कल्याणी नदी के कल्याण की जगी उम्मीद

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उन्नाव। जिले में अस्तित्व खो रही कल्याणी नदी के कल्याण की उम्मीद जगी है। सीडीओ ने नदी गुजरने के स्थानों का ड्रोन सर्वे कराने और जीर्णोद्धार के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने का निर्देश दिया है। अधिकारियों से 30 मई तक रिपोर्ट मांगी है।
हरदोई के माधौगंज ब्लाक के गौरा गांव की दक्षिण झील से निकलने वाली कल्याणी नदी गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में एक है। उन्नाव में गंजमुरादाबाद, बांगरमऊ, फतेहपुर चौरासी, सफीपुर व सिकंदरपुर सरोसी के 32 गांवों से होकर कल्याणी गुजरती है। 80 किमी लंबी ये नदी कभी सैकड़ों गांवों के लिए जीवनदायिनी थी।
नदी में अनवरत जल प्रवाह से आसपास की कृषि भूमि की सिंचाई होती थी लेकिन भूमाफिया ने इसे भी नहीं छोड़ा। भूमि पर कब्जा करके जल प्रवाह रोका तो कल्याणी का का स्वरूप ही बदल गया। कई स्थानों पर नदी की भूमि पर कब्जा कर बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। अमर उजाला ने नदी के स्वरूप को लौटाने के लिए मुहिम छेड़ी।
इसमें प्रकाशित खबरों को सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने गंभीरता से लिया। उन्होंने नदी के पुराने स्वरूप को लौटाने का बीड़ा उठाया है। गुरुवार को सीडीओ ने एसडीएम बांगरमऊ व सफीपुर, बीडीओ व सिंचाई खंड के अधिशासी अभियंता को पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि कल्याणी नदी जिन क्षेत्रों से निकली है, वहां का ड्रोन सर्वे कराएं। नदी के जीर्णोद्धार के लिए डीपीआर तैयार कराकर कार्ययोजना के साथ 30 मई शाम चार बजे वार्ता के लिए बुलाया है।
नदी का अस्तित्व खत्म नहीं होने दिया जाएगा। सिंचाई विभाग के संयुक्त प्रयास से नदी का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। ड्रोन सर्वे और डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं। तीस मई को बैठक कर विस्तार से चर्चा की जाएगी।- दिव्यांशु पटेल, सीडीओ

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उन्नाव। जिले में अस्तित्व खो रही कल्याणी नदी के कल्याण की उम्मीद जगी है। सीडीओ ने नदी गुजरने के स्थानों का ड्रोन सर्वे कराने और जीर्णोद्धार के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने का निर्देश दिया है। अधिकारियों से 30 मई तक रिपोर्ट मांगी है।

हरदोई के माधौगंज ब्लाक के गौरा गांव की दक्षिण झील से निकलने वाली कल्याणी नदी गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में एक है। उन्नाव में गंजमुरादाबाद, बांगरमऊ, फतेहपुर चौरासी, सफीपुर व सिकंदरपुर सरोसी के 32 गांवों से होकर कल्याणी गुजरती है। 80 किमी लंबी ये नदी कभी सैकड़ों गांवों के लिए जीवनदायिनी थी।

नदी में अनवरत जल प्रवाह से आसपास की कृषि भूमि की सिंचाई होती थी लेकिन भूमाफिया ने इसे भी नहीं छोड़ा। भूमि पर कब्जा करके जल प्रवाह रोका तो कल्याणी का का स्वरूप ही बदल गया। कई स्थानों पर नदी की भूमि पर कब्जा कर बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। अमर उजाला ने नदी के स्वरूप को लौटाने के लिए मुहिम छेड़ी।

इसमें प्रकाशित खबरों को सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने गंभीरता से लिया। उन्होंने नदी के पुराने स्वरूप को लौटाने का बीड़ा उठाया है। गुरुवार को सीडीओ ने एसडीएम बांगरमऊ व सफीपुर, बीडीओ व सिंचाई खंड के अधिशासी अभियंता को पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि कल्याणी नदी जिन क्षेत्रों से निकली है, वहां का ड्रोन सर्वे कराएं। नदी के जीर्णोद्धार के लिए डीपीआर तैयार कराकर कार्ययोजना के साथ 30 मई शाम चार बजे वार्ता के लिए बुलाया है।

नदी का अस्तित्व खत्म नहीं होने दिया जाएगा। सिंचाई विभाग के संयुक्त प्रयास से नदी का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। ड्रोन सर्वे और डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं। तीस मई को बैठक कर विस्तार से चर्चा की जाएगी।- दिव्यांशु पटेल, सीडीओ

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