[ad_1]

मूर्ख दिवस पर गधे की पूजा के बाद उसका सम्मान करते काका हाथरसी
– फोटो : फाइल फोटो
विस्तार
एक अप्रैल को मूर्ख दिवस यानी अप्रैल फूल डे मनाया जाता है। हास्य व्यंग्य के आका कवि काका हाथरसी ने एक मूर्खिस्तान की भी कल्पना की थी जिसमें उन्होंने बताया था कि मूर्खों का शासन कैसा होगा।
उनकी कविता ”मिटा देंगे सबका नामो-निशान, बना रहे नया राष्ट्र मूर्खिस्तान” में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि मूर्खिस्तान का राष्ट्रपति कौन होगा, इसकी क्या भाषा होगी। मूर्खिस्तान का झंडा कैसा होगा और मूर्खिस्तान का राष्ट्रीय पशु और पक्षी कौन होगा। वर्तमान में देश की राजनीति की जो दशा है, उस पर काका ने इस कविता के माध्यम से सटीक व्यंग्य कसे हैं। लोकतंत्र के खतरे से भी काका ने सभी को इस कविता के माध्यम से चेताया है। काका हाथरसी की कविता आज के दौर में बेहद प्रासंगिक दिखती है।
काका ने अपनी कविता में लिखा है- ”मिटा देंगे सबका नामो-निशान, बना रहे नया राष्ट्र मूर्खिस्तान।” आज के बुद्धिजीवी राष्ट्रीय मगरमच्छों से पीड़ित है प्रजातंत्र, भयभीत है गणतंत्र। इनसे सत्ता छीनने के लिए कामयाब होंगे मूर्खमंत्र, मूर्खयंत्र, कायम करेंगे मूर्खतंत्र।
काका हाथरसी लिखते हैं कि हमारे मूर्खिस्तान के राष्ट्रपति होंगे- तानाशाह ढपोलशंख, उनके मंत्री (यानी चमचे) होंगे खट्टा सिंह, लट्ठा सिंह, खाऊ लाल, झपट्टा सिंह। रक्षामंत्री-मेजर जनरल मच्छर सिंह। उनकी राष्ट्रभाषा हिंदी ही रहेगी लेकिन बोलेंगे अंग्रेजी। अक्षरों की टांगें ऊपर होंगी, सिर होगा नीचे, तमाम भाषाएं दौड़ेंगी हमारे पीछे-पीछे।
काका ने इस कविता में आगे लिखा है कि- ”हमारे होंगे पांच चकार-चाकू, चप्पल, चाबुक, चिमटा और चिलम।” इनको देखकर भाग जाएंगी सब व्याधियां। मूर्खतंत्र दिवस पर दिलखोलकर लुटाएंगी उपाधियां। मूर्खरत्न, मूर्ख भूषण, मूर्खश्री और मूर्खानंद।
काका ने अपनी इस रचना में यह भी लिखा है कि आखिर इस राष्ट्र का पशु कौन होगा- मूर्खिस्तान का राष्ट्रपशु गधा होगा और राष्ट्रीय पक्षी उल्लू या कौआ, राष्ट्रीय खेल कबड्डी या कनकौआ। राष्ट्रीय गान मूर्ख चालीसा, राजधानी के लिए शिकारपुर, वंडरफुल। राष्ट्रीय दिवस, होगी की आग लगी पडवा। काका इस कविता में लिखते हैं कि- ”नष्ट कर देंगे धड़ेबंदी, गुटंबदी, ईर्ष्यावाद और निंदावाद। मूर्खास्तान जिंदाबाद।”
[ad_2]
Source link