किडनी के सौदागर: आरोपियों ने की थी अमानवीयता, ऑपरेशन के बाद कई दिनों भूखा रहा किशन, ऐसी हो गई हालत

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मानव अंग तस्करी करने वाले गिरोह के चंगुल में फंसे एटा के युवक किशन कश्यप के साथ किडनी के सौदागरों ने अमानवीयता की थी। किडनी निकालने के बाद उसे खाना देना भी बंद कर दिया गया था। वह कई दिन भूखा रहा। जब किशन को यह लगने लगा, अब न रकम मिलेगी और न जान बचेगी तो परिजन याद आए। उसने भाई को सूचना दी। इसके बाद उसे गिरोह के चंगुल से छुड़ाया गया। 

भगीपुर के रहने वाला किशन कश्यप (23) अविवाहित है। चाट की ठेल लगाकर खर्चा चलाता है। उसका परिवार भी गरीब है। इसका फायदा किडनी के सौदागरों ने उठाया। उसे मालामाल करने का झांसा दिया। 24 लाख रुपये में एक किडनी निकलवाने का सौदा तय किया गया। 23 फरवरी को उसे अश्वनी उर्फ रॉकी अपने साथ आगरा ले गया। वहां से ट्रेन से विशाखापट्टनम ले गया। वहां एक होटल में 20 दिन ठहराया गया। जहां कई जांचें की गईं। इसके बाद ऑपरेशन कर किडनी निकाल ली गई। 

किशन को 10 दिन वहां रखा गया। बैंक खाते और पेटीएम खाते में 4.30 लाख रुपये डाले गए। बाकी शेष धनराशि का चेक दिया गया। इसे लेकर ये लोग एटा आ गए। यहां आकर बताया गया कि चेक को लखनऊ में कैश किया जाएगा। वहां शिवाजी शुक्ला नाम के व्यक्ति को बुलाया गया। एक होटल में ठहरा दिया गया। यहां करीब 19 दिन रखा गया। लेकिन रुपये मिलना तो दूर, खाते में जो रुपये थे, वो भी निकाल लिए गए। 

पीड़ित किशन ने बताया कि पहले दिन भोजन आदि के लिए 2500 रुपये दिए गए। इसके दस दिन बाद 500 और एक सप्ताह बाद 500 रुपये दिए गए, लेकिन इसमें ठीक से खाना भी नहीं मिल रहा था। चावल खाकर काम चलाया। जब कुछ नहीं बचा और भूख लगने की बात कही तो उन लोगों ने साफ कह दिया कि हमने ठेका नहीं ले रखा है। इस पर रुपये मिलने की उम्मीद तो टूटी ही, जान चली जाने का भय और दिखने लगा। तब भाई राजकुमार को फोन कर जानकारी दी। 

प्रतीक भी निकलवा चुका है किडनी

आरोपी अश्वनी उर्फ रॉकी और दीपक को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने इस गैंग के एक बड़े मोहरे प्रतीक को भी हिरासत में ले लिया है। वह विशाखापट्टनम में पहुंचने वाले लोगों को होटल में ठहराता था और निगरानी रखता था। साथ ही रॉकी जैसे सदस्यों से डीलिंग भी करता था। किडनी देने के लिए लोगों से संपर्क भी साधता था। हिरासत में उसे लेकर पूछताछ के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारियां पुलिस को मिली हैं। इस दौरान यह भी पता लगा कि वह अपनी किडनी भी निकलवा चुका है। उसके पेट के बाईं ओर ऑपरेशन के टांकों का निशान है।

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विशाखापट्टनम और चेन्नई रवाना हुईं टीमें

पुलिस को इस गिरोह के बड़े नेटवर्क की जानकारी हुई है। लखनऊ से लेकर विशाखापट्टनम के अलावा अन्य शहरों से भी इसके तार जुड़े हुए हैं। पूरी पड़ताल करने के लिए एटा से पुलिस की एक टीम को विशाखापट्टनम और एक टीम को चेन्नई भेजा गया है। 

एटा के भी कुछ चिकित्सक निशाने पर

आरोपियों से पूछताछ के दौरान परत दर परत खुल रही हैं। इसमें कई शहरों के लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। यहां तक कि एटा के कुछ चिकित्सकों और क्लीनिकों के नाम भी आरोपियों की जुबां पर आए हैं। वो किस तरह इस गैंग से जुड़े थे और उनकी क्या भूमिका थी, इसकी पूछताछ की जा रही है।

नहीं मिल रहा इलाज

किडनी निकलने के बाद अब किशन को इलाज तक के लाले पड़े हैं। ऑपरेशन वाले स्थान पर टांकों से रिसाव हो रहा है। लगातार दर्द बना हुआ है। न कोई दवा है न रुपये, जिससे इलाज करा सके। उसने बताया कि 21 अप्रैल को एटा मेडिकल कॉलेज में गया, वहां से आगरा के लिए रेफर कर दिया गया। उसी दिन आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो ऑपरेशन के बाद डिस्चार्ज स्लिप मांगी। बताया कि यह नहीं है, तो उन्होंने भर्ती ही नहीं किया।

अपर पुलिस अधीक्षक धनंजय सिंह कुशवाह ने बताया कि मामला काफी बड़ा और गंभीर है। हर पहलू पर गहनता से जांच की जा रही है। आरोपियों से पूछताछ चल रही है। संदेह वाले स्थानों पर दबिश भी दी जा रही हैं। उम्मीद है जल्द ही पूरे मामले का खुलासा कर लिया जाएगा। 

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