उर्स पर खिल उठा ताजमहल: 23 महीने बाद 40 हजार से अधिक सैलानियों ने किया दीदार, व्यवस्थाएं तार-तार

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पर्यटकों की आमद से रविवार को ताजमहल का जर्रा-जर्रा खिल उठा। 23 माह बाद 40 हजार से अधिक सैलानी ताजमहल पहुंचे तो मुख्य गुंबद तक जाने वाले रास्ते पर पैर रखने को जगह नहीं बची। पर्यटकों की उमड़ी भीड़ से व्यवस्थाएं तार-तार हो गईं। पार्क में पौधे टूट गए। सैलानियों को मुख्य गुंबद तक पहुंचने में दो घंटे लग गए।

मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण के बाद से अब तक ताजमहल पर इतनी बड़ी संख्या में सैलानी नहीं आए हैं। सप्ताहांत में रविवार को शाहजहां के उर्स के पहले दिन सुबह से ही ऑनलाइन बुकिंग शुरू हो गई। एएसआई के मुताबिक सुबह से दोपहर तक 13782 टिकटों की बिक्री हो चुकी थी। प्रवेश निशुल्क होते ही दोपहर दो बजे के बाद दोनों गेटों पर भीड़ बढ़ गई। लंबी कतारें लग गई। उधर, मुख्य मकबरे पर भी लंबी कतारें लगी रहीं। अव्यवस्थाओं के कारण कई बार दोनों गेटों पर पर्यटकों में धक्कामुक्की भी हुई। भीड़ को काबू करने में एएसआई, पर्यटन पुलिस और सीआईएसएफ को पसीने छूट गए। 

दोपहर को खोलना पड़ा चौथा गेट

ताज पर उमड़ी भीड़ के मुख्य परिसर में में जमा होने पर एएसआई ने दशहरा घाट की ओर के चौथे निकास द्वार को खोला, जिससे पर्यटकों को ताज से बाहर निकाला गया। इस गेट का इस्तेमाल एएसआई के कर्मचारियों के निकास व प्रवेश के लिए ही किया जाता है। पर्यटकों के लिए आपात स्थिति में खोला जाता है। 

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असली कब्रें देखने के लिए उमड़े लोग

ताजमहल स्थित शाहजहां और मुमताज महल की असली कब्रों को उर्स के दौरान तीन दिन के लिए ही खोला जाता है। सबसे ज्यादा पर्यटक इन कब्रों को देखने के लिए ही पहुंचे। देर शाम तक यह सिलसिला चलता रहा। 

दो घंटे लगे मगर सुकून मिला

दिल्ली से आए पर्यटक नदीम ने बताया कि ताजमहल में शाहजहां के उर्स को देखने आया हूं। भीड़ ज्यादा होने के कारण प्रवेश में दो घंटे लगे मगर ताज देखकर सुकून मिल गया। पर्यटक दीपक शर्मा ने कहा कि ताजमहल पर भ्रमण और फोटोग्राफी करने का अपना ही मजा है। यही कारण है कि आज यहां परिवार के साथ आए हैं। 

दो साल बाद बिखरी रौनक

पर्यटन उद्यमी संदीप अरोड़ा ने कहा कि कोरोना काल के दौरान दो साल से ताजमहल पर सन्नाटा ही पसरा हुआ था। संक्रमण कम होने और पाबंदियों के समाप्त होने से ताज पर लंबे समय बाद रौनक देखने को मिली।

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