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उन्नाव। आधी जुलाई बीत गई लेकिन मानसून अब भी रूठा है। जिले में जुलाई में बारिश का औसत 262.8 मिलीमीटर रहता है पर अभी तक सिर्फ 8.5 मिमी बरसात हुई है। वहीं जून में भी औसत 67.5 की जगह 35 मिमी बारिश ही हुई। ऐसे में प्रकृति की मार से किसान परेशान हैं। धान की बेड़ तैयार है लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। सिस्टम भी उनका साथ नहीं दे रहा है। किसानों का कहना है माइनरों की सफाई न होने से उनमें पानी नहीं है। नलकूप भी खराब पड़े हैं।
वर्ष 2016 में जुलाई में सिर्फ पांच मिलीमीटर बारिश हुई थी। छह साल बाद इस बार अब तक 8.5 मिमी बारिश हुई है। न्यूनतम तापमान 28 से 29 डिग्री के बीच बना हुआ है। अधिकतम पारा भी 37 से 38 डिग्री चल रहा है। गर्मी में सिंचाई का प्रबंध करना किसानों के लिए चुनौती जैसा है।
नलकूप भी खराब, नहीं हो पा रही रोपाई
हसनगंज। आसीवन ब्रांच से निकली नहर में पानी नहीं है। इससे फिरोजाबाद, चांदपुर झलिहाई, फरहदपुर, हसनगंज, मौलाबांकीपुर के किसान परेशान हैं। उन्होंने धान की बेड़ तैयार कर ली है लेकिन नहर व माइनर में पानी न होने से रोपाई नहीं हो पा रही है। वहीं हसनगंज ब्लाक में 19 ट्यूबवेल में सात तकनीकी खराबी से बंद पड़े हैं।
सफीपुर। ब्रम्हना से मिर्जापुर माइनर की सफाई न होने के कारण पानी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जिस कारण किसानों के सामने सिंचाई का संकट है। वहीं 15 नलकूपों में मुस्तफाबाद, पावा और हसनखेड़ा के नलकूप बंद पड़े हैं। एक की मोटर खराब है।
मौरावां। ब्लॉक हिलौली क्षेत्र में कुल 27 राजकीय नलकूप हैं। इनमें पिंजरा, बरेंदा, पानकुंवरखेड़ा, हिलौली और अयोध्याखेड़ा के नलकूप बंद पड़े हैं। डेढ़ माह से मौरावां रजबाहा में पानी नहीं छोड़ा गया।
असोहा। दरेहटा, ओगरापुर, गोमापुर, चिलौली, डूडीयाथर, चौपाई, लच्छीपुर, नेवादा, रैनापुर व गोसाखेड़ा के नलकूप खराब पड़े हैं।
बीघापुर। शारदा नहर की ब्रांच मुगलपुर माइनर में पानी नहीं है। दुबेपुर, महाई, कुलहा, जंगलीखेड़ा, बीघापुर, आडाखेड़ा, पाली, नरोत्तमपुर, टेढ़ा तक माइनर से पानी नहीं मिल रहा है। 16 नलकूप में तीन खराब हैं।
बिछिया। शारदा नहर की पुरवा ब्रांच में पानी नहीं है। बिछिया के गोहना और अनगनगढ़ ट्यूबवेल भी बंद पड़े हैं। इससे किसानों के सामने फसलों की सिंचाई की समस्या है।
बारिश न होने से धान की फसल की बुआई पिछड़ रही है। छोटे किसान बारिश पर निर्भर हैं। जुलाई में औसत बारिश न होने से समस्या है। -कुलदीप मिश्रा, जिला कृषि अधिकारी।
जिले में कुल जमीन-4,54,676 हेक्टेयर
खेतिहर भूमि-2,91,298 हेक्टेयर
नहरों से सिंचाई-62,433 हेक्टेयर
नलकूप से सिंचाई -17,500 हेक्टेयर
शेष भूमि की सिंचाई ट्यूबवेल और पंपों के जरिये होती है।
लागत बढ़ने की आशंका
