[ad_1]
सार
मालन और प्राचीन काल में मालिनी कहलाने वाली नदी का उद्गम पौड़ी जिले की चंडा पहाड़ियों से माना जाता है। पहाड़ से नदी के रूप में निकली मालन मैदान में पहुंचते ही नाला बन गई। अब मालन नदी के पुनरुद्धार कार्य को इसके मूल रूप में वापस लाने तक जारी रखा जाएगा।
तिथि अक्षय तृतीया। मालन के तट पर हवन पूजन में गूंजते वैदिक मंत्र। इसे महज संयोग नहीं बल्कि अक्षय प्रयास है जो मालन की अविरलता को फिर से धरातल पर लाएगा। दरअसल नदी से नाले में बदल चुकी मालन को फिर से साफ स्वच्छ करने के लिए बिजनौर में अभियान का श्रीगणेश हुआ। नदी के उद्धार के लिए डीएम उमेश मिश्रा समेत सरकारी अमला और हजारों लोगों की भीड़ जुट गई।
मंगलवार सुबह मालन नदी के तट पर मंडावर मार्ग स्थित पुल के पास पुनरुद्धार का शुभारंभ हुआ। हवन पूजन के मुख्य यजमान डीएम उमेश मिश्रा बने। पूजन कराने के बाद मालन के तट पर पहला फावड़ा खुद डीएम उमेश मिश्रा ने चलाया। उन्होंने तसले में मिट्टी भरकर बाहर भी फेंकी। डीएम ने कहा कि भले ही आज मालन नदी नाले की तरह तंग हो गई है, लेकिन कभी मालन के किनारे समृद्ध सभ्यता हुआ करती थी। कण्व आश्रम ही नहीं बल्कि राजा मोरध्वज का किला भी मालन के किनारे पर स्थापित था।
उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संकेतक भी इसे तस्दीक करते हैं और किवदंतियां भी किस्सा बयां कर रही हैं। जिसका प्रमाण सभ्यता के अवशेष मालन के किनारे प्राप्त होने वाले शिवलिंग, मूर्तियों और अन्य वस्तुओं के रूप में मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि मालन के इस क्षेत्र में सिर्फ दो शिवलिंग ही नहीं मिले, बल्कि अन्य बहुत सी मूर्तियां भी मिली हैं। इसके अलावा दर्जनों अन्य शिवलिंग आज भी मयूरेश्वर नाथ महादेव जिला बाबा धाम मंदिर में सहेज कर रखे गए हैं।
वर्तमान में मालन और प्राचीन काल में मालिनी कहलाने वाली नदी का उद्गम पौड़ी जिले की चंडा पहाड़ियों से माना जाता है। बिजनौर में हल्दूखाता से मालन प्रवेश करती है। जिले में 53 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद गंगा में मालन का मिलन रावली में स्थित कण्व आश्रम के पास हो जाता है। इस अवसर सीडीओ केपी सिंह, पीडी डीआरडीए ज्ञानेश्वर तिवारी, संबंधित क्षेत्र के ब्लॉक प्रमुख सहित अन्य विभागीय अधिकारी, श्रमदान करने वाले गण्यमान्य लोग एवं आमजन मौजूद रहे।
पौराणिक इतिहास को देखते हुए चौड़ीकरण जरूरी : डीएम
जिलाधिकारी मिश्रा ने बताया कि मालन नदी के इस भव्य पौराणिक इतिहास के दृष्टिगत इसका चौड़ीकरण तथा पुनरुद्धार किया जाना बेहद जरूरी हो गया था, और इसके प्रवाह में आने वाली सभी रुकावटों को दूर किया जा सके। उन्होंने प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि मालन नदी के पुनरुद्धार कार्य को इसके मूल रूप में वापस लाने तक जारी रखा जाएगा और इस महत्वपूर्ण कार्य में अंतर विभागीय समन्वय के साथ-साथ जन सामान्य के सहयोग के द्वारा इस पुण्य कार्य को पूरा किया जाएगा।
विस्तार
तिथि अक्षय तृतीया। मालन के तट पर हवन पूजन में गूंजते वैदिक मंत्र। इसे महज संयोग नहीं बल्कि अक्षय प्रयास है जो मालन की अविरलता को फिर से धरातल पर लाएगा। दरअसल नदी से नाले में बदल चुकी मालन को फिर से साफ स्वच्छ करने के लिए बिजनौर में अभियान का श्रीगणेश हुआ। नदी के उद्धार के लिए डीएम उमेश मिश्रा समेत सरकारी अमला और हजारों लोगों की भीड़ जुट गई।
मंगलवार सुबह मालन नदी के तट पर मंडावर मार्ग स्थित पुल के पास पुनरुद्धार का शुभारंभ हुआ। हवन पूजन के मुख्य यजमान डीएम उमेश मिश्रा बने। पूजन कराने के बाद मालन के तट पर पहला फावड़ा खुद डीएम उमेश मिश्रा ने चलाया। उन्होंने तसले में मिट्टी भरकर बाहर भी फेंकी। डीएम ने कहा कि भले ही आज मालन नदी नाले की तरह तंग हो गई है, लेकिन कभी मालन के किनारे समृद्ध सभ्यता हुआ करती थी। कण्व आश्रम ही नहीं बल्कि राजा मोरध्वज का किला भी मालन के किनारे पर स्थापित था।
[ad_2]
Source link