एससीएसटी: एक साल में 566 पीड़ितों को दिए गए 5.06 करोड़ रुपये

0
28

[ad_1]

ख़बर सुनें

उन्नाव। हाल ही में हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में पीड़ित को दिए जाने वाले मुआवजे को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि अब इस एक्ट में आरोपी पर दोष सिद्ध होने पर ही पीड़ित को मुआवजा दिया जाए। पिछले एक साल में समाज कल्याण विभाग ने 566 पीड़ितों को 5.06 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम में पीड़ितों को शासन से मुआवजा राशि देने का प्रावधान है। प्रदेश सरकार समाज कल्याण विभाग के माध्यम से मुआवजा धनराशि पीड़ित के खातों में भेजती है। समाज कल्याण विभाग से मिले आंकड़ों की मानें तो पिछले एक साल में (एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक) एससी-एसटी एक्ट के 566 पीड़ित रहे।
इसमें 11 हत्या और 36 मामले बलात्कार के शामिल हैं। शेष मामले जातिसूचक गालीगलौज, मारपीट, छेड़खानी से संबंधित हैं। इनको मुआवजे के रूप में 5.06 करोड़ रुपये दिए गए। एससी-एसटी में समझौता होने या मुकदमा हारने पर पीड़ित को दी गई मुआवजा राशि वापसी का प्रावधान नहीं है।
अभी तक ये है व्यवस्था
अभी तक की व्यवस्था में दलित परिवार के कमाऊ व्यक्ति की हत्या पर 8.25 लाख, गैर कमाऊ और नाबालिग की हत्या पर 4.12 लाख रुपये दिए जाते हैं। रिपोर्ट दर्ज होते ही आधी मुआवजा राशि दे दी जाती है। शेष राशि चार्जशीट दाखिल होने पर मिलती है। सामूहिक दुष्कर्म पर चार लाख और दुष्कर्म पर दो लाख रुपये मुआवजा मिलता है। आधी राशि रिपोर्ट दर्ज कराने और आधी चार्जशीट दाखिल होने पर मिलती है। मारपीट और गालीगलौज पर एक लाख रुपये मुआवजा है। रिपोर्ट लिखाने पर 10 फीसदी राशि, चार्जशीट दाखिल होने पर 25 फीसदी राशि और शेष राशि फैसला आने पर मिलता है। अब हाईकोर्ट के नए आदेश के बाद आरोपी पर दोष सिद्ध होने पर ही मुआवजा दिया जाएगा।
वर्जन
एससी-एसटी एक्ट को लेकर हाईकोर्ट के नए आदेश की जानकारी हुई है लेकिन अभी इस संबंध में लिखित शासनादेश जारी नहीं हुआ है। जब तक शासन से कोई आदेश जारी नहीं होता है, कुछ नहीं कहा जा सकता। – डॉ. नीलम सिंह, जिला समाज कल्याण अधिकारी।

यह भी पढ़ें -  मारपीट व फायरिंग में ब्लॉक प्रमुख सहित छह लोगों पर रिपोर्ट

उन्नाव। हाल ही में हाईकोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में पीड़ित को दिए जाने वाले मुआवजे को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि अब इस एक्ट में आरोपी पर दोष सिद्ध होने पर ही पीड़ित को मुआवजा दिया जाए। पिछले एक साल में समाज कल्याण विभाग ने 566 पीड़ितों को 5.06 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार अधिनियम में पीड़ितों को शासन से मुआवजा राशि देने का प्रावधान है। प्रदेश सरकार समाज कल्याण विभाग के माध्यम से मुआवजा धनराशि पीड़ित के खातों में भेजती है। समाज कल्याण विभाग से मिले आंकड़ों की मानें तो पिछले एक साल में (एक अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक) एससी-एसटी एक्ट के 566 पीड़ित रहे।

इसमें 11 हत्या और 36 मामले बलात्कार के शामिल हैं। शेष मामले जातिसूचक गालीगलौज, मारपीट, छेड़खानी से संबंधित हैं। इनको मुआवजे के रूप में 5.06 करोड़ रुपये दिए गए। एससी-एसटी में समझौता होने या मुकदमा हारने पर पीड़ित को दी गई मुआवजा राशि वापसी का प्रावधान नहीं है।

अभी तक ये है व्यवस्था

अभी तक की व्यवस्था में दलित परिवार के कमाऊ व्यक्ति की हत्या पर 8.25 लाख, गैर कमाऊ और नाबालिग की हत्या पर 4.12 लाख रुपये दिए जाते हैं। रिपोर्ट दर्ज होते ही आधी मुआवजा राशि दे दी जाती है। शेष राशि चार्जशीट दाखिल होने पर मिलती है। सामूहिक दुष्कर्म पर चार लाख और दुष्कर्म पर दो लाख रुपये मुआवजा मिलता है। आधी राशि रिपोर्ट दर्ज कराने और आधी चार्जशीट दाखिल होने पर मिलती है। मारपीट और गालीगलौज पर एक लाख रुपये मुआवजा है। रिपोर्ट लिखाने पर 10 फीसदी राशि, चार्जशीट दाखिल होने पर 25 फीसदी राशि और शेष राशि फैसला आने पर मिलता है। अब हाईकोर्ट के नए आदेश के बाद आरोपी पर दोष सिद्ध होने पर ही मुआवजा दिया जाएगा।

वर्जन

एससी-एसटी एक्ट को लेकर हाईकोर्ट के नए आदेश की जानकारी हुई है लेकिन अभी इस संबंध में लिखित शासनादेश जारी नहीं हुआ है। जब तक शासन से कोई आदेश जारी नहीं होता है, कुछ नहीं कहा जा सकता। – डॉ. नीलम सिंह, जिला समाज कल्याण अधिकारी।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here