उन्नावः चार माह से ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन मशीन डिब्बे में बंद

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उन्नाव। जिले में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। फिर भी जिला अस्पताल में मरीजों के इलाज के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। गंभीर मरीजों को या तो निजी अस्पताल या फिर कानपुर हैलट में इलाज कराना मजबूरी है। ऐसा तब है जब प्लाज्मा और प्लेटलेट्स फिल्टर करने वाली बीसीएस (ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन) मशीन चार माह पहले जिला अस्पताल को मिल चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि निर्माणाधीन भवन अभी हस्तांतरित न होने से मशीन नहीं लगाई जा सकी है।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बुखार और डेंगू के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य आंकड़ों के मुताबिक जिले में 37 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं। बुखार के सैकड़ों मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें डेंगू के कई ऐसे मरीज हैं जिनकी प्लेटलेट्स कम होने पर उन्हें प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है। लेकिन जिला अस्पताल में सुविधा न होने से मरीज के तीमारदारों को इसके लिए भटकना पड़ता है।
इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जिला अस्पताल में जुलाई 2022 में तीन लाख रुपये कीमत की ब्लड सेपरेटर मशीन भेजी गई थी। धीर-धीरे सभी उपकरण भी भेज दिए गए। लेकिन मशीन के संचालन के लिए बन रही बिल्डिंग अभी हस्तांतरित न होने से इसका संचालन नहीं हो पाया है। दूसरा कारण यह है कि मशीन के संचालन के लिए स्टॉफ की जरूरत पड़ती है। वह भी नहीं है। सीएमएस के मुताबिक इसका संचालन होने से तीन ईएमओ की भी आवश्यकता होगी। वह भी मानक पूरे नहीं हैं।
जिस बिल्डिंग में बीसीएस मशीन लगनी है। वह निर्माणाधीन है। इसके साथ ही स्टॉफ की भी कमी है। इससे मशीन का संचालन नहीं हो पा रहा है। मशीन आ गई है। वह स्टोर में रखी है। बिल्डिंग हस्तांतरित होने के बाद संचालन किया जाएगा। -डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव, सीएमएस

निजी ब्लड बैंकों से लेने पड़ रहे ब्लड के कंपोनेंट्स
मानव ब्लड में प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और पैक्ड रेड ब्लड सेल्स जैसे कंपोनेंट्स होते हैं। ब्लड की एक यूनिट से तीन रोगियों की जान बचाई जा सकती है। जिला अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट्स उपलब्ध न होने से मरीजों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। मरीजों को ब्लड कंपोनेंट के लिए निजी लैब से ब्लड लेना पड़ रहा है।

यह भी पढ़ें -  Unnao News: ससुराल में किसान की पीटकर हत्या, घर की कोठरी में दफनाया शव, तीन गिरफ्तार

उन्नाव। जिले में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। फिर भी जिला अस्पताल में मरीजों के इलाज के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। गंभीर मरीजों को या तो निजी अस्पताल या फिर कानपुर हैलट में इलाज कराना मजबूरी है। ऐसा तब है जब प्लाज्मा और प्लेटलेट्स फिल्टर करने वाली बीसीएस (ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन) मशीन चार माह पहले जिला अस्पताल को मिल चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि निर्माणाधीन भवन अभी हस्तांतरित न होने से मशीन नहीं लगाई जा सकी है।

शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बुखार और डेंगू के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य आंकड़ों के मुताबिक जिले में 37 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं। बुखार के सैकड़ों मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें डेंगू के कई ऐसे मरीज हैं जिनकी प्लेटलेट्स कम होने पर उन्हें प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है। लेकिन जिला अस्पताल में सुविधा न होने से मरीज के तीमारदारों को इसके लिए भटकना पड़ता है।

इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जिला अस्पताल में जुलाई 2022 में तीन लाख रुपये कीमत की ब्लड सेपरेटर मशीन भेजी गई थी। धीर-धीरे सभी उपकरण भी भेज दिए गए। लेकिन मशीन के संचालन के लिए बन रही बिल्डिंग अभी हस्तांतरित न होने से इसका संचालन नहीं हो पाया है। दूसरा कारण यह है कि मशीन के संचालन के लिए स्टॉफ की जरूरत पड़ती है। वह भी नहीं है। सीएमएस के मुताबिक इसका संचालन होने से तीन ईएमओ की भी आवश्यकता होगी। वह भी मानक पूरे नहीं हैं।

जिस बिल्डिंग में बीसीएस मशीन लगनी है। वह निर्माणाधीन है। इसके साथ ही स्टॉफ की भी कमी है। इससे मशीन का संचालन नहीं हो पा रहा है। मशीन आ गई है। वह स्टोर में रखी है। बिल्डिंग हस्तांतरित होने के बाद संचालन किया जाएगा। -डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव, सीएमएस



निजी ब्लड बैंकों से लेने पड़ रहे ब्लड के कंपोनेंट्स

मानव ब्लड में प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और पैक्ड रेड ब्लड सेल्स जैसे कंपोनेंट्स होते हैं। ब्लड की एक यूनिट से तीन रोगियों की जान बचाई जा सकती है। जिला अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट्स उपलब्ध न होने से मरीजों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। मरीजों को ब्लड कंपोनेंट के लिए निजी लैब से ब्लड लेना पड़ रहा है।



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