काशी में पीयूष गोयल बोले- विदेशों में कस्तूरी नाम से जाना जाएगा स्वदेशी कॉटन, जल्द शुरू होगी ब्रांडिंग

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टीएफसी में लगी प्रदर्शनी को देखते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

टीएफसी में लगी प्रदर्शनी को देखते केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल
– फोटो : अमर उजाला

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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दुनिया में अमेरिका के पीमा और गीजा कॉटन की तरह भारत के कॉटन को कस्तूरी के नाम से जाना जाएगा। भारत के कॉटन को पहचान दिलाने के लिए दी कॉटन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (टेक्सप्रोसिल) और कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के बीच एमओयू हुआ है।

टीएफसी में वस्त्र विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने कहा कि इस समझौते के तहत किसानों को उच्च गुणवत्ता के कॉटन के उत्पादन और उसकी ब्रांडिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस उत्पाद पर क्यूआर कोड भी लगा होगा।

पांच एफ की परिकल्पना को दिया आकार

उन्होंने कहा कि फार्म से फाइबर, फाइबर से फैब्रिक, फैब्रिक से फैशन और फिर फैशन से फॉरेन… इस परिकल्पना को इस सम्मेलन में आकार दिया गया है। वाराणसी व अन्य जगहों से आए निर्यातकों और उद्यमियों से कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इन सभी मुद्दों पर विचार किया जाएगा। 

टेक्सटाइल क्षेत्र को गति देने के लिए सम्मेलन में आए सुझावों को लेकर हम काशी से जा रहे हैं। निर्यात को 100 मिलियन डॉलर तक बढ़ाना हमारा लक्ष्य है। दुनिया भर में मंदी के बाद भी इस क्षेत्र में प्रगति दिखाई दे रही है। निर्यात के बढ़ावे के लिए दो एमओयू हो चुके हैं। इसमें एक यूरोप और दूसरा ऑस्ट्रेलिया के साथ हुआ है।

उन्होंने कहा कि सरकार निरंतर किसानों और उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही है। कॉटन टेक्सटाइल की एडवाइजरी की तरह ही मैन मेड एडवाइजरी ग्रुप बनाया जाएगा। टेक्सप्रोसिल के चेयरमैन सुनील पटवारी, सीसीआई के चेयरमैन ललित कुमार, नरेंद्र गोयनका, दयाल ने अपने सुझाव व धन्यवाद ज्ञापन किए। 

पीयूष गोयल ने कहा कि प्रतिबंध के बाद भी चीन का सिल्क अपने देश में आ रहा है। इस पर सरकार की कड़ी नजर है। इसकी पहचान के लिए बार कोडिंग की व्यवस्था होगी। इसमें पहले से मानक तय रहेंगे। ऐसे में बाहर से आए चाइना के सिल्क की पहचान आसानी से हो सकेगी।

आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार कर रही समर्थ योजना
केंद्रीय वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि समर्थ योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रही है। योजना के तहत जो भी लाभान्वित हैं, उनसे संवाद किया। संवाद के दौरान वाराणसी की साक्षी जायसवाल, अली हसन, तरन्नुम परवीन, निशा मौर्या, शालिनी यादव, फूलगेंदा देवी के साथ ही तमिल के दो लाभार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए। 
 

टेक्सटाइल मंत्रालय की सचिव रचना शाह ने कहा कि मंद पड़े टेक्सटाइल उद्योग को उबारने के लिए फाइव एफ (फर्म, फाइबर, फैक्ट्री, फैशन और फॉरेन) के फार्मूले पर काम करने की तैयारी है। काशी तमिल संगमम के तहत बृहस्पतिवार को बड़ालालपुर स्थित हस्तकला संकुल में वस्त्र उद्योग को उबारने के लिए मिशन 2024 के तहत वस्त्र उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों ने अपना विजन रखा।

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सचिव ने कहा कि हर पांच साल में 100 मिलियन वस्त्र निर्यात का लक्ष्य है। इसे 2025 तक 500 मिलियन तक पहुंचाना है। रिलायंस टेक्सटाइल के अजय सरदाना ने बताया कि दुनिया में लोगों का पहनावा बदला है। भारत में सूती वस्त्र का सबसे ज्यादा उत्पादन है। अब इसके साथ अन्य वस्त्र उद्योगों को लगाने की जरूरत है। गुजरात में फाइबर उत्पादन के बड़े उद्योग लगाने की योजना है।

वस्त्र उद्योग में महिलाओं की भागीदारी पहले 80 से 90 प्रतिशत होती थी, जो अब घटकर 20 प्रतिशत हो गई है। कृषि के बाद वस्त्र उद्योग ही ऐसा है जो सबसे ज्यादा रोजगार देता है। अगले 25 साल में भारत से वस्त्र निर्यात 500 मिलियन करने के लिए तकनीकी बढ़ाने की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश हैंडलूम और टेक्सटाइल विभाग के संयुक्त निदेशक केपी शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश को हस्तशिल्प उत्पादों का हब बनाना और टेक्सटाइल क्षेत्र में कम से कम पांच लाख रोजगार का सृजन करना है। डॉ. आरके श्रीवास्तव ने कहा सिल्क के उत्पादों के लिए यहां रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर खुलने चाहिए। बुनकरों से कहा कि आप अपने उत्पाद हमें उपलब्ध कराएं, उसे बाजार हम देंगे। 

शुभी अग्रवाल ने कहा कि वाराणसी में लकड़ी के खिलौनों का उत्पादन अधिक है। यहां प्रतिदिन 50 लोगों को खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कांचीपुरम तमिलनाडु केवी रामनाथन ने कहा कि कांचीपुरम साड़ी को खरीदते समय उसे केवल खर्च न समझें, उसे निवेश समझें। क्योंकि, एक साड़ी बनाने में सोना, चांदी, कॉपर आदि का इस्तेमाल होता है। 

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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दुनिया में अमेरिका के पीमा और गीजा कॉटन की तरह भारत के कॉटन को कस्तूरी के नाम से जाना जाएगा। भारत के कॉटन को पहचान दिलाने के लिए दी कॉटन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (टेक्सप्रोसिल) और कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के बीच एमओयू हुआ है।

टीएफसी में वस्त्र विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने कहा कि इस समझौते के तहत किसानों को उच्च गुणवत्ता के कॉटन के उत्पादन और उसकी ब्रांडिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस उत्पाद पर क्यूआर कोड भी लगा होगा।

पांच एफ की परिकल्पना को दिया आकार

उन्होंने कहा कि फार्म से फाइबर, फाइबर से फैब्रिक, फैब्रिक से फैशन और फिर फैशन से फॉरेन… इस परिकल्पना को इस सम्मेलन में आकार दिया गया है। वाराणसी व अन्य जगहों से आए निर्यातकों और उद्यमियों से कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इन सभी मुद्दों पर विचार किया जाएगा। 



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