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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। दो दिन पहले मऊ जिला मुख्यालय पर ओमप्रकाश के करीबी व पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र राजभर सहित कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वहीं बुधवार को प्रदेश महासचिव अरविंद राजभर के साथ 45 कार्यकर्ताओं ने पार्टी जिलाध्यक्ष रामजीत राजभर को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया। महेंद्र समेत अन्य पदाधिकारियों के अचानक पार्टी छोड़ने की घोषणा से सुभासपा अध्यक्ष समेत अन्य नेता सकते में हैं।
सपा से गंठबंधन टूटने के बाद अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) में बगावत हो गई है। बुधवार को कोपागंज कस्बे के प्राचीन गौरीशंकर मंदिर के प्रांगण में पार्टी के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की बैठक में इस्तीफा देने का फैसला किया गया।
पार्टी को बेचने का काम कर रहे ओमप्रकाश राजभर
कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौका देख पार्टी को बेचने का काम कर रहे हैं। पदाधिकारियों से कोई राय नहीं ली जा रही है। जब मन में आया तो मौका देख गठबंधन कर लिया। घर के लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा। पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर धनवानों को टिकट दिया जा रहा है।
सभी ने कहा कि खून पसीना बहाकर शोषित, दलित, असहायों के लिए कार्यकर्ताओं ने मिलकर पार्टी खड़ी की, लेकिन ओमप्रकाश राजभर ने इसे बेच दिया। इस्तीफा देने वालों में लल्लन राजभर, कमलेश राजभर, राजेश, शिवबचन, मुन्ना राजभर, सोनू, अरविंद, चंद्रशेखर सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
महेंद्र राजभर ने बीते सोमवार को ओमप्रकाश राजभर का साथ छोड़ दिया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-सुभासपा गठबंधन के समय प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें कटप्पा कहकर संबोधित किया था। उस समय महेंद्र मुख्तार अंसारी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे।
महेंद्र राजभर सुभासपा के टॉप पांच नेताओं में शामिल थे। अचानक उनके बगावती तेवर से पार्टी में भूचाल आ गया है। उनके साथ कई बड़े नेताओं ने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया। बता दें कि सुभासपा के संस्थापकों में शामिल रहे महेंद्र ओमप्रकाश राजभर के काफी करीबी लोगों में रहे हैं। पार्टी में महेंद्र की अहमियत ओमप्रकाश के बाद दूसरे नंबर पर थी।
वह पार्टी की रणनीति और नीति बनाने की प्रमुख भूमिका निभाते थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन में सुभासपा ने उन्हें मुख्तार के खिलाफ मऊ सदर से लड़ाया था, जिसमें महेंद्र को 89 हजार के करीब वोट मिले थे। वह मुख्तार से करीब 6 हजार मतों से पराजित हुए थे। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें मऊ से प्रत्याशी बनाया था।
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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। दो दिन पहले मऊ जिला मुख्यालय पर ओमप्रकाश के करीबी व पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र राजभर सहित कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वहीं बुधवार को प्रदेश महासचिव अरविंद राजभर के साथ 45 कार्यकर्ताओं ने पार्टी जिलाध्यक्ष रामजीत राजभर को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया। महेंद्र समेत अन्य पदाधिकारियों के अचानक पार्टी छोड़ने की घोषणा से सुभासपा अध्यक्ष समेत अन्य नेता सकते में हैं।
सपा से गंठबंधन टूटने के बाद अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) में बगावत हो गई है। बुधवार को कोपागंज कस्बे के प्राचीन गौरीशंकर मंदिर के प्रांगण में पार्टी के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की बैठक में इस्तीफा देने का फैसला किया गया।
पार्टी को बेचने का काम कर रहे ओमप्रकाश राजभर
कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौका देख पार्टी को बेचने का काम कर रहे हैं। पदाधिकारियों से कोई राय नहीं ली जा रही है। जब मन में आया तो मौका देख गठबंधन कर लिया। घर के लोगों को बढ़ावा दिया जा रहा। पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर धनवानों को टिकट दिया जा रहा है।
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