चाय तो सबकी पी रहे हैं, लेकिन बोल नहीं रहे
चाय की दुकान पर बैठे जफर कहते हैं, लोग ‘चाय’ तो सबकी पी रहे हैं, मगर बोल कुछ नहीं रहे। जो भी उम्मीदवार आता है, उसे वोट का भरोसा दे देते हैं। जो भी आया, उन्हीं के पीछे चले जा रहे हैं। लकड़ी का काम करने वाले एक अन्य नागरिक कहते हैं, नेता तो वादा करते हैं, निभाता कोई नहीं है। यहां पर विकास का मुद्दा है। प्रधान यासीन बाकीपुर कहते हैं, पहले विधायक ने काम नहीं कराया।
भाजपा के समय में खाद्यान्न तो मिला है, मगर विकास ठीक नहीं हुआ। मौलाना नसीम कहते हैं, हमारे यहां जाति-धर्म पर तो चुनाव है ही नहीं। यहां तो चुनाव बड़ा सीधा सा है, साइकिल और भाजपा के बीच मुकाबला है। समसुल हसन ने महंगाई की बात कही। कांग्रेस और बीएसपी मुकाबले में नहीं हैं। शमशाद हुसैन और मतीन हुसैन ने कहा, जब ये नेता घर पर बैठे रहेंगे तो लोग इन्हें किस तरह से मुकाबले में मानेंगे।
कुंदरकी में ढाई दशक से कमल खिलाने का प्रयास कर रही भाजपा
कुंदरकी में 1993 में भाजपा जीती थी, तब राम लहर चल रही थी। अब पिछले चुनाव और उससे पहले के 2012 के चुनाव में सपा के बड़े नेता मोहम्मद रिजवान कुंदरकी सीट से जीतते रहे हैं। इस बार टिकट कट गया तो उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया। रिजवान ने मुकाबले को कांटे का बना दिया है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने संभल के सपा सांसद और इलाके के कद्दावर नेता डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क को अपना प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही नेता तुर्क समुदाय से हैं। सपा द्वारा उम्मीदवार बदलने के बाद ओवैसी की पार्टी भी खुद को मुकाबले में मानकर चल रही है। ओवैसी ने शनिवार को कुंदरकी में जनसभा की है। भाजपा उम्मीदवार कमल प्रजापति भी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं।
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