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सार
छठे चरण में सिर्फ योगी आदित्यनाथ की ही प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगी हुई है, बल्कि उनके साथ आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की भी परीक्षा छठे चरण में होनी है। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही, उपेंद्र तिवारी, सतीश द्विवेदी, जय प्रताप सिंह, जयप्रकाश निषाद, श्री राम चौहान और रामस्वरूप शुक्ला जैसे बड़े नाम शामिल हैं…
उत्तर प्रदेश विधानसभा के छठे चरण में 10 जिलों की जिन 57 सीटों पर चुनाव होना है, वे सभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे ज्यादा प्रभाव वाली सीटें हैं। दरअसल योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री नहीं थे तब भी उनका सबसे ज्यादा प्रभाव बतौर सांसद पूर्वांचल के इन्हीं जिलों में सबसे ज्यादा माना जाता रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक पूर्वांचल के इस सियासी संग्राम में न सिर्फ योगी आदित्यनाथ की साख दांव पर लगी हुई है, बल्कि सपा और बसपा समेत सहयोगी दलों की भी जबरदस्त परीक्षा होनी है।
गुरुवार को यूपी में छठे चरण का मतदान होना है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाने वाला गोरखपुर भी शामिल है। इसके अलावा बलरामपुर, देवरिया, कुशीनगर, बलिया, सिद्धार्थ नगर, महाराजगंज, बस्ती और संतकबीर नगर समेत अंबेडकर नगर जिलों में भी चुनाव होना है। इन जिलों में 57 विधानसभा सीटें आती हैं। योगी आदित्यनाथ को जब गोरखपुर से चुनाव लड़ाने की योजना बनी थी, तभी चर्चा इस बात की होने लगी थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां से चुनाव लड़ने पर सिर्फ गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषक एसएन शंभू कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर से सांसद हुआ करते थे तब भी उनकी साख और उनका जलवा पूर्वांचल के इन जिलों में जबरदस्त था। मुख्यमंत्री बनने के बाद निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में उनकी अपनी साख बनी है, लेकिन जब वह पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं, तो सबकी निगाहें गोरखपुर पर लगी हुई हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भी अग्निपरीक्षा!
छठे चरण में सिर्फ योगी आदित्यनाथ की ही प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगी हुई है, बल्कि उनके साथ आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की भी परीक्षा छठे चरण में होनी है। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही, उपेंद्र तिवारी, सतीश द्विवेदी, जय प्रताप सिंह, जयप्रकाश निषाद, श्री राम चौहान और रामस्वरूप शुक्ला जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इस समय सिर्फ सत्ता पक्ष के ही बड़े नाम नहीं हैं, बल्कि विपक्ष के तौर पर समाजवादी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी के गढ़ में भी उनकी और उनकी साख की परीक्षा होनी है। इसके अलावा पहली बार बसपा से अलग होकर विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक हलचल मचाने वाले बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को भी इसी चरण में अपनी ताकत का अहसास कराना होगा। सपा, बसपा और भाजपा के अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की भी अग्निपरीक्षा छठे चरण में ही होनी है।
अधिकांश सीटों पर रहा है सपा-बसपा का कब्जा
राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि गोरखपुर योगी आदित्यनाथ का गढ़ रहा है। बतौर सांसद लंबी पारी खेलने वाले योगी आदित्यनाथ अपने प्रभाव से इस इलाके में पहले भी चुनाव जीते और जितवाते रहे हैं। शुक्ला कहते हैं कि हालांकि यह बात अलग है कि छठे चरण में पूर्वांचल के जिन जिलों में चुनाव हो रहा है वहां पर कभी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का कब्जा हुआ करता था। इस चरण में राजनीतिक बिसात बिछाने के मामले में सपा और बसपा ने भी अपनी ओर से कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। बसपा ने तो उन लोगों को अपने साथ शामिल कर लिया जो लोग समाजवादी पार्टी में पांच साल तक अपनी राजनीतिक जमीन बनाते रहे और पार्टी ने अंत में उन्हें टिकट नहीं दिया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी दशा में कई जगहों पर चुनाव सभी दल बड़ी मजबूती से लड़ते हुए देखे जा रहे हैं।
2017 के विधानसभा चुनावों में 10 जिलों की 57 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की 46 सीटें आई थीं। जबकि समाजवादी पार्टी को दो और बहुजन समाज पार्टी को पांच सीटें मिली थीं। कांग्रेस को एक और भाजपा के सहयोगी अपना दल को एक और सुभाषपा समेत निर्दलीय को भी एक-एक सीट मिली थीं। पिछले चुनाव में भाजपा ने इस इलाके में अपना झंडा लहराया था, लेकिन इस बार उनके अहम सहयोगी ओमप्रकाश राजभर भाजपा से नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी के खेमे में चले गए हैं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि जातिगत गुणा भाग के आधार पर बिछाई गई राजनीतिक बिसात में इस बार लड़ाई कांटे की है।
