[ad_1]
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 18 Feb 2022 10:39 PM IST
सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एनएसए के तहत याची अधिकतम अवधि से अधिक समय से है नजरबंद, इसलिए निर्देश जारी करने की आवश्यकता नहीं।
तकरीबन 21 महीने से नजरबंद औरैया एमएलसी कमलेश पाठक को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत दे दी है। कोर्ट ने उन पर चल रही नजरबंद की कार्रवाई को अवैध करार दिया। कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए)-1980 की धारा 13 के तहत याची निर्धारित अवधि से अधिक समय तक नजरबंद रहा।
कानून के मुताबिक उसकी नजरबंदी की अवधि खुद समाप्त हो गई और उस पर कोई निर्देश जारी करने की आवश्यकता नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर ने याची कमलेश पाठक की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याची ने इस मामले में केंद्र सरकार और जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए अपनी नजरबंदी को हटाने की मांग की थी। उसे 15 मार्च 2020 को पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर की जमीन पर कब्जा करने के बाद आईपीसी की विभिन्न धाराओं में हिरासत में लिया गया था।
घटना में हो गई थी दो लोगों की मौत
आरोप है कि पंचमुखी हनुमान मंदिर पर कब्जा करने के दौरान स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो गोली चल गई और उस घटना में दो लोगों की मौत हो गई जबकि तीन अन्य घायल हो गए। एमएलसी ने उसी दिन राजेश्वर भोले बाबा, देव काली मंदिर पर भी कब्जा कर लिया और अपने भाई को महंत बना दिया।
मामले में स्थानीय पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उसे हिरासत में ले लिया था और जिला मजिस्ट्रेट ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून-1980 के तहत निरोधात्मक (नजरबंद) आदेश पारित कर दिया गया। जिला मजिस्ट्रेट ने नजरबंद करने की कार्रवाई की रिपोर्ट को प्रदेश सरकार के पास जनवरी 2021 में भेजा। इसके बाद उसे केंद्र सरकार केपास भेजा गया। जिस पर केंद्र सरकार ने उसे नजरबंद करने की अनुमति दे दी।
अवधि समाप्त होने के बाद नजरबंद रखना गलत- कोर्ट
याची की ओर से तर्क दिया गया कि एनएसए कानून के तहत उसे नजरबंद रखने 12 महीने की अधिकतम सीमा समाप्त हो गई। इसके बावजूद उसे उसी दशा में रखा गया है। जबकि उसने निरोधात्मक कार्रवाई समाप्त करने के खिलाफ औरैया जिला जेल के अधीक्षक के माध्यम से नौ बार अभ्यावेदन जिला मजिस्ट्रेट औरैया और राज्य सरकार के सामने प्रस्तुत किया लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कोर्ट ने इसे गलत माना और कहा कि जब याची की अधिकतम समय तक नजरबंद रखने की अवधि समाप्त हो गई तो उसके बावजूद नजरबंद रखना कानूनी सिद्धांतों के खिलाफ है। उस पर निर्देश जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
विस्तार
तकरीबन 21 महीने से नजरबंद औरैया एमएलसी कमलेश पाठक को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत दे दी है। कोर्ट ने उन पर चल रही नजरबंद की कार्रवाई को अवैध करार दिया। कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए)-1980 की धारा 13 के तहत याची निर्धारित अवधि से अधिक समय तक नजरबंद रहा।
कानून के मुताबिक उसकी नजरबंदी की अवधि खुद समाप्त हो गई और उस पर कोई निर्देश जारी करने की आवश्यकता नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर ने याची कमलेश पाठक की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याची ने इस मामले में केंद्र सरकार और जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए अपनी नजरबंदी को हटाने की मांग की थी। उसे 15 मार्च 2020 को पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर की जमीन पर कब्जा करने के बाद आईपीसी की विभिन्न धाराओं में हिरासत में लिया गया था।
[ad_2]
Source link