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महेवाघाट पुलिस द्वारा बरामद मूर्तियां तकरीबन पांच सौ साल पुरानी हैं। इनमें से एक ठाकुर जी की पीली धातु (अष्टधातु) की मूर्ति है। जबकि दूसरी टूटी हुई मूर्ति मिश्रित धातु की है। अष्टधातु की मूर्ति की ऊंचाई 2 फीट 3 इंच है। इस मूर्ति का वजन 61.8 किग्रा है। मूर्ति को चौकोर बेस पर ढाला गया है। मूर्ति के दोनों हाथ कुहनी से सामने की ओर मुड़े हुए हैं। गले में चेन टाइप का डिजाइन व नीचे लॉकेट की आकृति बनी हुई है।
दोनों हाथों पर बाजूबंद व दोनों पैरों में पायजेब का डिजाइन बना हुआ है। मिश्रित धातु की मूर्ति के 5 टुकड़े बरामद हुए हैं। जिसमें सिर, पैर और धड़ हैं। सभी टुकड़ों का वजन 46.1 किग्रा है। यह स्लेटी रंग की है। एसपी हेमराज मीना ने बताया कि इन दोनों मूर्तियों की खासियत जानने के लिए इन्हें लैब भेजा जाएगा। पकड़े गए सभी आरोपी मूर्तियों को परखने के लिए कौशाम्बी में इकट्ठा हुए थे।
पकड़े गया आरोपी राम किशोर ने बताया कि जब मूर्ति बिकने की बातचीत आखिरी दौर में चल रही थी, तो सभी ने एक बार मूर्ति परखनी चाही। इसलिए सभी कौशाम्बी-चित्रकूट हाईवे पर बने महेवाघाट पुल के पास एक पेड़ के नीचे देर रात अंधेरे में इकट्ठा हुए। हालांकि, इसकी सूचना पुलिस को मिल गई और सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं मौके से मन्नू सोनकर और शंकर सोनकर फरार हो गए।
चोरी करने वाले दो आरोपियों की हो चुकी है मौत
राम किशोर ने पुलिस को बताया, करीब 15 साल पहले उसने अपने फुफेरे भाई चंद्रिका विश्वकर्मा और राजू पटेल के साथ मिलकर एक गांव में बने मंदिर से मूर्तियां चुराई थी। वहां से मूर्तियों को बैलगाड़ी पर भूसे के ढेर में छिपा कर रातोरात राजू पटेल के गांव पहुंचे। वहां उसके घर से थोड़ी दूर स्थित एक मंदिर के बगल में गड्ढा खोदकर उसे दबा दिया। उसने बताया कि उस वक्त रात होने के कारण वह रास्ता भूल गया था। कई बार खोजबीन का प्रयास किया, लेकिन उसके फुफेरे भाई चंद्रिका ने कहा कि सही समय आने पर ही मूर्तियां बाहर निकाली जाएंगी। इंतजार करते-करते करीब दस साल पहले राजू पटेल की मौत हो गई। उसके तीन साल बाद चंद्रिका की भी मौत हो गई। इसके बाद उसने मूर्तियों को बाहर निकाला।
तीन साल तक राम प्रसाद और मुसद्दर के पास रहीं दोनों मूर्तियां
राम किशोर ने बताया कि तीन साल पहले मूर्ति हासिल करने के बाद सबसे पहले उसे राम प्रसाद के पास रखा गया। उसके यहां कुछ दिनों तक मूर्तियां रखी रहीं। मगर, वह हमेशा उसे लेकर डरा रहता था। इसलिए मूर्तियों को मुसद्दर के यहां स्थानांतरित कर दिया गया। वह उन्हें बेचने की फिराक में था। मुसद्दर ने पास रखी मूर्तियों में से एक को तोड़ भी दिया था। उसके टुकड़े ले जाकर वह कीमत का आंकलन कराता रहता था।
तीन महीने से मूर्ति बेचने की फिराक में थे आरोपी
पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों को मूर्तियां बेचने के लिए खरीदार नहीं मिल रहे थे। सभी ने मिलकर एक टीम बनाई, जिनमें से ज्यादातर मूर्ति तस्करी के अवैध कारोबार से जुड़े थे। इन लोगों ने ननका विश्वकर्मा से संपर्क किया। साथ ही बातचीत होने के बाद मूर्तियों को उसके यहां शिफ्ट कर दिया। ननका ने बाबूजी सोनकर, मन्नू सोनकर और शंकर सोनकर से बातचीत की। इन लोगों ने मूर्तियों को कौशाम्बी के मन्नूलाल की बल्ली और फंटी की दुकान में शिफ्ट कर दिया।
केरल में कॉल कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई थी बात
मन्नू सोनकर और शंकर सोनकर ने संतोष पाटिल, जीतेंद्र पासी और विपिन शुक्ला के माध्यम से मूर्तियां बेचने के लिए उस्मान उर्फ चांद बाबू से संपर्क किया। उस्मान ने बातचीत के बाद एक बार राम किशोर और उसके साथियों की बात भी कांफ्रेंसिंग के जरिए केरल के व्यापारी से कराई थी।
पुलिस गिरफ्त में आए यह
पुलिस ने मूर्ति समेत चित्रकूट, कौशांबी, फतेहपुर और बांदा जिले के रहने वाले 10 बदमाशों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए बदमाशों का नाम उस्मान उल्ला उर्फ चांद बाबू, राम किशोर, राम प्रसाद, मुसद्दर, ननका, नीरज विश्वकर्मा, जीतेंद्र शुक्ला, बाबू जी सोनकर, संतोष कुमार पटेल, विपिन शुक्ल बताया गया है।
विस्तार
महेवाघाट पुलिस द्वारा बरामद मूर्तियां तकरीबन पांच सौ साल पुरानी हैं। इनमें से एक ठाकुर जी की पीली धातु (अष्टधातु) की मूर्ति है। जबकि दूसरी टूटी हुई मूर्ति मिश्रित धातु की है। अष्टधातु की मूर्ति की ऊंचाई 2 फीट 3 इंच है। इस मूर्ति का वजन 61.8 किग्रा है। मूर्ति को चौकोर बेस पर ढाला गया है। मूर्ति के दोनों हाथ कुहनी से सामने की ओर मुड़े हुए हैं। गले में चेन टाइप का डिजाइन व नीचे लॉकेट की आकृति बनी हुई है।
दोनों हाथों पर बाजूबंद व दोनों पैरों में पायजेब का डिजाइन बना हुआ है। मिश्रित धातु की मूर्ति के 5 टुकड़े बरामद हुए हैं। जिसमें सिर, पैर और धड़ हैं। सभी टुकड़ों का वजन 46.1 किग्रा है। यह स्लेटी रंग की है। एसपी हेमराज मीना ने बताया कि इन दोनों मूर्तियों की खासियत जानने के लिए इन्हें लैब भेजा जाएगा। पकड़े गए सभी आरोपी मूर्तियों को परखने के लिए कौशाम्बी में इकट्ठा हुए थे।
पकड़े गया आरोपी राम किशोर ने बताया कि जब मूर्ति बिकने की बातचीत आखिरी दौर में चल रही थी, तो सभी ने एक बार मूर्ति परखनी चाही। इसलिए सभी कौशाम्बी-चित्रकूट हाईवे पर बने महेवाघाट पुल के पास एक पेड़ के नीचे देर रात अंधेरे में इकट्ठा हुए। हालांकि, इसकी सूचना पुलिस को मिल गई और सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं मौके से मन्नू सोनकर और शंकर सोनकर फरार हो गए।
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