[ad_1]
ख़बर सुनें
गंजमुरादाबाद। कटरी क्षेत्र के 80 फीसदी किसान करेले की खेती करके मुनाफा कमा रहे हैं। लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे बनने के बाद उन्हें फसल बेचने में भी सुविधा हो रही है।
कटरी के भिखारीपुर पतसिया, मुन्नीपुरवा, भगवंतपुरवा, गुल्हरिया, सिरधरपुर, बगिया, गहरपुरवा, दारापुर, दरियापुर सहित अन्य गांवों के किसानों ने करेले की खेती को अपनाया है। इसकी बुआई जुलाई के पहले सप्ताह तक की जाती है। फसल अगस्त से तैयार होने लगती है जो अक्तूबर तक चलती है। एक बीघा भूमि में फसल तैयार करने के लिए किसानों को ढाई हजार रुपये का बीज, दस हजार का बांस और पांच हजार की प्लास्टिक की डोरी के साथ लोहे के तार, करीब पांच हजार रुपये की कीटनाशक दवा, एक बोरी डीएपी और दो ट्राली गोबर खाद की व्यवस्था करनी होती है। एक बीघा भूमि में कुल 30 हजार रुपये की लागत आती है और करीब 100 क्विंटल करेला तैयार होता है।
दूरदराज के व्यापारी यहां आकर 2800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद कर दिल्ली, राजस्थान के अलावा लखनऊ, कानपुर और बरेली ले जाते हैं। किसान करेले की खेती से मालामाल हो रहे हैं।
कटरी इलाके के रामनरेश, शिव कुमार, राजेंद्र कुमार, रामकिशोर, होरी लाल, विशनू, राकेश कुमार, मनीराम, रामलखन, गयारी और टीकाराम आदि ने बताया कि यदि मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो करेले की फसल वरदान साबित होती है।
गंजमुरादाबाद। कटरी क्षेत्र के 80 फीसदी किसान करेले की खेती करके मुनाफा कमा रहे हैं। लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे बनने के बाद उन्हें फसल बेचने में भी सुविधा हो रही है।
कटरी के भिखारीपुर पतसिया, मुन्नीपुरवा, भगवंतपुरवा, गुल्हरिया, सिरधरपुर, बगिया, गहरपुरवा, दारापुर, दरियापुर सहित अन्य गांवों के किसानों ने करेले की खेती को अपनाया है। इसकी बुआई जुलाई के पहले सप्ताह तक की जाती है। फसल अगस्त से तैयार होने लगती है जो अक्तूबर तक चलती है। एक बीघा भूमि में फसल तैयार करने के लिए किसानों को ढाई हजार रुपये का बीज, दस हजार का बांस और पांच हजार की प्लास्टिक की डोरी के साथ लोहे के तार, करीब पांच हजार रुपये की कीटनाशक दवा, एक बोरी डीएपी और दो ट्राली गोबर खाद की व्यवस्था करनी होती है। एक बीघा भूमि में कुल 30 हजार रुपये की लागत आती है और करीब 100 क्विंटल करेला तैयार होता है।
दूरदराज के व्यापारी यहां आकर 2800 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद कर दिल्ली, राजस्थान के अलावा लखनऊ, कानपुर और बरेली ले जाते हैं। किसान करेले की खेती से मालामाल हो रहे हैं।
कटरी इलाके के रामनरेश, शिव कुमार, राजेंद्र कुमार, रामकिशोर, होरी लाल, विशनू, राकेश कुमार, मनीराम, रामलखन, गयारी और टीकाराम आदि ने बताया कि यदि मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो करेले की फसल वरदान साबित होती है।
[ad_2]
Source link