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कृष्णानंद राय और मुख्तार अंसारी
– फोटो : अमर उजाला
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कृष्णानंद राय के बूते ही भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2002 में पहली बार गाजीपुर जिले की मोहम्मदाबाद सीट पर जीत दर्ज की थी। कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी के 17 वर्ष के राजनीतिक दबदबे को खत्म कर पूर्वांचल में एक अलग पहचान बनाई थी।
25 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय सहित सात लोगों की हत्या की गई तो उसके विरोध में मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जिला मुख्यालय पर 14 दिन तक धरना दिए थे। उस दौरान विरोध दर्ज कराने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी बनारस आए थे। अटल बिहारी को सुनने के लिए जनसमूह उमड़ पड़ा था।
वाराणसी में जमकर हुआ था प्रदर्शन
80 के दशक में बीएचयू में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का संगठन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले कृष्णानंद राय को भाजपा में शामिल कराने का श्रेय मनोज सिन्हा को दिया जाता है। कृष्णानंद राय की हर वर्ग में स्वीकार्यता थी। उनकी हत्या के विरोध में उनके समर्थकों ने वाराणसी में कलेक्ट्रेट और सर्किट हाउस के साथ ही आसपास के इलाके में तोड़फोड़ करने के अलावा रामनगर का पीपा पुल खोल दिया था।
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