असोहा ब्लाक के मझखोरिया निवासी विंदा लोधी ने बताया कि बारिश न होने से परेशानी है। संपन्न किसान तो पंपसेट चलवाकर पलेवा के लिए खेत में पानी भर रहे हैं लेकिन छोटे किसान अभी भी पौध की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं। बारिश नहीं होगी तो फसल की लागत बढ़ेगी।
सफीपुर के गहोली निवासी शिवनारायण बाजपेयी के मुताबिक धान सबसे ज्यादा पानी मांगता है। बारिश न होने से सिंचाई को लेकर काफी समस्या है। किसान बादलों की ओर टकटकी लगाए हैं।
पाकिस्तानी चक्रवात से मानसून खिसका
उन्नाव। पाकिस्तान के ऊपर बने चक्रवाती दबाव का असर प्रदेश के मानसून पर भी पड़ा है। जुलाई अब तक सूखा बीत रहा है। अब अगस्त की शुरुआत में बारिश होने के आसार मौसम विशेषज्ञ जता रहे हैं।
जो मानसून 30 जून को प्रदेश के साथ जिले में प्रवेश कर गया था वो पांच जुलाई तक पूरी तरह से घूम गया। इसके पीछे पाकिस्तान से आने वाली हवा और चक्रवाती दबाव का असर है।
मानसून की टर्फ लाइन बिगड़ गई है। पाकिस्तान तक मानसून पहुंच गया है। वहां पर बने चक्रवात से हवा में असंतुलन हो गया। इससे राजस्थान और गुजरात में भारी बारिश हो रही है। वहीं प्रदेश में मानसून की रेखा खिसक गई। हवा तेज होने से बादलों को टिकने का अवसर नहीं मिला और मानसून की टर्फ लाइन दक्षिण और पश्चिम की ओर घूम गई है। अगस्त के शुरुआती दिनों में हालत सुधरने के आसार हैं। – जेपी गुप्ता, निदेशक, मौसम विभाग
उन्नाव। आधी जुलाई बीत गई लेकिन मानसून अब भी रूठा है। जिले में जुलाई में बारिश का औसत 262.8 मिलीमीटर रहता है पर अभी तक सिर्फ 8.5 मिमी बरसात हुई है। वहीं जून में भी औसत 67.5 की जगह 35 मिमी बारिश ही हुई। ऐसे में प्रकृति की मार से किसान परेशान हैं। धान की बेड़ तैयार है लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। सिस्टम भी उनका साथ नहीं दे रहा है। किसानों का कहना है माइनरों की सफाई न होने से उनमें पानी नहीं है। नलकूप भी खराब पड़े हैं।
वर्ष 2016 में जुलाई में सिर्फ पांच मिलीमीटर बारिश हुई थी। छह साल बाद इस बार अब तक 8.5 मिमी बारिश हुई है। न्यूनतम तापमान 28 से 29 डिग्री के बीच बना हुआ है। अधिकतम पारा भी 37 से 38 डिग्री चल रहा है। गर्मी में सिंचाई का प्रबंध करना किसानों के लिए चुनौती जैसा है।
नलकूप भी खराब, नहीं हो पा रही रोपाई
हसनगंज। आसीवन ब्रांच से निकली नहर में पानी नहीं है। इससे फिरोजाबाद, चांदपुर झलिहाई, फरहदपुर, हसनगंज, मौलाबांकीपुर के किसान परेशान हैं। उन्होंने धान की बेड़ तैयार कर ली है लेकिन नहर व माइनर में पानी न होने से रोपाई नहीं हो पा रही है। वहीं हसनगंज ब्लाक में 19 ट्यूबवेल में सात तकनीकी खराबी से बंद पड़े हैं।
सफीपुर। ब्रम्हना से मिर्जापुर माइनर की सफाई न होने के कारण पानी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जिस कारण किसानों के सामने सिंचाई का संकट है। वहीं 15 नलकूपों में मुस्तफाबाद, पावा और हसनखेड़ा के नलकूप बंद पड़े हैं। एक की मोटर खराब है।
