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परियर। परियर-बिठूर संपर्क मार्ग ओवरलोड वाहनों की आवाजाही के कारण खस्ताहाल हो गया है। बड़े-बड़े गड्ढे होने से इस पर वाहन रेंग रहे हैं। आवागमन दुश्वार हो गया है। हादसों का डर बना रहता है।
जिले को कानपुर के बिठूर से सीधा जोड़ने वाला ये मार्ग लंबे समय से जर्जर है। जनवरी 2007 को करोड़ों रुपये की लागत से गंगा पुल से चार किलोमीटर तक डामर रोड का शिलान्यास किया गया था लेकिन काम 24 जून 2016 को पूरा हो पाया था। इस मार्ग से प्रतिदिन लाखों लोग लखनऊ, कानपुर, सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई आते-जाते हैं।
इसी रास्ते से रोजाना बालू लदे सैकड़ों ओवरलोड ट्रक निकलते हैं। इसके कारण सड़क कई स्थानों पर लापता हो गई है। परियर गंगा तट पर स्नान व अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बड़े-बड़े गड्ढे होने से अक्सर हादसे हो रहे हैं। पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन हरदयाल अहिरवार ने बताया कि बारिश के बाद मार्ग की मरम्मत कराई जाएगी।
परियर। परियर-बिठूर संपर्क मार्ग ओवरलोड वाहनों की आवाजाही के कारण खस्ताहाल हो गया है। बड़े-बड़े गड्ढे होने से इस पर वाहन रेंग रहे हैं। आवागमन दुश्वार हो गया है। हादसों का डर बना रहता है।
जिले को कानपुर के बिठूर से सीधा जोड़ने वाला ये मार्ग लंबे समय से जर्जर है। जनवरी 2007 को करोड़ों रुपये की लागत से गंगा पुल से चार किलोमीटर तक डामर रोड का शिलान्यास किया गया था लेकिन काम 24 जून 2016 को पूरा हो पाया था। इस मार्ग से प्रतिदिन लाखों लोग लखनऊ, कानपुर, सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई आते-जाते हैं।
इसी रास्ते से रोजाना बालू लदे सैकड़ों ओवरलोड ट्रक निकलते हैं। इसके कारण सड़क कई स्थानों पर लापता हो गई है। परियर गंगा तट पर स्नान व अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बड़े-बड़े गड्ढे होने से अक्सर हादसे हो रहे हैं। पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन हरदयाल अहिरवार ने बताया कि बारिश के बाद मार्ग की मरम्मत कराई जाएगी।
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