काशी विश्वनाथ धाम: महाशिवरात्रि से पहले बाबा दरबार की दीवारें होंगी स्वर्ण मंडित, दानदाताओं के सहयोग से गुजरात के इंजीनियर कर रहे काम

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सार

काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। शाह सुजाउद्दौला से युद्ध में जीते गए सोने के एक तिहाई भाग को पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने बाबा के दरबार में अर्पित किया था।
 

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द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ का मंदिर अब नीचे से ऊपर तक स्वर्ण आभा से दमकता नजर आएगा। बाबा श्री काशी विश्वनाथ के शिखर के बाद अब गर्भगृह की दीवारें स्वर्ण मंडित होंगी। आदि विश्वेश्वर के दरबार को पूरी तरह से स्वर्णमंडित करने का काम चल रहा है।

महाशिवरात्रि पर बाबा के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं को काशीपुराधिपति के भव्य, दिव्य और नव्य धाम के साथ ही दरबार की स्वर्णिम आभा के भी दर्शन होंगे। मंदिर के गर्भगृह की दीवारों को स्वर्णमंडित करने का काम अंतिम चरण में है।

गुजरात से आई विशेषज्ञों की टीम
महाशिवरात्रि से पहले स्वर्ण पत्तर को लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। बाबा के भक्तों के सहयोग से मंदिर प्रशासन गर्भगृह को स्वर्णमंडित करा रहा है। गुजरात से आई विशेषज्ञों की पूरी टीम गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने में लगी हुई है। 

बाबा विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह को छह साल पहले ही स्वर्णमंडित कराने की योजना बनी थी। इस पर लगभग 42 करोड़ से ज्यादा खर्च का अनुमान लगाया गया था और मंजूरी भी मिल गई थी। जब शासन ने स्वर्ण शिखर और दीवारों पर अतिरिक्त भार सहने की क्षमता की रिपोर्ट मांगी तो बीएचयू आईआईटी ने अपनी रिपोर्ट में अतिरिक्त भार सहने योग्य नहीं माना था।

वहीं, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की (सीबीआरआई) ने भार सहने की क्षमता के अनुरूप बताया था। यही कारण था कि यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी और शासन ने खारिज कर दिया था। दानदाताओं से स्वर्ण मंडित कराने का प्रस्ताव मिलने के बाद मंदिर प्रशासन ने सर्वे कराने के बाद काम शुरू करा दिया है। 

मंदिर का निर्माण 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। शाह सुजाउद्दौला से युद्ध में जीते गए सोने के एक तिहाई भाग को पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने बाबा के दरबार में अर्पित किया था।

बेंगलूरू की कंपनी ने दिया था प्रस्ताव
2016 में न्यास परिषद ने मंदिर परिसर के अविमुक्तेश्वर, तारकेश्वर और रानी भवानी के भुवनेश्वर मंदिर के शिखरों को स्वर्ण मंडित कराने का प्रस्ताव दिया था। तब बेंगलूरू की स्मार्ट क्रिएशन कंपनी ने 42 करोड़ रुपये में इस योजना को साकार करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन स्वर्ण पत्तर चढ़ाने से पहले मंदिर के शिखर और दीवारों की भार सहने करने की क्षमता की रिपोर्ट मांगी गई थी।

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स्वर्ण मंडित करने वाली संस्था के मुकुंद लाल के अनुसार पहले चरण में प्लास्टिक के सांचे का काम पूरा हो गया है। दूसरे फेज में तांबे के सांचे का कार्य भी अंतिम चरण में है। तीसरे चरण में शुक्रवार से सोना लगने का कार्य शुरू किया गया है।

महाशिवरात्रि तक सोना लगने का कार्य पूरा हो जाने की उम्मीद है। पहले सोना गर्भगृह की दीवारों पर लगेगा उसके बाद गर्भगृह की चौखट और अंत मे बाहरी दीवारों पर सोना लगाया जाएगा। शिवरात्रि के दिन श्रद्धालु बाबा के स्वर्ण मंडित गर्भगृह का दर्शन करेंगे। 

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह की भीतरी और बाहरी दीवारों को स्वर्ण मंडित करने के लिए 10 सदस्यीय टीम दो चरणों में काम कर रही है। सांचे के आधार पर ही गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्ण मंडित करने के लिए सोने के पत्तर तैयार किए गए हैं। ये स्वर्ण पत्तर टुकड़ों में हैं और सांचा तैयार होने का काम पूरा होते ही स्वर्ण पत्तर लगाने का काम शुरू हो जाएगा। 

विस्तार

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ का मंदिर अब नीचे से ऊपर तक स्वर्ण आभा से दमकता नजर आएगा। बाबा श्री काशी विश्वनाथ के शिखर के बाद अब गर्भगृह की दीवारें स्वर्ण मंडित होंगी। आदि विश्वेश्वर के दरबार को पूरी तरह से स्वर्णमंडित करने का काम चल रहा है।

महाशिवरात्रि पर बाबा के दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं को काशीपुराधिपति के भव्य, दिव्य और नव्य धाम के साथ ही दरबार की स्वर्णिम आभा के भी दर्शन होंगे। मंदिर के गर्भगृह की दीवारों को स्वर्णमंडित करने का काम अंतिम चरण में है।

गुजरात से आई विशेषज्ञों की टीम

महाशिवरात्रि से पहले स्वर्ण पत्तर को लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। बाबा के भक्तों के सहयोग से मंदिर प्रशासन गर्भगृह को स्वर्णमंडित करा रहा है। गुजरात से आई विशेषज्ञों की पूरी टीम गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने में लगी हुई है। 

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