मंदिरों के शहर बनारस में एक ही स्थान पर उत्तर और दक्षिण के 90 मंदिरों के दर्शन हो रहे हैं। इसमें काशी के 29 और तमिलनाडु के 61 मंदिर हैं। प्रदर्शनी में तमिलनाडु के मंदिरों की भव्यता और वास्तु देखते ही बन रही है। इसके साथ ही काशी की दुर्लभ देव प्रतिमाएं श्रद्धा का केंद्र बनी हुई हैं। बीएचयू के एंफीथिएटर के मैदान में चल रहे काशी तमिल संगमम में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की ओर से मूर्तियों व मंदिरों की प्रदर्शनी सजाई गई है।
प्रदर्शनी में तमिलनाडु और काशी दोनों जगहों के प्रसिद्ध मंदिरों का छायाचित्र लगाया गया है। दक्षिण भारत के जो मंदिर हैं वह मूल रूप से द्रविड़ परंपरा के हैं। उधर, काशी-तमिल संगमम में शामिल होने आए दूसरे दल के मेहमानों ने बुधवार को काशी भ्रमण किया। हनुमान घाट पर गंगा स्नान के बाद मंदिरों में दर्शन-पूजन किया।
तमिल मेहमान हनुमान घाट पर स्थित सुब्रह्मण्य भारती के घर पहुंचकर उनकी स्मृतियों से भी रूबरू हुए। तमिल पर्यटकों के दल ने बुधवार दोपहर तथागत की प्रथम उपदेश स्थली का भ्रमण किया। पुरातात्विक खंडहर परिसर भ्रमण के दौरान तकिल पर्यटक बौद्ध दर्शन से रूबरू हुए
तमिल मेहमान हनुमान घाट पर स्थित सुब्रह्मण्य भारती के घर पहुंचकर उनकी स्मृतियों से भी रूबरू हुए। तमिल पर्यटकों के दल ने बुधवार दोपहर तथागत की प्रथम उपदेश स्थली का भ्रमण किया। पुरातात्विक खंडहर परिसर भ्रमण के दौरान तकिल पर्यटक बौद्ध दर्शन से रूबरू हुए
कहीं विश्वामित्र के राम, तो कहीं सबरी के राम, कहीं हनुमान के राम तो कहीं अयोध्या की प्रजा के राम… राम की अलग-अलग छवि बुधवार को हस्तकला संकुल में देखने को मिली। मौका था काशी तमिल संगमम के तहत अभ्युदय संस्था की ओर से आयोजित जनमानस के राम विषय पर चित्र प्रदर्शनी का। देशभर के कलाकारों ने अपने रामायण के अलग-अलग किरदारों के लिए उनके राम कैसे थे उसका चित्रण किया। कलाकार कमर आरा ने हनुमान के राम को दिखाया।