मौरावां। ब्लॉक हिलौली क्षेत्र में कुल 27 राजकीय नलकूप हैं। इनमें पिंजरा, बरेंदा, पानकुंवरखेड़ा, हिलौली और अयोध्याखेड़ा के नलकूप बंद पड़े हैं। डेढ़ माह से मौरावां रजबाहा में पानी नहीं छोड़ा गया।
असोहा। दरेहटा, ओगरापुर, गोमापुर, चिलौली, डूडीयाथर, चौपाई, लच्छीपुर, नेवादा, रैनापुर व गोसाखेड़ा के नलकूप खराब पड़े हैं।
बीघापुर। शारदा नहर की ब्रांच मुगलपुर माइनर में पानी नहीं है। दुबेपुर, महाई, कुलहा, जंगलीखेड़ा, बीघापुर, आडाखेड़ा, पाली, नरोत्तमपुर, टेढ़ा तक माइनर से पानी नहीं मिल रहा है। 16 नलकूप में तीन खराब हैं।
बिछिया। शारदा नहर की पुरवा ब्रांच में पानी नहीं है। बिछिया के गोहना और अनगनगढ़ ट्यूबवेल भी बंद पड़े हैं। इससे किसानों के सामने फसलों की सिंचाई की समस्या है।
बारिश न होने से धान की फसल की बुआई पिछड़ रही है। छोटे किसान बारिश पर निर्भर हैं। जुलाई में औसत बारिश न होने से समस्या है। -कुलदीप मिश्रा, जिला कृषि अधिकारी।
जिले में कुल जमीन-4,54,676 हेक्टेयर
खेतिहर भूमि-2,91,298 हेक्टेयर
नहरों से सिंचाई-62,433 हेक्टेयर
नलकूप से सिंचाई -17,500 हेक्टेयर
शेष भूमि की सिंचाई ट्यूबवेल और पंपों के जरिये होती है।
लागत बढ़ने की आशंका
असोहा ब्लाक के मझखोरिया निवासी विंदा लोधी ने बताया कि बारिश न होने से परेशानी है। संपन्न किसान तो पंपसेट चलवाकर पलेवा के लिए खेत में पानी भर रहे हैं लेकिन छोटे किसान अभी भी पौध की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं। बारिश नहीं होगी तो फसल की लागत बढ़ेगी।
सफीपुर के गहोली निवासी शिवनारायण बाजपेयी के मुताबिक धान सबसे ज्यादा पानी मांगता है। बारिश न होने से सिंचाई को लेकर काफी समस्या है। किसान बादलों की ओर टकटकी लगाए हैं।
पाकिस्तानी चक्रवात से मानसून खिसका
उन्नाव। पाकिस्तान के ऊपर बने चक्रवाती दबाव का असर प्रदेश के मानसून पर भी पड़ा है। जुलाई अब तक सूखा बीत रहा है। अब अगस्त की शुरुआत में बारिश होने के आसार मौसम विशेषज्ञ जता रहे हैं।
जो मानसून 30 जून को प्रदेश के साथ जिले में प्रवेश कर गया था वो पांच जुलाई तक पूरी तरह से घूम गया। इसके पीछे पाकिस्तान से आने वाली हवा और चक्रवाती दबाव का असर है।
मानसून की टर्फ लाइन बिगड़ गई है। पाकिस्तान तक मानसून पहुंच गया है। वहां पर बने चक्रवात से हवा में असंतुलन हो गया। इससे राजस्थान और गुजरात में भारी बारिश हो रही है। वहीं प्रदेश में मानसून की रेखा खिसक गई। हवा तेज होने से बादलों को टिकने का अवसर नहीं मिला और मानसून की टर्फ लाइन दक्षिण और पश्चिम की ओर घूम गई है। अगस्त के शुरुआती दिनों में हालत सुधरने के आसार हैं। – जेपी गुप्ता, निदेशक, मौसम विभाग
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