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उन्नाव। जैतीपुर मार्ग पर स्थित वृंदावन बॉटलिंग प्लांट में शुक्रवार सुबह सात बजे पहुंची आयकर विभाग की टीम ने 88 घंटे जांच की। 20 सदस्यीय टीम सोमवार रात 11 बजे लौट गई। पांच साल के लेखाजोखा की जांच में काफी अनियमितता मिली है। प्रबंधन के लोग कई मुख्य अभिलेख नहीं दिखा सके। अधिकारी कागजात और कंप्यूटर का डेटा भी कॉपी करके ले गए हैं।
शुक्रवार सुबह सात बजे लखनऊ और दिल्ली से आई आयकर विभाग की 20 सदस्यीय टीम ने नवाबगंज के जैतीपुर मार्ग स्थित वृंदावन बॉटलिंग प्लॉट में छापा मारा था। यहां कोकाकोला के लिए मिनरल वॉटर और कोकाकोला की बॉटलिंग होती है। पांच साल पहले वर्ष 2017 में स्थापित प्लॉट के कंपनी के अहम दस्तावेज खंगाले गए। टीम ने जांच के प्लांट के वरिष्ठ अधिकारियों में जीएम व अन्य के मोबाइल भी कब्जे में ले लिए थे। सूत्रों के अनुसार लगातार 88 घंटे चली जांच में टैक्स भुगतान में गड़बड़ी सामने आई है।
उत्पादन और ट्रांसपोर्ट से भेजे गए माल के कागज भी मेल नहीं खा रहे हैं। सालाना 50 लाख का कारोबार करने वाले इस प्लांट के अधिकारी कई अहम दस्तावेज भी नहीं दिखा पाए हैं। सोमवार को अहम कागजात और डेटा अपने पास सुरक्षित करने के बाद आयकर अधिकारियों ने प्लांट के अधिकारियों से हस्ताक्षर कराए और रात 11 बजे लौट गए। इसके बाद प्लांट संचालकों ने राहत की सांस ली। प्लांट मैनेजर कमलेश कुमार ने बताया कि जांच अधिकारियों ने जो भी कागजात और जानकारी मांगी उन्हें दे दी गई है।
उन्नाव। जैतीपुर मार्ग पर स्थित वृंदावन बॉटलिंग प्लांट में शुक्रवार सुबह सात बजे पहुंची आयकर विभाग की टीम ने 88 घंटे जांच की। 20 सदस्यीय टीम सोमवार रात 11 बजे लौट गई। पांच साल के लेखाजोखा की जांच में काफी अनियमितता मिली है। प्रबंधन के लोग कई मुख्य अभिलेख नहीं दिखा सके। अधिकारी कागजात और कंप्यूटर का डेटा भी कॉपी करके ले गए हैं।
शुक्रवार सुबह सात बजे लखनऊ और दिल्ली से आई आयकर विभाग की 20 सदस्यीय टीम ने नवाबगंज के जैतीपुर मार्ग स्थित वृंदावन बॉटलिंग प्लॉट में छापा मारा था। यहां कोकाकोला के लिए मिनरल वॉटर और कोकाकोला की बॉटलिंग होती है। पांच साल पहले वर्ष 2017 में स्थापित प्लॉट के कंपनी के अहम दस्तावेज खंगाले गए। टीम ने जांच के प्लांट के वरिष्ठ अधिकारियों में जीएम व अन्य के मोबाइल भी कब्जे में ले लिए थे। सूत्रों के अनुसार लगातार 88 घंटे चली जांच में टैक्स भुगतान में गड़बड़ी सामने आई है।
उत्पादन और ट्रांसपोर्ट से भेजे गए माल के कागज भी मेल नहीं खा रहे हैं। सालाना 50 लाख का कारोबार करने वाले इस प्लांट के अधिकारी कई अहम दस्तावेज भी नहीं दिखा पाए हैं। सोमवार को अहम कागजात और डेटा अपने पास सुरक्षित करने के बाद आयकर अधिकारियों ने प्लांट के अधिकारियों से हस्ताक्षर कराए और रात 11 बजे लौट गए। इसके बाद प्लांट संचालकों ने राहत की सांस ली। प्लांट मैनेजर कमलेश कुमार ने बताया कि जांच अधिकारियों ने जो भी कागजात और जानकारी मांगी उन्हें दे दी गई है।
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