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लंपी वायरस से मांस निर्यातकों को झटका
दूसरे प्रदेशों से मवेशियों को लाने पर लगा प्रतिबंध
जिले में छह स्लाटर हाउस, हर महीने 600 करोड़ का व्यापार
रोजाना पांच हजार मवेशियों की स्लाटरिंग का ले रखा है लाइसेंस
राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार व अन्य राज्यों से मवेशी न आने से रुकेंगे आर्डर
संवाद न्यूज एजेंसी
उन्नाव। पशुओं में तेजी से फैल रहे लंपी वायरस ने मांस उद्योग को झटका दिया है। वायरस का फैलाव रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने दूसरे प्रदेशों से पशुओं की आवक पर रोक लगा दी है। इससे मांस का निर्यात करने वाले उद्यमी परेशान हैं। जिले के छह स्लाटर हाउसों को रोजाना पांच हजार पशुओं की स्लाटरिंग की स्वीकृति है। हर माह औसतन 600 करोड़ का निर्यात होता है।
पशुओं में लंपी वायरस के संक्रमण को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पशु मेलों और दूसरे राज्यों से उत्तर प्रदेश में पशु लाने पर प्रतिबंध लगाया है। अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी की ओर से इसका आदेश जारी किया गया है। आदेश के बाद स्लाटर हाउस संचालकों में खलबली मच गई है। मालूम हो कि जिले में कुल छह स्लाटर हाउस हैं। उन्हें रोजाना पांच हजार मवेशियों की स्लाटरिंग का लाइसेंस दिया गया है। सभी स्लाटर हाउस अपना उत्पाद (पैकेट बंद मांस) विदेशों में निर्यात करते हैं, हर महीने औसतन छह सौ करोड़ का व्यापार होता है। दूसरे प्रदेशों से मवेशी उत्तर प्रदेश में लाने पर प्रतिबंध के बाद बुधवार और गुरुवार को मवेशियों की आवक कम रही।
एक स्लाटर हाउस के मैनेजर नीरज त्रिवेदी ने बताया कि डॉक्टरों की टीम द्वारा मवेशियों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद ही स्लाटरिंग की जाती है। हालांकि दूसरे प्रदेशों से मवेशी लाने पर लगी रोक से आवक कुछ कम हुई है। लेकिन अभी इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है क्योंकि कोविड के बाद चीन पर निर्यात पर लगी रोक से लगभग पचास फीसदी उत्पादन किया जा रहा है।
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प्रभावित होगा चमड़ा उद्योग
स्लाटर हाउसों में स्लाटरिंग कम होने पर चमड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल (खाल) की कमी होगी। इससे चर्म उद्योग भी प्रभावित होगा। चर्म उत्पाद निर्यातक मो. ताज आलम ने बताया कि चमड़ा उद्योग, स्लाटर हाउसों पर ही निर्भर है। अगर स्लाटरिंग कम हुई तो इसका असर चमड़ा उद्योग पर पड़ेगा।
लंपी वायरस से मांस निर्यातकों को झटका
दूसरे प्रदेशों से मवेशियों को लाने पर लगा प्रतिबंध
जिले में छह स्लाटर हाउस, हर महीने 600 करोड़ का व्यापार
रोजाना पांच हजार मवेशियों की स्लाटरिंग का ले रखा है लाइसेंस
राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार व अन्य राज्यों से मवेशी न आने से रुकेंगे आर्डर
संवाद न्यूज एजेंसी
उन्नाव। पशुओं में तेजी से फैल रहे लंपी वायरस ने मांस उद्योग को झटका दिया है। वायरस का फैलाव रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने दूसरे प्रदेशों से पशुओं की आवक पर रोक लगा दी है। इससे मांस का निर्यात करने वाले उद्यमी परेशान हैं। जिले के छह स्लाटर हाउसों को रोजाना पांच हजार पशुओं की स्लाटरिंग की स्वीकृति है। हर माह औसतन 600 करोड़ का निर्यात होता है।
पशुओं में लंपी वायरस के संक्रमण को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पशु मेलों और दूसरे राज्यों से उत्तर प्रदेश में पशु लाने पर प्रतिबंध लगाया है। अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी की ओर से इसका आदेश जारी किया गया है। आदेश के बाद स्लाटर हाउस संचालकों में खलबली मच गई है। मालूम हो कि जिले में कुल छह स्लाटर हाउस हैं। उन्हें रोजाना पांच हजार मवेशियों की स्लाटरिंग का लाइसेंस दिया गया है। सभी स्लाटर हाउस अपना उत्पाद (पैकेट बंद मांस) विदेशों में निर्यात करते हैं, हर महीने औसतन छह सौ करोड़ का व्यापार होता है। दूसरे प्रदेशों से मवेशी उत्तर प्रदेश में लाने पर प्रतिबंध के बाद बुधवार और गुरुवार को मवेशियों की आवक कम रही।
एक स्लाटर हाउस के मैनेजर नीरज त्रिवेदी ने बताया कि डॉक्टरों की टीम द्वारा मवेशियों का स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद ही स्लाटरिंग की जाती है। हालांकि दूसरे प्रदेशों से मवेशी लाने पर लगी रोक से आवक कुछ कम हुई है। लेकिन अभी इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है क्योंकि कोविड के बाद चीन पर निर्यात पर लगी रोक से लगभग पचास फीसदी उत्पादन किया जा रहा है।
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प्रभावित होगा चमड़ा उद्योग
स्लाटर हाउसों में स्लाटरिंग कम होने पर चमड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल (खाल) की कमी होगी। इससे चर्म उद्योग भी प्रभावित होगा। चर्म उत्पाद निर्यातक मो. ताज आलम ने बताया कि चमड़ा उद्योग, स्लाटर हाउसों पर ही निर्भर है। अगर स्लाटरिंग कम हुई तो इसका असर चमड़ा उद्योग पर पड़ेगा।
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