उन्नाव : सीएचसी में नहीं मिलतीं महिला डॉक्टर

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सफीपुर। सीएचसी में तैनात महिला डॉक्टर सरकारी आवास न होने का बहाना बनाकर रात में घर चली जातीं हैं। इसके कारण रात में स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं को मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता है। समय पर इलाज न मिलने से एक माह में निजी अस्पताल में प्रसव कराने वाली दो महिलाओं की मौत हो चुकी है।
29 जून को पूरन नगर निवासी दीपक की पत्नी प्रीती और 21 जुलाई को जुझारपुर निवासी मुलायम सिंह की पत्नी दीपा की निजी अस्पताल में मौत हो गई थी। दोनों गर्भवती थीं। निजी अस्पतालों में मौत के बाद हंगामा होने पर एसडीएम, पुलिस व स्वास्थ्य अधिकारी मौके पर पहुंचकर अस्पताल बंद करा देते हैं लेकिन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों पर पर्दा डाल दिया जाता है। स्थिति ये है कि स्वास्थ्य केंद्र रात में स्टाफ नर्स के भरोसे हो जाता है। अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते।
सुबह से भर्ती पर देखने कोई नहीं आया
कारीमाबाद निवासी विद्यावती सिंह ने बताया कि प्रसव पीड़ा होने पर शनिवार सुबह भर्ती र्हुइं थीं। अभी तक डॉक्टर देखने नहीं आईं हैं।
सेवा पुरवा निवासी खुशबू ने बताया कि उन्हें प्रसव पीड़ा हो रही है। दिन में तो डॉक्टर रहीं लेकिन स्टॉफ ने बताया कि रात में डॉक्टर नहीं आएंगी। इससे डर लग रहा है।
– प्रभारी सीएमओ डॉ. आरके गौतम ने बताया कि आवास नहीं है तो किराये पर रहें। सीएचसी में एक ही महिला डॉक्टर है, वह आनकॉल रहती हैं। कॉल के बाद भी वह नहीं पहुंचती हैं तो कार्रवाई की जा सकती है। सीएचसी प्रभारी से जानकारी ली जाएगी कि उन्होंने डॉक्टर को कॉल की थी कि नहीं।
– सीएचसी प्रभारी डॉ. राजेश कुमार वर्मा बोले कि दोनों केस में महिला डॉक्टर की जरूरत ही नहीं पड़ी थी।

यह भी पढ़ें -  Unnao News: परिजनों ने डांटा तो युवक ने की आत्महत्या की कोशिश

सफीपुर। सीएचसी में तैनात महिला डॉक्टर सरकारी आवास न होने का बहाना बनाकर रात में घर चली जातीं हैं। इसके कारण रात में स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं को मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ता है। समय पर इलाज न मिलने से एक माह में निजी अस्पताल में प्रसव कराने वाली दो महिलाओं की मौत हो चुकी है।

29 जून को पूरन नगर निवासी दीपक की पत्नी प्रीती और 21 जुलाई को जुझारपुर निवासी मुलायम सिंह की पत्नी दीपा की निजी अस्पताल में मौत हो गई थी। दोनों गर्भवती थीं। निजी अस्पतालों में मौत के बाद हंगामा होने पर एसडीएम, पुलिस व स्वास्थ्य अधिकारी मौके पर पहुंचकर अस्पताल बंद करा देते हैं लेकिन सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों पर पर्दा डाल दिया जाता है। स्थिति ये है कि स्वास्थ्य केंद्र रात में स्टाफ नर्स के भरोसे हो जाता है। अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते।

सुबह से भर्ती पर देखने कोई नहीं आया

कारीमाबाद निवासी विद्यावती सिंह ने बताया कि प्रसव पीड़ा होने पर शनिवार सुबह भर्ती र्हुइं थीं। अभी तक डॉक्टर देखने नहीं आईं हैं।

सेवा पुरवा निवासी खुशबू ने बताया कि उन्हें प्रसव पीड़ा हो रही है। दिन में तो डॉक्टर रहीं लेकिन स्टॉफ ने बताया कि रात में डॉक्टर नहीं आएंगी। इससे डर लग रहा है।

– प्रभारी सीएमओ डॉ. आरके गौतम ने बताया कि आवास नहीं है तो किराये पर रहें। सीएचसी में एक ही महिला डॉक्टर है, वह आनकॉल रहती हैं। कॉल के बाद भी वह नहीं पहुंचती हैं तो कार्रवाई की जा सकती है। सीएचसी प्रभारी से जानकारी ली जाएगी कि उन्होंने डॉक्टर को कॉल की थी कि नहीं।

– सीएचसी प्रभारी डॉ. राजेश कुमार वर्मा बोले कि दोनों केस में महिला डॉक्टर की जरूरत ही नहीं पड़ी थी।

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