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गुजरात के मोरबी में रविवार को बड़ा हादसा हो गया. माछू नदी पर बना पुल ढह गया, जिसमें 140 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और 177 लोग अब भी लापता हैं. माछू नदी पर बने इस पुल का इतिहास काफी पुराना है। यह ठीक उसी तरह का पुल है जैसा उत्तराखंड में गंगा नदी पर राम और लक्ष्मण झूला का है। दोनों पुल लगभग एक जैसे हैं, और इन पर चलते समय ये ऊपर-नीचे होते हैं। इस कारण आमतौर पर बड़ी संख्या में पर्यटक इसे देखने आते हैं। रविवार शाम को जब यह घटना हुई तब पुल पर करीब 400-500 लोग मौजूद थे। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी का भार यह पुल नहीं सह सका और बीच से टूटकर नदी में समा गया।
ब्रिटिश शासन की बेहतरीन इंजीनियरिंग
गुजरात के पर्यटन स्थलों में शामिल इस पुल का इतिहास काफी पुराना है। इसका निर्माण 1887 के आसपास हुआ था। पुल की समय-समय पर मरम्मत भी की जाती थी। मरम्मत के लिए इसे कुछ समय के लिए बंद रखा गया था, जिसके बाद पांच दिन पहले इसे फिर से खोल दिया गया। दिवाली की छुट्टियों के चलते पुल पर आने वालों की संख्या भी काफी बढ़ गई है। 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा यह पुल दरबारगढ़ पैलेस और लुखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को जोड़ता है। यह ब्रिटिश शासन की बेहतरीन इंजीनियरिंग का भी नमूना रहा है।
मोरबी की अलग पहचान
मोरबी का यह पुल गुजरात के राजकोट से 64 किमी की दूरी पर स्थित है। यह देखकर पर्यटक को विक्टोरियन लंदन भी याद आ जाता है। इस पुल का निर्माण मोरबी को एक अलग पहचान देने के उद्देश्य से किया गया था, जिसे यूरोप में उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीक का उपयोग करके बनाया गया था। इसे मोरबी के पूर्व शासक सर लखधीराजी वाघजी ने बनवाया था। वहीं पुल पर हुए हादसे से पहले का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कई लोग पुल पर कूदते-दौड़ते नजर आ रहे हैं.
मोरबी में माछू नदी पर बने इस पुल पर रविवार शाम 400 से 500 लोग मौजूद थे. भारी भीड़ के कारण केबल पुल टूट कर नदी में गिर गया। हादसे में बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई है। गुजरात सरकार ने हादसे की जांच की जिम्मेदारी एसआईटी को सौंपी है। पुलिस-प्रशासन रेस्क्यू ऑपरेशन में लगा हुआ है. मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये के मुआवजे की घोषणा की गई है. वहीं, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के लिए दो-दो लाख रुपये और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये की घोषणा की गई है.
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