खेती में बीनू लिख रही तरक्की की नई इबारत

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सफीपुर। विकासखंड के खोखापुर की बीनू खेती कर तरक्की की नई इबारत लिख रहीं हैं। बालाजी समूह के जरिये खुद की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ ही उन्होंने गांव की 10 महिलाओं को विभिन्न कार्योें से जोड़कर हुनरमंद बनाया है।
खोखापुर निवासी बीनू के पति कमलेश कुमार पहले मजदूर थे। इससे मुश्किल से घर का खर्च निकल पाता था। किसी ने बीनू को समूह गठन की सलाह दी।
उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से जुड़कर तीन साल पहले बालाजी समूह गठित किया। इसमें कुछ महिलाओं को जोड़ा और 50 रुपये प्रति माह की धनराशि जमा कराई। इसके बाद समूह से ही ऋण लेकर 10 बिसवा जमीन पर सब्जी उगाना शुरू किया। कमाई शुरू हुई तो फिर ट्रैक्टर खरीदा। इसके जरिये सब्जी के साथ अन्य फसलों की खेती शुरू की। बीनू ने अन्य महिलाओं को समूह के माध्यम से ही ऋण उपलब्ध कराकर विभिन्न कार्य शुरू कराए।
किराना और इलेक्ट्रानिक की दुकान खुलवाई
बीनू ने गांव की मनु को 40 हजार का ऋण स्वीकृत कराया। पावा में किराना की दुकान खुलवाई। अनीता को ऋण दिलाकर गांव में ही इलेक्ट्रानिक की दुकान खुलवाई। पुष्पा ने उसकी तरह खेती में ही हाथ आजमाया। इसके लिए पुष्पा को इंजन दिलवाया। अंजली ने 15 हजार लेकर सब्जी की खेती शुरू की। आरती को टेलरिंग के लिए दो सिलाई मशीनें खरीदवाईं।
इसके अलावा कई अन्य महिलाएं बीनू से जुड़कर आत्मनिर्भरता की सीढ़ियां चढ़ रही हैं। बीनू का कहना है कि कम जमीन में बेहतर उपज कर समूह के अलावा गांव की अन्य महिलाओं की स्थिति अच्छी करनी है। गांव में उगाई गई सब्जी शहर के बाजार में बिके, इसके लिए लोडर लेने का लक्ष्य है। इसके जरिये कानपुर, लखनऊ में सब्जी बेचने में मदद मिलेगी। (संवाद)

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सफीपुर। विकासखंड के खोखापुर की बीनू खेती कर तरक्की की नई इबारत लिख रहीं हैं। बालाजी समूह के जरिये खुद की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ ही उन्होंने गांव की 10 महिलाओं को विभिन्न कार्योें से जोड़कर हुनरमंद बनाया है।

खोखापुर निवासी बीनू के पति कमलेश कुमार पहले मजदूर थे। इससे मुश्किल से घर का खर्च निकल पाता था। किसी ने बीनू को समूह गठन की सलाह दी।

उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से जुड़कर तीन साल पहले बालाजी समूह गठित किया। इसमें कुछ महिलाओं को जोड़ा और 50 रुपये प्रति माह की धनराशि जमा कराई। इसके बाद समूह से ही ऋण लेकर 10 बिसवा जमीन पर सब्जी उगाना शुरू किया। कमाई शुरू हुई तो फिर ट्रैक्टर खरीदा। इसके जरिये सब्जी के साथ अन्य फसलों की खेती शुरू की। बीनू ने अन्य महिलाओं को समूह के माध्यम से ही ऋण उपलब्ध कराकर विभिन्न कार्य शुरू कराए।

किराना और इलेक्ट्रानिक की दुकान खुलवाई

बीनू ने गांव की मनु को 40 हजार का ऋण स्वीकृत कराया। पावा में किराना की दुकान खुलवाई। अनीता को ऋण दिलाकर गांव में ही इलेक्ट्रानिक की दुकान खुलवाई। पुष्पा ने उसकी तरह खेती में ही हाथ आजमाया। इसके लिए पुष्पा को इंजन दिलवाया। अंजली ने 15 हजार लेकर सब्जी की खेती शुरू की। आरती को टेलरिंग के लिए दो सिलाई मशीनें खरीदवाईं।

इसके अलावा कई अन्य महिलाएं बीनू से जुड़कर आत्मनिर्भरता की सीढ़ियां चढ़ रही हैं। बीनू का कहना है कि कम जमीन में बेहतर उपज कर समूह के अलावा गांव की अन्य महिलाओं की स्थिति अच्छी करनी है। गांव में उगाई गई सब्जी शहर के बाजार में बिके, इसके लिए लोडर लेने का लक्ष्य है। इसके जरिये कानपुर, लखनऊ में सब्जी बेचने में मदद मिलेगी। (संवाद)

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