कौशांबी : डॉक्टरों द्वारा नार्मल डिलिवरी से इन्कार पर पति बिफरा, घर ले जाते समय बस में हुआ प्रसव

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सरकारी महिला का बस में प्रसव करातीं नर्स।

सरकारी महिला का बस में प्रसव करातीं नर्स।
– फोटो : अमर उजाला।

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दो सामान्य प्रसव होने पर तीसरे बच्चे का भी जन्म नार्मल डिलिवरी से कराने को लेकर एक युवक एसआरएन कर्मियों बिफर गया। अस्पताल कर्मियों ने आपरेशन से प्रसव कराने की सलाह दी, लेकिन पति निजी अस्पताल में प्रसव कराने की बात कहकर पत्नी को लेकर रोडवेज बस से घर जाने लगा। इसी बीच प्रसव पीड़ा होने पर रास्ते में महिला ने बस में ही बच्चे को जन्म दिया।

फतेहपुर जनपद के रमुवा गांव निवासी अतुल कुमार प्रयागराज में प्राइवेट नौकरी करते हैं। पत्नी शालू (23) गर्भवती थी। वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ गांव में रहती है, जबकि अतुल प्रयागराज में रहते हैँ। बृहस्पतिवार को अतुल पत्नी को दिखाने के लिए प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल ले गए थे। अतुल का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टरों ने शालू में खून की कमी होने की बात कही। दो यूनिट खून की व्यवस्था कराने के लिए कहा।

एक यूनिट ब्लड उन्होंने दे दिया। इसके बाद एक यूनिट खून की और जरूरत थी, लेकिन इसके लिए कोई रक्तदाता नहीं मिला। अस्पताल में भी चिकित्सकों व कर्मचारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई इंतजाम नहीं हो सका। उसका आरोप है कि काफी देर तक इधर-उधर भटकने के बाद अंत में अस्पताल से उनको और उनकी गर्भवती पत्नी को घर जाने के लिए कह दिया गया। 

अस्पताल से मायूस होकर पत्नी के साथ निकले अतुल ने सिविल लाइंस से फतेहपुर जाने के लिए रोडवेज की बस पकड़ी। कोखराज में कसिया के पास बस पहुंची थी तभी अचानक महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। महिला यात्री प्रसूता की मदद के लिए आगे आईं। सूचना पर एक निजी अस्पताल की महिला कर्मचारियों ने बस में ही महिला का प्रसव कराया। उसने बेटे का जन्म दिया। इसके बाद प्रसूता को कसिया के ही एक निजी अस्पताल ले जाया गया।

इस संदर्भ में एसआरएन अस्पताल की गायनोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अमृता चौरसिया ने बताया कि गर्भवती की स्थिति नाजुक होने पर ऑपरेशन करना जरूरी हो गया था। जानकारी होने पर पति सामान्य प्रसव कराने की जिद करने लगा। इस बात को लेकर अस्पताल कर्मियों से झगड़ा भी करने लगा। उसका कहना था कि जब पहले से दो बच्चे सामान्य हुए तो इस बार ऑपरेशन नहीं कराएगा।  

सामान्य प्रसव में जान का खतरा होने की बात बताने पर महिला का पति उसे अपने रिस्क पर लेकर जाने की बात कहने लगा। पति अतुल का कहना था कि वह निजी अस्पताल में प्रसव कराएगा। इस बात को उसने लिखकर भी दिया है। वहीं ब्लड नहीं मिलने के सवाल पर कहना है कि कई तीमारदारों ने ब्लड डोनेट करने की बात कही, लेकिन पति ऑपरेशन से डिलेवरी नहीं कराना चाहता था।

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दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन की तरफ से गायनोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अमृता चौरसिया ने बताया कि गर्भवती महिला की स्थित नाजुक होने पर ऑपरेशन करना जरूरी हो गया। इस बात की जानकारी होने पर महिला का पति सामान्य प्रसव कराने की जिद करने लगा। इस बात को लेकर अस्पताल कर्मियों से झगड़ा भी करने लगा। उसका कहना था कि जब पहले से दो बच्चे सामान्य हुए तो इस बार ऑपरेशन नहीं कराएगा।

सामान्य प्रसव में जान का खतरा होने की बात बताने पर महिला का पति उसे अपने रिस्क पर लेकर जाने की बात कहने लगा। पति अतुल का कहना था कि वह निजी अस्पताल में प्रसव कराएगा। इस बात को उसने लिखकर भी दिया है। अस्पताल प्रशासन ने मीडिया द्वारा मामले में पूछे जाने पर महिला के पति द्वारा लिखा पत्र भी जारी कर दिया। वहीं ब्लड नहीं मिलने के सवाल पर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कई तीमारदारों ने ब्लड डोनेट करने की बात कहीं, लेकिन महिला का पति ऑपरेशन पर डिलेवरी नहीं कराना चाहता था।

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दो सामान्य प्रसव होने पर तीसरे बच्चे का भी जन्म नार्मल डिलिवरी से कराने को लेकर एक युवक एसआरएन कर्मियों बिफर गया। अस्पताल कर्मियों ने आपरेशन से प्रसव कराने की सलाह दी, लेकिन पति निजी अस्पताल में प्रसव कराने की बात कहकर पत्नी को लेकर रोडवेज बस से घर जाने लगा। इसी बीच प्रसव पीड़ा होने पर रास्ते में महिला ने बस में ही बच्चे को जन्म दिया।

फतेहपुर जनपद के रमुवा गांव निवासी अतुल कुमार प्रयागराज में प्राइवेट नौकरी करते हैं। पत्नी शालू (23) गर्भवती थी। वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ गांव में रहती है, जबकि अतुल प्रयागराज में रहते हैँ। बृहस्पतिवार को अतुल पत्नी को दिखाने के लिए प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल ले गए थे। अतुल का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टरों ने शालू में खून की कमी होने की बात कही। दो यूनिट खून की व्यवस्था कराने के लिए कहा।

एक यूनिट ब्लड उन्होंने दे दिया। इसके बाद एक यूनिट खून की और जरूरत थी, लेकिन इसके लिए कोई रक्तदाता नहीं मिला। अस्पताल में भी चिकित्सकों व कर्मचारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई इंतजाम नहीं हो सका। उसका आरोप है कि काफी देर तक इधर-उधर भटकने के बाद अंत में अस्पताल से उनको और उनकी गर्भवती पत्नी को घर जाने के लिए कह दिया गया। 



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