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सुपासी व गड़सर गांव के खेतों में भरा पानी। संवाद
– फोटो : UNNAO
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अचलगंज। शहर और औद्योगिक क्षेत्रों के पानी को गंगा नदी में पहुंचाने वाला नाला (सिटी ड्रेन) चोक होने से जलभराव का दायरा बढ़ता जा रहा है। रविवार को चार ग्राम पंचायतों की करीब 300 बीघा फसल जलमग्न हो गई। गंदे पानी ने दस किमी क्षेत्र में तबाही मचा रखी है। किसान और ग्रामीण तक परेशान हैं। फसलें खराब हो रही हैं। आवागमन भी बाधित है, लेकिन प्रशासन ने समस्या पर अभी तक ध्यान नहीं दिया।
मगरवारा व बंथर स्थित औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी व अपशिष्ट सिटी ड्रेन से निकलता है। पिछले पांच साल से सिटी ड्रेन की सफाई नहीं कराई गई है। इससे पूरी ड्रेन सिल्ट से पटी है। पानी आगे न निकलने से ओवरफ्लो होकर आससपास खेतों में भर रहा है। पानी लगातार दायरा बढ़ाता जा रहा है।
शनिवार को 120 बीघा फसल जलभराव की चपेट में थी, रविवार को पानी ने दायारा और बढाया और अटा, बंथर, सुपासी और मवईया ग्राम पंचायत के किसानों की करीब 300 बीघा फसल को चपेट में ले लिया। बंथर चौराहे से लेकर सुपासी गड़सर तक लगभग दस किमी दायरे में चारों ओर पानी ही पानी है। किसानों को फसलें खासकर धान पानी भरने से सड़ने लगा है। जो किसान धान काट भी ले गए वह काला पड़ गया है।
पिछले दो दिनों से पानी भरा होने से किसान और गांव के लोग परेशान हैं। किसानों का कहना है कि धान की फसल तो चली गई। अब रबी की फसल भी बोने की उम्मीद खत्म हो गई है। सुपासी प्रधान अमरेश वर्मा, बीडीसी सोनू यादव, आटा के रहीस अहमद व रघुनाथखेड़ा में पप्पू यादव ने बताया कि समस्या का समाधान नहीं होता तो दस गांव के किसान जिला मुख्यालय जाकर डीएम को ज्ञापन देंगे।
मुआवजा या फसल बीमा नहीं मिलेगा
राजस्व विभाग के अधिकारी, जलभराव की इस समस्या को प्राकृतिक आपदा नहीं मान रहे हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जलभराव कोई दैवी आपदा तो है नहीं। मुआवजा और फसल बीमा आपदा की स्थिति में देय होता है।
एसडीएम ने लिखित में मांगी समस्या की जानकारी
एसडीएम सदर नुपूर गोयल से किसानों की फसलों को हुए नुकसान की जानकारी देकर किसानों की मदद के बारे में जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि कल कार्यालय में लिखित देकर बताइए। तब देखेंगे क्या समस्या है और उसका समाधान क्या है।
अचलगंज। शहर और औद्योगिक क्षेत्रों के पानी को गंगा नदी में पहुंचाने वाला नाला (सिटी ड्रेन) चोक होने से जलभराव का दायरा बढ़ता जा रहा है। रविवार को चार ग्राम पंचायतों की करीब 300 बीघा फसल जलमग्न हो गई। गंदे पानी ने दस किमी क्षेत्र में तबाही मचा रखी है। किसान और ग्रामीण तक परेशान हैं। फसलें खराब हो रही हैं। आवागमन भी बाधित है, लेकिन प्रशासन ने समस्या पर अभी तक ध्यान नहीं दिया।
मगरवारा व बंथर स्थित औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले दूषित पानी व अपशिष्ट सिटी ड्रेन से निकलता है। पिछले पांच साल से सिटी ड्रेन की सफाई नहीं कराई गई है। इससे पूरी ड्रेन सिल्ट से पटी है। पानी आगे न निकलने से ओवरफ्लो होकर आससपास खेतों में भर रहा है। पानी लगातार दायरा बढ़ाता जा रहा है।
शनिवार को 120 बीघा फसल जलभराव की चपेट में थी, रविवार को पानी ने दायारा और बढाया और अटा, बंथर, सुपासी और मवईया ग्राम पंचायत के किसानों की करीब 300 बीघा फसल को चपेट में ले लिया। बंथर चौराहे से लेकर सुपासी गड़सर तक लगभग दस किमी दायरे में चारों ओर पानी ही पानी है। किसानों को फसलें खासकर धान पानी भरने से सड़ने लगा है। जो किसान धान काट भी ले गए वह काला पड़ गया है।
पिछले दो दिनों से पानी भरा होने से किसान और गांव के लोग परेशान हैं। किसानों का कहना है कि धान की फसल तो चली गई। अब रबी की फसल भी बोने की उम्मीद खत्म हो गई है। सुपासी प्रधान अमरेश वर्मा, बीडीसी सोनू यादव, आटा के रहीस अहमद व रघुनाथखेड़ा में पप्पू यादव ने बताया कि समस्या का समाधान नहीं होता तो दस गांव के किसान जिला मुख्यालय जाकर डीएम को ज्ञापन देंगे।
मुआवजा या फसल बीमा नहीं मिलेगा
राजस्व विभाग के अधिकारी, जलभराव की इस समस्या को प्राकृतिक आपदा नहीं मान रहे हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जलभराव कोई दैवी आपदा तो है नहीं। मुआवजा और फसल बीमा आपदा की स्थिति में देय होता है।
एसडीएम ने लिखित में मांगी समस्या की जानकारी
एसडीएम सदर नुपूर गोयल से किसानों की फसलों को हुए नुकसान की जानकारी देकर किसानों की मदद के बारे में जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कहा कि कल कार्यालय में लिखित देकर बताइए। तब देखेंगे क्या समस्या है और उसका समाधान क्या है।
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