क्रोध में मनुष्य का विवेक खो जाता

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पचोड्डा स्थित बालाजी मंदिर में रामकथा सुनाती शिवानी शुक्ला। संवाद

पचोड्डा स्थित बालाजी मंदिर में रामकथा सुनाती शिवानी शुक्ला। संवाद
– फोटो : UNNAO

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अचलगंज। पचोड्डा के बालाजी मंदिर में चल रही सात दिवसीय राम कथा के छठवें दिन कथा वाचिका ने परशुराम-लक्ष्मण संवाद व राम विवाह कथा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि क्रोध में मनुष्य का विवेक खो जाता है।
कथा वाचिका शिवानी शुक्ला ने कहा कि विवेक हीन मनुष्य का वाणी पर संयम नहीं रहता। श्रीराम शिव धनुष तोड़ते हैं। धनुष टूटने की आवाज से राजा जनक के दरबार में क्रोधित परशुराम का प्रवेश होता है। वह धनुष तोड़ने की जानकारी लेते हैं। राम कहते हैं कि धनुष तोड़ने वाला कोई आप का दास ही होगा। क्रोध के वसीभूत परशुराम श्री हरि को भूल जाते हैं और उन्हें भी भला बुरा कह डालते हैं। क्रोधी व्यक्ति को कटु सत्य और उत्तेजित कर देता है। परशुराम की वाणी से निकले शब्दों को सुनकर लक्ष्मण क्रोधित होते हैं। राम के शांत वचन क्रोधाग्नि को शांत कर देते हैं। उसके बाद परशुराम कहते हैं कि ‘राम रमापति कर धनु लेहू, खींचऊ चाप मिटै संदेहू’। उसके बाद सीता राम को जयमाला पहनाती हैं।
कथा वाचिका ने भगवान राम व सीता के विवाह का संगीत मय वर्णन किया। इस दौरान प्रदीप त्रिपाठी, अमित, सज्जन द्विवेदी, सधोले शुक्ला, चंद्रशेखर अग्निहोत्री, रामदेव कुशवाहा, गौरी यादव, अंकित सिंह परिहार, रामबाबू तिवारी, मोहित मिश्रा उपस्थित रहे। मंदिर के महंत वीरेंद्र महाराज ने बताया कि रामकथा का गुरुवार को समापन होगा। फिर बाला जी महाराज के सवामनी हवन, पूजन व आरती के बाद भंडारा होगा।

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अचलगंज। पचोड्डा के बालाजी मंदिर में चल रही सात दिवसीय राम कथा के छठवें दिन कथा वाचिका ने परशुराम-लक्ष्मण संवाद व राम विवाह कथा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि क्रोध में मनुष्य का विवेक खो जाता है।

कथा वाचिका शिवानी शुक्ला ने कहा कि विवेक हीन मनुष्य का वाणी पर संयम नहीं रहता। श्रीराम शिव धनुष तोड़ते हैं। धनुष टूटने की आवाज से राजा जनक के दरबार में क्रोधित परशुराम का प्रवेश होता है। वह धनुष तोड़ने की जानकारी लेते हैं। राम कहते हैं कि धनुष तोड़ने वाला कोई आप का दास ही होगा। क्रोध के वसीभूत परशुराम श्री हरि को भूल जाते हैं और उन्हें भी भला बुरा कह डालते हैं। क्रोधी व्यक्ति को कटु सत्य और उत्तेजित कर देता है। परशुराम की वाणी से निकले शब्दों को सुनकर लक्ष्मण क्रोधित होते हैं। राम के शांत वचन क्रोधाग्नि को शांत कर देते हैं। उसके बाद परशुराम कहते हैं कि ‘राम रमापति कर धनु लेहू, खींचऊ चाप मिटै संदेहू’। उसके बाद सीता राम को जयमाला पहनाती हैं।

कथा वाचिका ने भगवान राम व सीता के विवाह का संगीत मय वर्णन किया। इस दौरान प्रदीप त्रिपाठी, अमित, सज्जन द्विवेदी, सधोले शुक्ला, चंद्रशेखर अग्निहोत्री, रामदेव कुशवाहा, गौरी यादव, अंकित सिंह परिहार, रामबाबू तिवारी, मोहित मिश्रा उपस्थित रहे। मंदिर के महंत वीरेंद्र महाराज ने बताया कि रामकथा का गुरुवार को समापन होगा। फिर बाला जी महाराज के सवामनी हवन, पूजन व आरती के बाद भंडारा होगा।

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