विस्तार
उत्तर प्रदेश विधानसभा के छठे चरण में 10 जिलों की जिन 57 सीटों पर चुनाव होना है, वे सभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे ज्यादा प्रभाव वाली सीटें हैं। दरअसल योगी आदित्यनाथ जब मुख्यमंत्री नहीं थे तब भी उनका सबसे ज्यादा प्रभाव बतौर सांसद पूर्वांचल के इन्हीं जिलों में सबसे ज्यादा माना जाता रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक पूर्वांचल के इस सियासी संग्राम में न सिर्फ योगी आदित्यनाथ की साख दांव पर लगी हुई है, बल्कि सपा और बसपा समेत सहयोगी दलों की भी जबरदस्त परीक्षा होनी है।
गुरुवार को यूपी में छठे चरण का मतदान होना है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाने वाला गोरखपुर भी शामिल है। इसके अलावा बलरामपुर, देवरिया, कुशीनगर, बलिया, सिद्धार्थ नगर, महाराजगंज, बस्ती और संतकबीर नगर समेत अंबेडकर नगर जिलों में भी चुनाव होना है। इन जिलों में 57 विधानसभा सीटें आती हैं। योगी आदित्यनाथ को जब गोरखपुर से चुनाव लड़ाने की योजना बनी थी, तभी चर्चा इस बात की होने लगी थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां से चुनाव लड़ने पर सिर्फ गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषक एसएन शंभू कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर से सांसद हुआ करते थे तब भी उनकी साख और उनका जलवा पूर्वांचल के इन जिलों में जबरदस्त था। मुख्यमंत्री बनने के बाद निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में उनकी अपनी साख बनी है, लेकिन जब वह पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं, तो सबकी निगाहें गोरखपुर पर लगी हुई हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की भी अग्निपरीक्षा!
छठे चरण में सिर्फ योगी आदित्यनाथ की ही प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगी हुई है, बल्कि उनके साथ आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की भी परीक्षा छठे चरण में होनी है। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही, उपेंद्र तिवारी, सतीश द्विवेदी, जय प्रताप सिंह, जयप्रकाश निषाद, श्री राम चौहान और रामस्वरूप शुक्ला जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इस समय सिर्फ सत्ता पक्ष के ही बड़े नाम नहीं हैं, बल्कि विपक्ष के तौर पर समाजवादी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी के गढ़ में भी उनकी और उनकी साख की परीक्षा होनी है। इसके अलावा पहली बार बसपा से अलग होकर विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक हलचल मचाने वाले बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता लालजी वर्मा और राम अचल राजभर को भी इसी चरण में अपनी ताकत का अहसास कराना होगा। सपा, बसपा और भाजपा के अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की भी अग्निपरीक्षा छठे चरण में ही होनी है।
अधिकांश सीटों पर रहा है सपा-बसपा का कब्जा
राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि गोरखपुर योगी आदित्यनाथ का गढ़ रहा है। बतौर सांसद लंबी पारी खेलने वाले योगी आदित्यनाथ अपने प्रभाव से इस इलाके में पहले भी चुनाव जीते और जितवाते रहे हैं। शुक्ला कहते हैं कि हालांकि यह बात अलग है कि छठे चरण में पूर्वांचल के जिन जिलों में चुनाव हो रहा है वहां पर कभी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का कब्जा हुआ करता था। इस चरण में राजनीतिक बिसात बिछाने के मामले में सपा और बसपा ने भी अपनी ओर से कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। बसपा ने तो उन लोगों को अपने साथ शामिल कर लिया जो लोग समाजवादी पार्टी में पांच साल तक अपनी राजनीतिक जमीन बनाते रहे और पार्टी ने अंत में उन्हें टिकट नहीं दिया। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी दशा में कई जगहों पर चुनाव सभी दल बड़ी मजबूती से लड़ते हुए देखे जा रहे हैं।
2017 के विधानसभा चुनावों में 10 जिलों की 57 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी की 46 सीटें आई थीं। जबकि समाजवादी पार्टी को दो और बहुजन समाज पार्टी को पांच सीटें मिली थीं। कांग्रेस को एक और भाजपा के सहयोगी अपना दल को एक और सुभाषपा समेत निर्दलीय को भी एक-एक सीट मिली थीं। पिछले चुनाव में भाजपा ने इस इलाके में अपना झंडा लहराया था, लेकिन इस बार उनके अहम सहयोगी ओमप्रकाश राजभर भाजपा से नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी के खेमे में चले गए हैं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि जातिगत गुणा भाग के आधार पर बिछाई गई राजनीतिक बिसात में इस बार लड़ाई कांटे की है।
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