उन्नावः जब तक अध्यक्ष रहे मुलायम, सपा का जलवा रहा कायम

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उन्नाव। मुलायम सिंह यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते जिले में सपा ही कायम रही। उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटते ही जिले में सपा का किला ढहने लगा। वर्ष 1993 में सपा का गठन करके मुलायम सिंह यादव ने संगठन को बढ़ाने में खूब मेहनत की। नतीजन उन्नाव सपा का गढ़ बनकर उभरा। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटते ही मतदाता सपा से छिटक गए। 2007 और 2012 में जिले की पांच सीटों पर काबिज हुई सपा, 2017 और 2022 के चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई।
वर्ष 1993 में गठन के बाद से ही समाजवादी पार्टी का जिले में काफी प्रभाव रहा। मुलायम सिंह की नेतृत्व क्षमता और लोगों को जोड़ने का असर रहा कि 1993 में सात में से तीन सीटों पर सपा की जीत हुई। 1996 में दो, 2002 में दो, 2007 में पांच और 2012 में जिले की छह विधानसभा सीटों (हड़हा समाप्त) में से पांच पर जीत हासिल हुई। 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद परिवार में शुरू हुई रार का जिले में भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।
वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और मुलायम सिंह यादव पार्टी के संरक्षक बनाए गए। नेताजी के सक्रिय राजनीति से दूर होते ही सपा को उन्नाव में करारा झटका लगा। पार्टी जिले की सभी छह सीटें हार गई। छह में से पांच पर भाजपा और एक सीट पुरवा में बसपा की जीत हुई। 2022 के चुनाव में सभी छह सीटों पर भाजपा की जीत हुई। इसके बाद जिला पंचायत के चुनाव में भी सपा को शिकस्त मिली।

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उन्नाव। मुलायम सिंह यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते जिले में सपा ही कायम रही। उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटते ही जिले में सपा का किला ढहने लगा। वर्ष 1993 में सपा का गठन करके मुलायम सिंह यादव ने संगठन को बढ़ाने में खूब मेहनत की। नतीजन उन्नाव सपा का गढ़ बनकर उभरा। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटते ही मतदाता सपा से छिटक गए। 2007 और 2012 में जिले की पांच सीटों पर काबिज हुई सपा, 2017 और 2022 के चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई।

वर्ष 1993 में गठन के बाद से ही समाजवादी पार्टी का जिले में काफी प्रभाव रहा। मुलायम सिंह की नेतृत्व क्षमता और लोगों को जोड़ने का असर रहा कि 1993 में सात में से तीन सीटों पर सपा की जीत हुई। 1996 में दो, 2002 में दो, 2007 में पांच और 2012 में जिले की छह विधानसभा सीटों (हड़हा समाप्त) में से पांच पर जीत हासिल हुई। 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद परिवार में शुरू हुई रार का जिले में भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।

वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और मुलायम सिंह यादव पार्टी के संरक्षक बनाए गए। नेताजी के सक्रिय राजनीति से दूर होते ही सपा को उन्नाव में करारा झटका लगा। पार्टी जिले की सभी छह सीटें हार गई। छह में से पांच पर भाजपा और एक सीट पुरवा में बसपा की जीत हुई। 2022 के चुनाव में सभी छह सीटों पर भाजपा की जीत हुई। इसके बाद जिला पंचायत के चुनाव में भी सपा को शिकस्त मिली।



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